प्लूटो कूपर बेल्ट (Kuiper belt), वरुण (Neptune) ग्रह की कक्षा से बाहर डोनट के आकार वाले बर्फीले पिंडों से युक्त एक क्षेत्र, में स्थित है। पृथ्वी के चंद्रमा से छोटे, प्लूटो पर टेक्सास और ओक्लाहोमा (संयुक्त राज्य अमेरिका के दक्षिण मध्य क्षेत्र के दो राज्य) के आकार का एक हृदयाकार ग्लेशियर है। इसमें नीला आसमान, घूमते हुए चंद्रमा, रॉकीज (रॉकी पर्वत, उत्तरी अमेरिका की सबसे बड़ी पर्वतमाला) जैसे ऊंचे पहाड़ और लाल बर्फ की एक आकर्षक दुनिया है।

14 जुलाई, 2015 को नासा के न्यू होराइजंस अंतरिक्षयान ने प्लूटो के वायुमंडल से गुजरते हुए अपनी ऐतिहासिक उड़ान भरी, जिसने प्लूटो और उसके चंद्रमाओं की पहली निकटतम छवियां प्रदान करने के साथ ही अन्य डेटा भी एकत्र किया जिसने इस बौने ग्रह के प्रति हमारी सोच को बदल दिया; जैसाकि इससे वैज्ञानिकों को ये संकेत प्राप्त हुए कि प्लूटो के वायुमंडल का घनत्व हर दशक में दुगुना हो रहा था। लेकिन 2018 में, प्लूटो द्वारा एक तारे के ग्रसन [किसी पिंड द्वारा किसी अन्य पिंड और प्रेक्षक (दर्शक) के बिल्कुल बीच में आकर उसे (पिंड) पूरी तरह से छिपा लेने की खगोलीय घटना को ग्रहण या ग्रसन कहते हैं।] की घटना से प्राप्त हुए डेटा ने न्यू होराइजंस के विपरीत परिणाम प्रदर्शित किए, जिससे वैज्ञानिक इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि प्लूटो के वायुमंडल का घनत्व कम होना शुरू हो गया है और अंततः यह क्षीण हो जाएगा। वैज्ञानिकों ने ये परिणाम 4 अक्टूबर, 2021 को डिविजन फॉर प्लैनेटरी साइंसिज ऑफ अमेरिकन एस्ट्रोनॉमिकल सोसायटी की 53वीं वर्षिक बैठक में प्रस्तुत किए।

दरअसल, 15 अगस्त, 2018 को प्लूटो दो मिनट के लिए एक तारे के सामने से गुजरा, और इस दौरान जब वह तारा प्लूटो के बिल्कुल पीछे चला गया, तब उसका प्रकाश कम हो गया और उस पश्च प्रकाश (बैकलिट) में प्लूटो का वायुमंडल स्पष्ट हुआ। तारा फिर से प्लूटो के दूसरी तरफ प्रकट हुआ। इस घटना का साउथवेस्ट रिसर्च इंस्टिट्यूट (एसडब्ल्यूआरआई) के वैज्ञानिकों द्वारा शोध किया गया। जैसाकि वे इस बात से भली-भांति परिचत थे कि जैसे ही तारे द्वारा प्लूटो और उसके वायुमंडल को पश्च प्रकाशित किया जाएगा, प्लूटो की एक धुंधली छाया पृथ्वी की सतह पर पड़ेगी। इस छाया पथ की मध्य रेखा बाजा और कैलिफोर्निया से डेलावेयर तक होकर गुजरी थी। इस घटना के दौरान, प्लूटो का अध्ययन करने के लिए संपूर्ण छाया पथ में लगाई गई दूरबीनों का असरदार तरीके से इस्तेमाल किया गया था।

अध्ययन के निष्कर्ष

वैज्ञानिकों द्वारा इस घटना का किया गया विस्तृत अध्ययन स्पष्ट करता है कि प्लूटो सूर्य से बहुत दूर जा रहा है, प्लूटो के वायुमंडल का वातावरण वास्तव में अपनी सतह पर वापस लौट रहा है और यह ठंडे से और अधिक ठंडा हो रहा है, जबकि इससे पहले थर्मल इनर्शिया (थर्मल इनर्शिया को किसी सामग्री के गुण के रूप में परिभाषित किया जा सकता है, जो धीमेपन की दर को व्यक्त करता है जिसके साथ इसका तापमान वायुमंडल तक पहुंचता है।) नामक एक घटना के कारण प्लूटो की सतह का दबाव और वायुमंडलीय घनत्व बढ़ रहा था। इसकी बर्फीली सतह और नाइट्रोजन युक्त वायुमंडल, वाष्प दाब (वेपर प्रेशर—तापमान बढ़ने पर बर्फ की गैसीय अवस्था में बदलने की प्रवृत्ति) द्वारा समर्थित थे। जब 1979 और 1999 के बीच प्लूटो सूर्य के सबसे निकट आया, तो इसकी सतह की बर्फ का तापमान बढ़ गया था, जिससे इसकी सतह से ग्रह के वायुमंडल का विकास हुआ।


पृथ्वी पर खगोलविदों ने पहली बार 1988 में प्लूटो द्वारा एक तारे के ग्रसन के दौरान इसके वायुमंडल की खोज की थी। उस समय, प्लूटो को हमारे सौरमंडल का नौवां ग्रह माना जाता था। इस घटना के दौरान, प्लूटो के पीछे गायब होने से पहले ही तारे की रोशनी धीरे-धीरे मंद हो गई। तारे के मद्धिमन होने से प्लूटो के हल्के और विस्तारित वायुमंडल की उपस्थिति का पता चला। तब से, आठ देशों के वैज्ञानिकों द्वारा प्लूटो के वायुमंडल का अध्ययन किया जा रहा था।

प्लूटो को सूर्य की एक परिक्रमा पूरी करने में 248 पृथ्वी वर्ष का समय लगता है। सूर्य से इसके बीच की दूरी में परिवर्तन होता रहता है, जैसाकि इसके निकटतम बिंदु और सूर्य के बीच लगभग 30 खगोलीय इकाइयों (एयू—एस्ट्रोनॉमिकल यूनिट्स) से 50 एयू (पृथ्वी से सूर्य की दूरी 1 एयू है) तक की दूरी है। 2006 में, प्लूटो को बौने ग्रह (Dwarf Planet) के रूप में वर्गीकृत किया गया था। इसकी विस्तारित कक्षा और सूर्य से इसकी दूरी का तात्पर्य है कि प्लूटो की सतह का तापमान –378 और –396 डिग्री फारेनहाइट (तापमान मापने का एक पैमाना, जिसके अनुसार, सामान्य दबाव पर पानी –32 डिग्री फारेनहाइट पर जमता है और 212 डिग्री फारेनहाइट पर उबलता है।) के बीच है। प्लूटो का वायुमंडल, जो नाइट्रोजन, मीथेन और कार्बन मोनोऑक्साइड से निर्मित है, पहले से ही हल्का है। अब वैज्ञानिकों ने खुलासा किया है कि 2030 तक, उन परिवर्तनों के कारण, जो प्लूटो के वायुमंडल को ओझल कर रहे हैं, इसका वायुमंडल पूरी तरह से स्थिर और लुप्त हो सकता है।


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