आरबीआई के अनुसार जून के अंत में भारत का बाहरी ऋण 2.8 प्रतिशत घटकर 514.4 बिलियन डॉलर हो गया
30 सितंबर, 2018 को जारी भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार , जून 2018 को समाप्त तिमाही के लिए भारत का बाहरी ऋण सालाना आधार पर 2.8 प्रतिशत घटकर 514.4 बिलियन डॉलर हो गया।
2017 की इसी अवधि के लिए यह 529 बिलियन से अधिक अनुमानित अनुमान के मुकाबले इसमें 14.9 बिलियन डॉलर की कमी आई ।
इसके अतिरिक्त,बाहरी ऋण से जीडीपी अनुपात जून अंत में 20.4 प्रतिशत था जो मार्च के अंत में 20.5 प्रतिशत के स्तर से थोड़ा सा कम था ।
बाहरी ऋण में कमी का मुख्य कारण 13 बिलियन डॉलर का वैल्यूएशन गेन्स है जो भारतीय रुपए के मुकाबले अमेरिकी डॉलर के मूल्य में वृद्धि के चलते आया।
वैल्यूएशन गेन्स के प्रभाव को यदि छोड़ दें तो , जून के अंत में बाहरी ऋण में कमी 14.9 बिलियन डॉलर की बजाय मात्र 1.9 बिलियन डॉलर होती।
वाणिज्यिक उधार 37.8 प्रतिशत के साथ विदेशी ऋण का सबसे बड़ा घटक रहा, इसके बाद एनआरआई जमा 24.2 प्रतिशत और अल्पकालिक व्यापार ऋण 18.8 प्रतिशत पर रहा।
भारत के बाहरी ऋण का सबसे बड़ा घटक जून 2018 के अंत में 50.1 प्रतिशत के हिस्से के साथ अमेरिकी डॉलर का ऋण था, इसके बाद भारतीय रुपया (35.4 प्रतिशत), एसडीआर (5.4 प्रतिशत), जापानी येन (4.7 प्रतिशत) और यूरो (3.3 प्रतिशत)।