नासा द्वारा 7 दिसम्बर, 2021 को प्रक्षेपित लेजर कम्युनिकेशंस रिले डेमॉन्स्ट्रेशन (एलसीआरडी) सूर्य के विकिरण का अध्ययन करने वाली नासा की पहली लेजर संचार प्रणाली है, और यह अन्तरिक्ष में पृथ्वी और भूतुल्यकाली कक्षा के बीच बेहद लम्बी दूरियों हेतु ऑप्टिकल (दृष्टि-विषयक) संचार के परीक्षण में मदद करेगी। नासा के गोडार्ड स्पेस फ्लाइट सेण्टर द्वारा विकसित (एलसीआरडी, स्पेस टेस्ट प्रोग्राम 3 मिशन का हिस्सा है जो यूएस स्पेस फोर्स और नासा का एक संयुक्त प्रयास है।) नई लेजर संचार प्रौद्योगिकी से सौर मण्डल के बारे में अधिक सही जानकारी एकत्र करने की सम्भावनाओं का विस्तार किया जाना अपेक्षित है। एलसीआरडी अधिकांश नासा मिशनों की तुलना में ऑप्टिकल संचार की अनूठी क्षमताओं की प्रदर्शन करेगा, जो अन्तरिक्ष अन्वेषण की शुरुआत के बाद से अन्तरिक्षयान द्वारा डेटा भेजे जाने के लिए सफलतापूर्वक रेडियो फ्रीक्वेंसी संचार का उपयोग कर रहे हैं। हालांकि, बढ़ी हुई संचार क्षमताओं की आवश्यकता महत्वपूर्ण हो जाती हैं, क्योंकि अन्तरिक्ष मिशन अधिक डेटा उत्पन्न और एकत्र करते हैं।

एलसीआरडी अदृश्य इन्फ्रारेड लेजर के माध्यम से डेटा भेजेगा और प्राप्त करेगा, तथा नासा की दो-तरफा लेजर रिले संचार प्रणाली का प्रदर्शन करेगा। इस प्रकार, ऑप्टिकल संचार पारम्परिक रेडियो फ्रीक्वेंसी प्रणालियों की तुलना में डेटा की दरों को 10 से 100 गुना तक बढ़ने में सहायता करेगा और उसे सक्षम बनाएगा। यह रेडियो फ्रीक्वेंसी स्पेक्ट्रम [रेडियो फ्रीक्वेंसी स्पेक्ट्रम विद्युत चुम्बकीय स्पेक्ट्रम (शून्य से अनन्त तक विद्युत चुम्बकीय विकिरण की आवृत्तियों की सीमा) का एक हिस्सा है, जिसमें एण्टिना की प्रत्यावर्ती धारा द्वारा विद्युत चुम्बकीय तरंगें उत्पन्न की जा सकती हैं।] की अतिसंकुलता पर भी रोक लगाएगा, जो पिछले कुछ दशकों में पृथ्वी की निचली कक्षाओं में उपग्रहों के तेजी से बढ़ते प्रत्यय संघात (घटनाओं का अनपवर्जक और व्यवस्थित समूहन) के कारण हो रहा है।

एलसीआरडी भूतुल्यकाली कक्षा से पृथ्वी पर 1.2 गीगाबिट प्रति सेकेण्ड की दर से डेटा संचारित करेगा। यह संचार प्रणाली छोटी, हल्की, और रेडियो फ्रीक्वेंसी प्रणाली की तुलना में कम ऊर्जा का उपयोग करती है। छोटे आकार का अर्थ है, विज्ञान के उपकरणों के लिए अधिक जगह; कम वजन से प्रक्षेपण व्यय में कमी; और ऊर्जा की कम खपत का मतलब है, न्यूनतम ड्रेनेज ऑफ बैटरी (बैटरी की वोल्टेज, या ऊर्जा की खपत की प्रक्रिया)। इसके अलावा, एलसीआरडी की उच्च बैण्डविड्थ [एक डेटा संचरण दर; सूचना की अधिकतम मात्रा (बिट प्रति सेकेण्ड) जो एक चैनल के साथ संचारित की जा सकती है।)] पूरे सौर मण्डल में रोबोटिक और मानव अन्वेषण को उन्नत कर सकती है।

एलसीआरडी भविष्य के ऑप्टिकल संचार मिशनों का मार्ग प्रशस्त करेगा, जो अन्तःशक्ति के रूप में एलसीआरडी का उपयोग अपने रिले (प्रतिसारण केन्द्र) के रूप में कर सकते हैं। एलसीआरडी के पहले परिचालन उपयोगकर्ताओं में इण्टिग्रेटिड एलसीआरडी लो-अर्थ ऑर्बिट यूजर मोडेम एंड एम्पलीफायर टर्मिनल (आईएलएलयूएमए-टी), एक पेलोड (अन्तरिक्ष उपकरण) जिसे इण्टरनेशनल स्पेस स्टेशन पर होस्ट किया जाएगा, शामिल हैं। इस टर्मिनल को अन्तरिक्ष स्टेशन पर प्रयोगों और उपकरणों से विज्ञान सम्बन्धी उच्च-विभेदन डेटा प्राप्त होगा, और फिर इस डेटा को एलसीआरडी को स्थानान्तरित कर दिया जाएगा जो इसे एक भू-स्टेशन तक पहुंचाएगा। उसके बाद, इसे मिशन संचालन केन्द्रों और मिशन से जुड़े वैज्ञानिकों तक पहुंचाया जाएगा।

एलसीआरडी दो साल तक अन्तरिक्ष में विभिन्न प्रयोग करेगा। यह आकलन करेगा कि पृथ्वी के वायुमण्डल में मौसम और अन्य परिवर्तन लेजर संचार को किस प्रकार से प्रभावित कर सकते हैं, तथा संचालन एवं प्रक्रिया के शोधन के लिए लिंक परफॉर्मेंस का मापन कर सकते हैं।

नासा के स्पेस कम्युनिकेशंस एण्ड नेविगेशन (SCaN) कार्यक्रम के उप सहयोगी प्रशासक बद्री यूनुस के अनुसार, एलसीआरडी ‘डीकेड ऑफ लाइट’ पहल को बढ़ावा देने के लिए नासा का एक प्रमुख मील का पत्थर है, जिसमें अन्तरिक्ष सम्बन्धी संचार और मार्ग-निर्देशन में ऑप्टिकल तकनीक का समावेश शामिल है। 2030 के दशक तक, ऑप्टिकल प्रौद्योगिकी के एक अन्तःप्रचालनीय, विश्वसनीय और मजबूत अन्तरिक्ष संचार अवसंरचना को सुदृढ़ करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाना अपेक्षित है, जो सरकार और वाणिज्यिक उपयोगकर्ताओं और प्रदाताओं के बीच निर्बाध संचालन और रोमिंग क्षमता प्रदान करेगा।

हालांकि, रेडियो फ्रीक्वेंसी संचार के विपरीत, ऑप्टिकल सिग्नल (चाक्षुष संकेत) क्लाउड कवरेज (बादलों से आच्छादित आकाश) में प्रवेश नहीं कर सकते हैं। इसलिए, नासा को मौसम के कारण आने वाली रुकावटों से बचने के लिए पर्याप्त लचीली प्रणाली का निर्माण करना चाहिए। एलसीआरडी, मिशनों से प्राप्त डेटा को कैलिफोर्निया में टेबल माउन्टेन स्थित दो भू-स्टेशनों और न्यूनतम क्लाउड कवरेज के लिए चुने गए हलाकाला हवाई (Haleakala Hawaii) में प्रसारित करेगा। यह अन्तरिक्ष के बारे में बहुमूल्य जानकारी एकत्र करते हुए विभिन्न क्लाउड कवरेज परिदृश्यों का भी परीक्षण करेगा।


लेजर बनाम रेडियो संचार प्रौद्योगिकी

एलसीआरडी संचार और रेडियो संचार प्रौद्योगिकी—प्रकाश की विभिन्न तरंग दैर्घ्य का उपयोग करती है। एलसीआरडी इन्फ्रारेड लाइट का उपयोग करता है और रेडियो तरंगों की तुलना में लघु तरंग दैर्घ्य होता है। इससे कम समय में ज्यादा डाटा संचारित करने में सहायता मिलेगी। नासा के अनुसार, वर्तमान रेडियो फ्रीक्वेंसी प्रणालियों को मंगल के पूरे मानचित्र को वापस पृथ्वी पर भेजने में लगभग नौ सप्ताह लगेंगे, जबकि एलसीआरडी इसे बहुत तेजी से, लगभग नौ दिनों में भेजता है। संक्षेप में, एलसीआरडी के विकास के साथ अन्तरिक्ष मिशनों के संचालन हेतु अद्वितीय संचार क्षमताएं प्राप्त होंगी।


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