ओशनगेट (OceanGate) कंपनी की टाइटन नामक सबमर्सिबल (निमज्जनी), जिसे 18 जून, 2023 को उत्तर एटलांटिक महासागर में समुद्र तल से 3,800 मीटर (12,467 फीट) नीचे रॉयल मेल शिप टाइटैनिक के मलबे तक पहुंचने के उद्देश्य से उतारा गया था, में सवार पांचों यात्रियों (ओशनगेट के मुख्य कार्यकारी अधिकारी स्टॉकटन रश सहित ब्रिटिश-पाकिस्तानी उद्योगपति शहजादा दाउद, उसका बेटा सुलेमान दाउद, हमिश हार्डिंग और पॉल-हेनरी नारगैलोट) की मृत्यु हो गई। विशेषज्ञों का मानना है कि इस दुर्घटना का संभावित कारक टाइटन का कार्बन फाइबर से निर्मित पोतखोल (हल—सबमर्सिबल का वह भाग जिसमें चालक दल सवार होता है) हो सकता है, जो जल के अत्यधिक दाब के कारण नष्ट हो गया होगा।
सबमर्सिबल एक प्रकार का छोटा पोत होता है, जिसका प्रयोग गहन समुद्र के भीतर अनुसंधानों एवं अन्वेषणों, जिनमें डूबे हुए जहाजों के अवशेषों की खोज और जलीय पर्यावरण को प्रलेखित करना भी शामिल है, के प्रयोजन हेतु किया जाता है। चूंकि, इसकी क्षमताएं सीमित होती हैं, इसलिए इसे समुद्र के भीतर ले जाने और पुनः सतह पर लाने के लिए एक बड़े (या सहायक) जहाज या प्लेटफॉर्म की आवश्यकता होती है।
इस दुर्घटना के बाद ओशनगेट, जो पर्यटन, अन्वेषण और अनुसंधान के लिए चालक दल वाली सबमर्सिबल उपलब्ध कराती है, ने अपने सभी अन्वेषणों और वाणिज्यिक परिचालनों को निलंबित कर दिया है।
अमेरिकी अधिकारियों के अनुसार, उत्तरी अटलांटिक में चार दिन बाद (22 जून, 2023) पाए गए टाइटन के अवशेषों से यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि टाइटन सबमर्सिबल में एक “भयंकर अंतःस्फोट” (कैटस्ट्रॉफिक इम्प्लोजन) हुआ होगा, जिससे उसमें सवार पांचों यात्रियों की तुरंत मृत्यु हो गई। अमेरिकी नौसेना के अनुसार, 18 जून को सबमर्सिबल से संपर्क टूटने के तुरंत बाद उन्हें “अंतःस्फोट तुल्य” आवाजों का पता चला था, लेकिन यह जानकारी भी 22 जून को ही सार्वजनिक की गई थी।
माना जा रहा है कि समुद्र में जाने के लगभग 1 घंटे और 45 मिनट के बाद, टाइटन से जब रेडियो संपर्क टूटा था उस समय वह समुद्र तल से 3,500 मीटर नीचे था। यह इतनी गहराई में था कि इस पर हजारों टन, आइफिल टॉवर के तुल्य भार, का भार था।
नॉर्थइस्टर्न यूनिवर्सिटी में भौतिकी के प्रतिष्ठित प्रोफेसर अरुण बंसिल के अनुसार, “मौजूदा प्रौद्योगिकी का अधिकांश भाग स्टील, टाइटेनियम और एल्युमीनियम पर आधारित है; जल के भीतर अत्यधिक दाब को लेकर इनके गुणों के प्रदर्शन के बारे में हम जानते हैं। हालांकि, टाइटन के पोतखोल का डिजाइन प्रायोगिक था। इसमें अधिकतर कार्बन फाइबर का प्रयोग किया गया था, जिसका फायदा यह है कि यह टाइटेनियम या स्टील से हल्का होता है, इसलिए टाइटन में यात्रियों के लिए अधिक जगह हो सकती है। हालांकि, गहरे समुद्र में अनुप्रयोगों के लिए कार्बन फाइबर के गुणों को अच्छी तरह से जांचा नहीं गया है, जैसाकि यह अचानक चटककर टूट सकता है।”
स्पष्ट रूप से अंतःस्फोट विस्फोट के विपरीत होता है। विस्फोट में बल बाहर की ओर कार्य करता है, लेकिन अंतःस्फोट में अंदर की ओर। जब कोई सबमर्सिबल गहन समुद्र में होता है, तो पानी के दाब के कारण उसकी सतह पर दाब का अनुभव होता है। जब यह दाब पोतखोल की सहन क्षमता से अधिक हो जाता है, तो इसमें प्रचंडता से धमाका होता है। इसी प्रकार, जल के भीतर जैसे ही भारी दाब के कारण टाइटन का पोतखोल टूटा होगा, बड़ी मात्रा में ऊर्जा निर्मुक्त हुई होगी और पांचों यात्रियों की तुरंत मृत्यु हो गई होगी। यह प्रक्रिया इतनी तीव्र रही होगी कि उन्हें दर्द का अनुभव भी नहीं हुआ होगा या पता ही नहीं चला होगा कि वे किस चीज से टकराए हैं।
अमेरिकी परमाणु पनडुब्बी के एक पूर्व अधिकारी के अनुसार, जब किसी पनडुब्बी के पोतखोल दुर्घटनाग्रस्त होता है, तो यह लगभग 1,500 मील प्रति घंटे (2,414 किलोमीटर/घंटा) अर्थात प्रति सेकंड 2,200 फीट (671 मीटर) की गति से समुद्र में अंदर की ओर बढ़ता है। ऐसी स्थिति में पूर्ण विध्वंस के लिए आवश्यक समय लगभग एक मिलीसेकंड या एक सेकंड का हजारवां भाग होता है। एक मानव मस्तिष्क किसी उत्तेजना के प्रति सहज रूप से लगभग 25 मिलीसेकंड में प्रतिक्रिया करता है। मानवीय तर्कसंगत प्रतिक्रिया—अनुभूति से लेकर क्रिया तक—का सर्वोत्तम समय 150 मिलीसेकंड माना जाता है। सबमर्सिबल के अंदर की हवा में हाइड्रोकार्बन वाष्प की काफी अधिक सांद्रता होती है। जब पोतखोल अचानक गिरने लगता है, तो हवा स्वतः प्रज्वलित हो जाती है और प्रारंभिक तीव्र अंतःस्फोट के बाद एक विस्फोट होता है और इस दौरान मानव शरीर जलकर तुरंत राख और धूल में बदल सकता है। हालांकि, टाइटन के प्राप्त अवशेषों से इस बात का पता लगाया जा सकता है कि ऐसा क्यों हुआ।
जनवरी 2018 में ओशनगेट ने टाइटन, जिसे पहले साइक्लोप्स 2 के नाम से जाना जाता था, का निर्माण पूरा किया, जो कि 5 व्यक्तियों के बैठने की क्षमता वाला एक सबमर्सिबल था। इसे 4,000 मीटर की गहराई तक गोता लगाने के लिए विकसित किया गया था। 4,000 मीटर (13,000 फीट) की गहराई सीमा के साथ, टाइटन को वाणिज्यिक अन्वेषण और अनुसंधान उद्यमों को गहन समुद्र तक पहुंच प्रदान करने के अवसरों में वृद्धि करने के लिए निर्मित किया गया था।
टाइटन अत्याधुनिक प्रकाश व्यवस्था और सोनार नेविगेशन सिस्टम के साथ-साथ आंतरिक और बाहरी रूप से लगे 4K वीडियो और फोटोग्राफिक उपकरणों से सुसज्जित था। इसका आंतरिक भाग अतिरिक्त निगरानी, निरीक्षण और डेटा संग्रहण के उपकरण के लिए पर्याप्त स्थान प्रदान करता था।
गहन समुद्र में अभियान
टाइटन सबमर्सिबल का गहन समुद्र में जाने का अभियान इस प्रकार का कोई पहला अभियान नहीं था, जिसमें पर्यटकों ने गहन समुद्र की गहराइयों में कुछ पता लगाया या देखा हो। 2012 में कनाडाई फिल्म निर्माता जेम्स कैमरून एक गहन समुद्री अभियान के तहत डीपसी चैलेंजर नामक सबमर्सिबल पर सवार होकर मरियाना ट्रेंच नामक स्थान में पृथ्वी के सबसे गहरे स्थान पर गए थे। उन्होंने लगभग 10,900 मीटर की गहराई से डेटा एवं वीडियो के फुटेज एकत्र किए थे। उनकी गहन समुद्री यात्रा, टाइटैनिक नामक जहाज के समुद्र में डूबने के ठीक 100 वर्ष बाद हुई। कैमरून पहले भी गहन समुद्र की यात्राओं में कई बार टाइटैनिक के मलबे का दौरा कर चुके हैं।
2019 में अमेरिकी खोजकर्ता और निजी निवेशक विक्टर वेस्कोवो ने मरियाना ट्रेंच में समुद्र की 10,928 मीटर तक की गहराई में पहुंचकर एक विश्व रिकार्ड बनाया था।
टाइटैनिक नामक जहाज, जो 1912 में अपनी पहली यात्रा के दौरान ही उत्तरी अटलांटिक के बर्फीले पानी में डूब गया था और 4,000 मीटर (13,000 फीट) की गहराई में समुद्र तल पर पड़ा था, ने पीढ़ियों से लोगों को अपनी ओर आकर्षित किया है। इस दुर्घटना में जहाज के 2,224 यात्रियों में से 1,500 से अधिक लोग मारे गए थे। कई दशकों तक अथाह समुद्र में लुप्त इसके मलबे को आखिरकार 1985 में रॉबर्ट बैलार्ड द्वारा खोज निकाला गया।
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