30 जुलाई, 2023 को कैलिफोर्निया, यूएस में स्थित लॉरेंस लिवरमोर नेशनल लैबोरेट्री की नेशनल इग्निशन फैसिलिटी (एनआईएफ) में वैज्ञानिकों ने सफलतापूर्वक नाभिकीय संलयन अभिक्रिया उत्पन्न की है जो भविष्य में प्रचुर मात्रा में स्वच्छ ऊर्जा का मार्ग प्रशस्त कर सकती है। शोधकर्ताओं के अनुसार, इन संलयन प्रयोगों ने प्रयोगशाला के विशाल, उच्च शक्ति वाले लेजरों में पंप की गई ऊर्जा से अधिक ऊर्जा निर्मुक्त की। इस ऐतिहासिक उपलब्धि को ‘इग्निशन’ (ज्वलन) या ‘एनर्जी गेन’ (ऊर्जा लाभ) के रूप में जाना जाता है।
यह प्रौद्योगिकी अभी व्यवहार्य रूप से विद्युत संयंत्रों में परिवर्तित करने हेतु तैयार नहीं है, लेकिन इस सफलता को इस बात के प्रमाण के रूप में सराहा गया कि तारों की शक्ति का उपयोग पृथ्वी पर किया जा सकता है।
नाभिकीय संलयन और नाभिकीय विखंडन दोनों परमाणु से ऊर्जा प्राप्त करने के बावजूद अलग-अलग तरीके से परिचालित होते हैं। वर्तमान समय में नाभिकीय ऊर्जा संयंत्र नाभिकीय विखंडन पर निर्भर करते हैं जो रेडियोसक्रिय क्षय के कारण यूरेनियम जैसे बड़े और भारी परमाणुओं के टूटने पर ऊर्जा निर्मुक्त करते हैं। हालांकि, नाभिकीय संलयन में हाइड्रोजन जैसे छोटे हल्के परमाणु बड़े परमाणुओं में संगलित हो जाते हैं। इस प्रक्रिया में, ये अपने संयुक्त द्रव्यमान का एक छोटा-सा भाग ऊर्जा के रूप में निर्मुक्त करते हैं।
5 दिसंबर, 2022 को वैज्ञानिकों ने एनआईएफ (विश्व की सबसे परिशुद्ध एवं पुनरुत्पादनीय लेजर प्रणाली) में एक प्रयोग किया जिसमें हिमशीतित ड्यूटेरियम और ट्रीटियम, जो हाइड्रोजन के भारी रूप (या समस्थानिक) हैं, की एक गुटिका (पेलेट) रखने वाले एक छोटे सिलेंडर में 2.05 मेगाजूल (एमजे) वाले लेजरों की एक शृंखला छोड़ी और उत्पाद के रूप में लगभग 3.1 एमजे—लगभग 50 प्रतिशत लाभ—आउटपुट प्राप्त किया। यह स्वच्छ और प्रचुर मात्रा में संलयन ऊर्जा से लगभग असीमित विद्युत ऊर्जा उत्पन्न करने के लक्ष्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
प्रयोग
एनआईएफ की इस विधि में, शोधकर्ताओं ने हाइड्रोजन, ड्यूटेरियम और ट्रिटियम के दो भारी समस्थानिकों के हिमशीतित मिश्रण की काली मिर्च के एक दाने के आकार की गुटिका का उपयोग किया। इसके पश्चात, कैप्सूल को एक सेंटीमीटर लंबे सोने के ‘hohlraum’ (होह्लरॉम) नामक सिलेंडर—जिसे बाद में एक बड़े लेजर-जड़ित कक्ष के बीच में एक भुजा पर लगाया गया था—में रखा गया था।
संलयन को गति देने के लिए, एनआईएफ ने होह्लरॉम में एक साथ 192 विशालकाय लेजर छोड़ दिए, जो दो छेदों के माध्यम से इसमें तिरछे होकर घूम रहे थे। फिर बीमों को होह्लरॉम की आंतरिक सतह पर तेजी और जोर से रख दिया गया। इससे उच्च-ऊर्जा एक्स-रे निकलने लगीं जिससे कैप्सूल की बाहरी परतें तेजी से 3 मीटर डिग्री सेल्सियस से अधिक तक तप्त हो गईं, जिससे वे जल गईं और बाहर की ओर उड़ गईं। इस कैप्सूल का आंतरिक भाग तेजी से संकुचित होकर सीसे से लगभग सौ गुना अधिक सघन हो गया। इसने ड्यूटेरियम और ट्रिटियम को संलयन के लिए आवश्यक तापमान और दबाव तक पहुंचने के लिए प्रणोदित किया। एक्स-किरणों ने गुटिका से सतह को अलग कर दिया और रॉकेट के समान अंतःस्फोट को प्रवर्तित किया। इस प्रकार, तापमान और दबाव चरम सीमा पर पहुंच गए जिन्हें केवल तारों, विशाल ग्रहों और नाभिकीय विस्फोटनों के भीतर ही देखा जा सकता है। यह अंतः विस्फोट 400 किलोमीटर प्रति सेकंड की गति तक पहुंच गया, जिससे ड्यूटेरियम और ट्रीटियम संगलित हो गए और प्रकाश को एक इंच की यात्रा करने में लगने वाले समय से भी कम समय में ऊर्जा उत्पन्न हुई।
चुनौतियां
यद्यपि शोधकर्ताओं को यह उपलब्धि प्राप्त हुई है, लेकिन इस सफलता को वास्तविकता बनाने और संलयन ऊर्जा संयंत्र के निर्माण में अभी भी काफी बाधाएं हैं। इनमें से कुछ इस प्रकार हैं:
- यद्यपि गुटिका ने रखे गए लेजरों की तुलना में अधिक ऊर्जा निर्मुक्त की थी, तथापि इस गणना में 300 एमजे को शामिल नहीं किया गया या इस प्रकार सबसे पहले लेजरों को ऊर्जा प्रदान करने की आवश्यकता है।
- इस प्रयोग में एनआईएफ लेजर को दिन में एक बार परिचालित किया गया था, लेकिन एक विद्युत संयंत्र को प्रति सेकंड 10 बार लक्ष्य को तप्त करने की आवश्यकता होगी।
- इन लक्ष्यों को प्राप्त करने की लागत भी है। प्रयोगों में उपयोग किए गए लक्ष्यों की लागत दसियों और हजारों डॉलर है, और एक व्यवहार्य विद्युत संयंत्र के लिए यह लागत बहुत अधिक होगी।
- अन्य चुनौती यह है कि ऊर्जा को ऊष्मा के रूप में कैसे प्राप्त किया जाए।
- विद्युत संयंत्र के निर्माण में दशकों का शोध करना होगा। एक संलयन रिएक्टर विद्युत संयंत्र को अपनी स्वयं की ऊर्जा के उपयोग को बढ़ाने और ग्रिड में विद्युत डालने के लिए अपने लेजरों द्वारा उत्सर्जित ऊर्जा की तुलना में 50 से 100 गुना अधिक ऊर्जा उत्पन्न करने की आवश्यकता होगी।
- इसे लंबे समय तक प्रति सेकंड 10 कैप्सूल को वाष्पीकृत करना होगा। वर्तमान में, ईंधन कैप्सूल का निर्माण करना बेहद महंगा है। इसके अलावा, ये कैप्सूल ट्रिटियम पर निर्भर करते हैं, जो हाइड्रोजन का एक अल्पकालिक रेडियोसक्रिय समस्थानिक है, जिसे भविष्य के रिएक्टर संयंत्रों द्वारा इस स्थल पर बनाया जाना है।
हालांकि, इनमें से अधिकांश चुनौतियों का केवल एनआईएफ द्वारा ही नहीं, बल्कि विश्व की कई संलयन प्रयोगशालाओं द्वारा सामना किया जा रहा है। दूसरी ओर, अमेरिका और ब्रिटेन में निजी कंपनियों ने अगली पीढ़ी के सुपरकंडक्टिंग मैग्नेट (अतिचालक चुंबकों) का निर्माण किया है, जो छोटे और अधिक शक्तिशाली रिएक्टर बनाने में सहायता कर सकते हैं।
इंपीरियल कॉलेज, लंदन में नाभिकीय सामग्री के रीडर डॉ. मार्क वेनमैन के अनुसार, चुनौतियां बनी हुई हैं कि आप इस व्यवस्था से किस प्रकार ऊर्जा प्राप्त कर सकते हैं; ऊर्जा को लंबे समय तक किस प्रकार बनाया रखा जाए; ऊर्जा को किस प्रकार बढ़ाया जाए; और क्या यह अन्य स्रोतों से प्राप्त ऊर्जा से प्रतिस्पर्धा करने के लिए पर्याप्त रूप से किफायती हो सकती है।
फरवरी 2022 में, ब्रिटेन स्थित ज्वाइंट यूरोपियन टोरस (जेईटी), एक प्रायोगिक रिएक्टर, के वैज्ञानिकों ने एक सफल संलयन प्रयोग किया था जिसमें उन्होंने डोनट के आकार का टोकामक प्रयुक्त किया था। टोकामक एक ऐसी मशीन है जो संलयन अभिक्रिया करने के लिए हाइड्रोजन परमाणुओं को असाधारण तापमान पर तप्त करने हेतु चुंबकीय क्षेत्र का उपयोग करती है। यद्यपि यह प्रयोग ऊर्जा उत्पादन के मामले में संतुलन-स्तर बिंदु (ब्रेक-ईवन पॉइंट) तक नहीं पहुंच सका, लेकिन परिणामों ने फ्रांस में 22 अरब अमेरिकी डॉलर मूल्य के एक बड़े इंटरनेशनल थर्मोन्यूक्लियर एक्सपेरिमेंटल रिएक्टर (आईटीईआर) टोकामक परियोजना निर्माण के लिए एक बहुराष्ट्र संघ द्वारा अपनाए जा रहे उपागम को मान्य करने में सहायता प्रदान की। इस परियोजना से ऐसी अभिक्रिया उत्पन्न होना अपेक्षित है जो उत्पादन के रूप में दस गुना अधिक ऊर्जा उत्पन्न कर सकती है।
निष्कर्ष
निष्कर्ष के तौर पर, यह अनुमान लगाना कठिन होगा कि क्या यह कार्य भविष्य में नई ऊर्जा उत्पन्न करेगा। हालांकि, संलयन शोधकर्ता इस तकनीक को मानव जाति के लिए एक अविश्वसनीय उपकरण के रूप में देखते हैं। विश्व भर के वैज्ञानिक अपनी संलयन परियोजनाओं को बढ़ाने के साथ-साथ इसकी उत्पादन लागत को कम करने की दिशा में काम कर रहे हैं। आइंस्टीन के समीकरण, E=mc2 के अनुसार, हाइड्रोजन नाभिक का प्रत्येक संलयन युगल एक हल्का हीलियम नाभिक और ऊर्जा का विस्फोट उत्पन्न करेगा। ड्यूटेरियम को समुद्री जल से सरलता से निष्कर्षित किया जा सकता है, जबकि ट्रिटियम को लिथियम से बनाया जा सकता है जो भू-पर्पटी में पाया जाता है। इसे भविष्य में किसी समय व्यावसायिक रूप से व्यवहार्य बनाना निश्चित है।
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