नागर विमानन मंत्रलय ने 25 अगस्त, 2021 को ड्रोन नियम, 2021 और 26 जनवरी, 2022 को मानव रहित विमान प्रणालियों (यूएएस) के लिए प्रमाणीकरण योजना संबंधी अधिसूचना जारी की थी।
परंतु शैक्षणिक समुदाय, स्टार्टअप्स, लक्षित उपयोगकर्ताओं और अन्य हितधारकों द्वारा इनकी आलोचना (जैसाकि ये नियम मूलतः प्रतिबंधात्मक होने के साथ-साथ काफी जटिल थे) किए जाने के पश्चात सरकार ने इन नियमों में संशोधन कर 11 फरवरी, 2022 को इन्हें ड्रोन (संशोधन) नियम, 2022 के रूप में अधिसूचित किया। ड्रोन, मानव रहित हवाई वाहन (यूएवी—अनमैंड एरियल व्हीकल्स) और दूरस्थ पायलट स्टेशन द्वारा संचालित मानव रहित विमान प्रणालियां (आरपीएएस—रिमोटली पायलेटेड एयरक्राफ्रट सिस्टम) हैं, जिन्हें या तो तकनीक की सहायता से या फिर भूमि पर पायलट द्वारा नियंत्रित किया जाता है।
ड्रोन अर्थव्यवस्था के लगभग सभी क्षेत्रों, जैसे कृषि, खनन, अवसंरचना, आपातकालीन प्रतिक्रिया, परिवहन, भू-स्थानिक मानचित्रण, रक्षा और कानून प्रवर्तन आदि, के लिए महत्वपूर्ण लाभ प्रदान करते हैं। विशेष रूप से, भारत के दुर्गम और दूरस्थ क्षेत्रों में, इनकी पहुंच, विविध क्षमता और उपयोग में सरलता जैसी विशेषताओं के कारण ये रोजगार और आर्थिक विकास के सार्थक निर्माता बन सकते हैं।
नवाचार, सूचना प्रौद्योगिकी, फ्रूगल इंजीनियरिंग (माल और उसके उत्पादन की जटिलता और लागत को कम करने की प्रक्रिया) और अत्यधिक घरेलू मांग में अपने पारंपरिक सामर्थ्य के कारण भारत 2030 तक वैश्विक ड्रोन हब बनने की क्षमता रखता है।
ड्रोन नियम, 2021 विश्वास, स्व-प्रमाणन और अनुचित रूप से निगरानी न करने के सिद्धांतों पर आधारित है, जिसे सुरक्षा और रक्षा की चिंताओं को ध्यान में रखते हुए विकास के युग में प्रवेश करने हेतु परिकल्पित किया गया है।
बिंदुवार ड्रोन नियम
अनुप्रयोज्यताः ये नियम उन सभी ड्रोनों पर लागू होंगे, जिनका अधिकतम भार 500 किग्रा. होगा, और जो भारत में पंजीकृत हों या जिन्हें भारत में प्रचालित किया जा रहा हो।
मानव-रहित वायुयान प्रणालियों का वर्गीकरणः मानव-रहित वायुयान प्रणालियों को पेलोड सहित उनके अधिकतम समग्र भार के आधार पर निम्नानुसार वर्गीकृत किया गया हैः
(i) अति सूक्ष्म मानव-रहित वायुयान प्रणालीः 250 ग्राम से कम या बराबर;
(ii) सूक्ष्म मानव-रहित वायुयान प्रणालीः 250 ग्राम से अधिक किंतु दो किग्रा. से कम या बराबर;
(iii) लघु मानव-रहित वायुयान प्रणालीः दो किग्रा. से अधिक किंतु 25 किग्रा. से कम या बराबर;
(iv) मध्यम मानव-रहित वायुयान प्रणालीः 25 किग्रा. से अधिक किंतु 150 किग्रा. से कम या बराबर; तथा
(v) विशाल मानव-रहित वायुयान प्रणालीः 150 किग्रा. से अधिक।
जोनों का वर्गीकरणः ड्रोन नियम, 2021 और इससे संबद्ध वायुक्षेत्र मानचित्र में भारतीय वायुक्षेत्र को तीन क्षेत्रों में वर्गीकृत किया गया हैः
ग्रीन जोनः ग्रीन जोन से तात्पर्य ऐसे भूमिक्षेत्र या भारत के राज्यक्षेत्रीय समुद्र से 400 फुट या 120 मीटर की ऊर्ध्वाधर (वर्टिकल) दूरी तक के वायुक्षेत्र से है, जिसे मानव-रहित वायुयान प्रणाली प्रचालनों के लिए वायुक्षेत्र के मानचित्र में रेड जोन या येलो जोन के रूप में नामित नहीं किया गया है और जो किसी प्रचालनिक हवाई अड्डे की परिधि से 8 किमी. और 12 किमी. की क्षैतिज (लेट्रल) दूरी के बीच भूमि से ऊपर 200 फुट या 60 मीटर के वायुक्षेत्र में स्थित है। इस जोन में 500 किग्रा. तक वजन वाले ड्रोन के परिचालन के लिए किसी प्रकार की अनुमति की आवश्यकता नहीं है।
येलो जोनः येलो जोन का अर्थ भारत के भूमि क्षेत्रों या प्रादेशिक जल के ऊपर परिभाषित आयामों के हवाई क्षेत्र से है, जिसके भीतर मानव-रहित विमान प्रणाली का परिचालन प्रतिबंधित है, और इसके लिए संबंधित हवाई यातायात नियंत्रण प्राधिकरण से अनुमति लेने की आवश्यकता होगी। विनिर्दिष्ट ग्रीन जोन में 400 फीट या 120 मी. से ऊपर का हवाई क्षेत्र और एक परिचालन हवाई अड्डे की परिधि से 8 किमी. और 12 किमी. की पार्श्व दूरी के बीच स्थित क्षेत्र में 200 फीट या 60 मी. से ऊपर के हवाई क्षेत्र को येलो जोन के रूप में नामित किया जाएगा।
रेड जोनः रेड जोन का अर्थ है, भारत के भूमि क्षेत्रों या क्षेत्रीय जल के ऊपर, या भारत के क्षेत्रीय जल से परे केंद्र सरकार द्वारा विनिर्दिष्ट कोई स्थापना या अधिसूचित बंदरगाह सीमा में परिभाषित आयामों का हवाई क्षेत्र, जिसके भीतर केंद्र सरकार द्वारा मानव-रहित विमान प्रणाली संचालन की अनुमति होगी।
भारत के हवाई क्षेत्र का मानचित्र
आत्मनिर्भर भारत के अपने सामूहिक दृष्टिकोण को साकार करने की दिशा में एक और कदम उठाते हुए, सरकार ने 24 सितंबर, 2021 को ड्रोन संचालन के लिए भारत के हवाई क्षेत्र का मानचित्र जारी किया। यह मानचित्र लॉग-इन की आवश्यकता के बिना सबके लिए डीजीसीए के डिजिटल स्काई प्लेटपफॉर्म https://digitalsky.dgca.gov.in.home पर उपलब्ध है। ड्रोन संचालन के लिए वायुक्षेत्र का मानचित्र भारत का एक परस्पर प्रभावकारी मानचित्र है जो पूरे देश में ग्रीन, येलो और रेड जोन का सीमांकन करता है। इस मानचित्र को अधिकृत संस्थाओं द्वारा समय-समय पर संशोधित किया जा सकता है।
रिमोट पायलट प्रमाणपत्र: संशोधित अधिनियम [ड्रोन (संशोधन) नियम, 2022] के तहत अधिकतर स्थानों पर ‘अनुज्ञप्ति’ शब्द को ‘प्रमाणपत्र’ से प्रतिस्थापित या उसका लोप कर दिया गया है, जिसके अनुसार—
(i) ड्रोन का प्रचालन करने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए प्रमाणपत्र प्राप्त करना आवश्यक है;
(ii) उसकी न्यूनतम उम्र 18 वर्ष तथा अधिकतम उम्र 65 वर्ष हो;
(iii) उसने किसी मान्यता प्राप्त बोर्ड से दसवीं की परीक्षा या उसकी समतुल्य परीक्षा उत्तीर्ण की हो;
(vi) उसने किसी प्राधिकृत रिमोट पायलट प्रशिक्षण संगठन से सफलतापूर्वक प्रशिक्षण प्राप्त किया हो। (हालांकि, ड्रोन नियम, 2021 में केवल नागर विमानन के महानिदेशक को रिमोट पायलट प्रमाणपत्र जारी करने का अधिकार था, लेकिन संशोध्ति अधिनियम के अंतर्गत ऐसे प्रमाणपत्र जारी करने का अधिकार प्राधिकृत प्रशिक्षण संगठनों को दिया गया है।)
(v) सफलतापूर्वक प्रशिक्षण पूरा कर लेने के पश्चात, ड्रोन चालक के लिए रिमोट पायलट प्रमाणपत्र प्राप्त करने हेतु प्रशिक्षण संगठन द्वारा प्रशिक्षण की समाप्ति का प्रमाणपत्र जारी करने के 15 दिनों के भीतर डिजिटल स्काई प्लेटफॉर्म (यह ड्रोन प्रचालन हेतु पंजीकरण कराने और प्रमाणपत्र प्राप्त करने की प्रक्रिया को सरल बनाने वाली एक यातायात प्रबंधन प्रणाली है। यह प्रचालकों को प्रत्येक उड़ान के लिए तत्काल ऑनलाइन अनुमति प्रदान करेगी।) पर आवेदन करना होगा।
(vi) रिमोट पायलट सर्टिफिकेट की वैधता दस वर्ष होगी। माइक्रो (गैर-व्यावसायिक उपयोग के लिए) और नैनो ड्रोन के प्रचालकों को रिमोट पायलट प्रमाणपत्र की आवश्यकता से छूट दी गई है।
अनुसंधान, विकास और परीक्षण के लिए मानव-रहित विमान प्रणाली प्रचालनः अनुसंधान, विकास और परीक्षण उद्देश्यों के लिए निम्नलिखित व्यक्तियों को मानव-रहित विमान प्रणालियों के प्रचालन हेतु टाइप प्रमाणपत्र, विशिष्ट पहचान संख्या, पूर्व अनुमति तथा रिमोट पायलट प्रमाणपत्र की आवश्यकता नहीं होगी, अर्थातः
(i) केंद्रीय सरकार या राज्य सरकार या संघ राज्य क्षेत्र प्रशासन के प्रशासनिक नियंत्रण में या उनसे मान्यता प्राप्त अनुसंधान एवं विकास संस्था;
(ii) केंद्रीय सरकार या राज्य सरकार या संघ राज्य क्षेत्र प्रशासन के प्रशासनिक नियंत्रण में या उनसे मान्यता प्राप्त शैक्षणिक संस्था;
(iii) उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग द्वारा मान्यता प्राप्त स्टार्टअप;
(iv) कोई प्राधिकृत परीक्षण संस्था; और
(v) कोई भी मानव-रहित वायुयान प्रणाली निर्माता जिसके पास वस्तु और सेवा कर पहचान संख्या है।
परंतु इस तरह की मानव-रहित विमान प्रणाली का प्रचालन ग्रीन जोन के भीतर और उस व्यक्ति के परिसर के भीतर हों जहां ऐसा अनुसंधान, विकास और परीक्षण किया जा रहा हो; या ऐसे व्यक्ति के नियंत्रण में किसी ग्रीन जोन के खुले क्षेत्र में हो।
आयात के विनियमः मानव-रहित वायुयान के आयात को, विदेश व्यापार महानिदेशालय या केंद्रीय सरकार द्वारा प्राधिकृत किसी अन्य इकाई द्वारा विनियमित किया जाएगा।
ड्रोन नियमों पर आधरित अन्य बिंदु
- विशिष्ट प्राधिकार संख्या, विशिष्ट प्रोटोटाइप पहचान विनिर्माण और उड़ान योग्यता का प्रमाण-पत्र, अनुरूपता का प्रमाण-पत्र, रखरखाव का प्रमाण-पत्र, आयात मंजूरी, मौजूदा ड्रोनों की स्वीकृति, ऑपरेटर परमिट, अनुसंधान एवं विकास संगठन का प्राधिकार, छात्र रिमोट पायलट लाइसेंस, रिमोट पायलट प्रशिक्षक प्राधिकार, ड्रोन बंदरगाह प्राधिकार आदि जैसे अनेक अनुमोदन समाप्त कर दिए गए हैं।
- प्रपत्रों और शुल्कों की संख्या कम कर दी गई हैं।
- किसी भी पंजीकरण या प्रमाण-पत्र को जारी करने से पहले सुरक्षा मंजूरी की कोई आवश्यकता नहीं होगी।
- भारतीय ड्रोन कंपनियों में विदेशी स्वामित्व से संबंधित कोई प्रतिबंध नहीं है।
- क्वालिटी काउंसिल ऑफ इंडिया या अधिकृत परीक्षण संस्थाओं द्वारा टाइप सर्टिफिकेट जारी करने के लिए ड्रोन का परीक्षण किया जाएगा।
- टाइप सर्टिफिकेट की आवश्यकता तभी होगी जब ड्रोन भारत में परिचालित किया जाएगा। केवल निर्यात के लिए ड्रोन के आयात और विनिर्माण को टाइप प्रमाणन और विशिष्ट पहचान संख्या से छूट दी जाएगी।
- निर्माता और आयातकर्ता स्व-प्रमाणन मार्ग के माध्यम से डिजिटल स्काई प्लेटफॉर्म पर अपने ड्रोन के लिए विशिष्ट पहचान संख्या का सृजन कर सकते हैं।
- डिजिटल स्काई प्लेटफॉर्म के माध्यम से ड्रोन के हस्तांतरण और पंजीकरण को रद्द करने के लिए एक आसान प्रक्रिया निर्दिष्ट की गई है।
- 30 नवंबर, 2021 को या उससे पहले भारत में मौजूद ड्रोन के लिए डिजिटल स्काई प्लेटफॉर्म के माध्यम से एक विशिष्ट पहचान संख्या जारी की जाएगी, बशर्ते उनके पास एक विधिमान्य ड्रोन पावती संख्या हो, एक जीएसटी-भुगतान बिल हो, और वह ड्रोन नागर विमानन के महानिदेशक (डीजीसीए) द्वारा अनुमोदित मानव-रहित वायुयान प्रणालियों की सूची का हिस्सा हो।
- नियमों के उल्लंघन के लिए अधिकतम जुर्माने की राशि को घटाकर 1 लाख रुपये कर दिया गया है।
- भविष्य में ‘नो परमिशन-नो टेकऑफ’ (एनपीएनटी), रियल-टाइम ट्रैकिंग बीकन, जियो-फेंसिंग आदि सुरक्षा और संरक्षा सुविधाओं को अधिसूचित किया जाएगा। इसके अनुपालन के लिए उद्योग को छह महीने का समय दिया जाएगा।
- कार्गो डिलिवरी के लिए ड्रोन कॉरिडोर विकसित किए जाएंगे।
- सरकार द्वारा विकासोन्मुखी नियामक व्यवस्था को सुगम बनाने के लिए शिक्षा जगत, स्टार्टअप्स और अन्य हितधारकों की भागीदारी के साथ ड्रोन प्रोत्साहन परिषद की स्थापना की जाएगी।
केंद्र सरकार ने 30 सितंबर, 2021 को ड्रोन और ड्रोन के कलपुर्जों के लिए उत्पादन संबद्ध प्रोत्साहन (प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव—पीएलआई योजना) को अधिसूचित किया था। इस योजना का उद्देश्य भारत में ड्रोन और ड्रोन के कलपुर्जों के विनिर्माण को प्रोत्साहित करना है, ताकि उन्हें आत्मनिर्भर और विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाया जा सके।
निष्कर्ष
नए निमयों का उद्देश्य, पंजीकरण और भुगतान किए जाने वाले शुल्कों के लिए एकाधिक चालानों तथा अनुपालनों की आवश्यकताओं को कम करने, और इनके लिए एक सिंगल विंडो सिस्टम (सिंगल विंडो सिस्टम को ऐसी सुविधा के रूप में परिभाषित किया जाता है, जो व्यापार और परिवहन में शामिल पक्षों को आयात, निर्यात और पारगमन संबंधी सभी नियामक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए एक एकल प्रवेश बिंदु के साथ मानकीकृत जानकारी और दस्तावेजों को दर्ज करने की अनुमति प्रदान करती है।) उपलब्ध कराने के माध्यम से इस क्षेत्र में व्यापार को सरल बनाने के लिए महत्वपूर्ण सुधर करना है।
निकट भविष्य में सरकार द्वारा इस संबंध में दिशानिर्देश व नीतियां जारी की जाएंगी, जो इन नियमों को लागू करने में सहायता करेंगी। इन नीतियों में यातायात प्रबंधन और सुरक्षा की आवश्यकता पर आयात और विनिर्माण नीति के लिए मानक शामिल होंगे। विशेषज्ञों के अनुसार, ड्रोन के संचालन के निरीक्षण की रूपरेखा से परे और ड्रोन के प्रयोग को व्यापक रूप से संबोधित करने जैसे व्यापार के लिए आवश्यक विनियमों को नए मानव रहित विमान प्रणाली नियमों में शामिल किया जाना चाहिए।
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