केंद्र सरकार ने 26 जून, 2018 को मेट्रो रेल में मानकीकरण और स्वदेशीकरण के लिए डॉ. ई. श्रीधरन (मेट्रो मैन) की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया। देश में मेट्रो रेल परियोजनाओं के प्रणालीगत और सतत् विकास के लिए विभिन्न कदम उठाए गए हैं। विश्व की सर्वाधिक आधुनिक सिग्नल प्रणाली अर्थात् संचार आधारित ट्रेन नियंत्राण (सीबीटीसी) प्रणाली के विनिर्देश संयुक्त रूप से बीईएल, सी-डैक, डीएमआरसी, एसटीक्यूसी द्वारा आवास और शहरी कार्य मंत्रालय के माध्यम से तैयार किए जा रहे हैं। सीबीटीसी प्रणाली पहली बार देश में कोच्चि मेट्रो रेल द्वारा लागू की गई है। लेकिन कई अन्य क्षेत्रा हैं जिनके लिए स्वदेशी मानक बनाए जाने की आवश्यकता है। इनमें मेट्रो स्टेशन की रूपरेखा, प्लेटफॉर्म, संकेतक, सुरंगों का आकार, अग्नि सुरक्षा प्रणाली, आपदा प्रबंधन प्रणाली, पर्यावरण अनुकूल और कचरा प्रबंधन प्रणाली, स्टेशनों पर सौर पैनलों के लिए मानक शामिल हैं। इन स्वदेशी मानकों से यह सुनिश्चित होगा कि सभी नई मेट्रो परियोजनाओं के लिए मेट्रो रेल उप-प्रणालियां निर्धारित मानकों की पुष्टि करती हैं।

देश के 10 नगरों में 490 किलोमीटर की मेट्रो लाइनें चालू हैं। विभिन्न शहरों में 600 कि.मी. से अधिक की मेट्रो रेल परियोजनाएं निर्माणाधीन हैं। आगामी कुछ वर्षों में मेट्रो रेल में काफी वृद्धि होगी। जिसमें 350 कि.मी. से अधिक मेट्रो रेल लाइन का निर्माण किया जाएगा, क्योंकि अधिकाधिक शहर विस्तार की योजना या मेट्रो रेल के नए निर्माण की योजना बना रहे हैं। मेट्रो रेल के अतिरिक्त क्षेत्राीय रैपिड ट्रांसपोर्ट सिस्टम (आरआरटीएस) दिल्ली और एनसीआर में भीड़-भाड़ कम करने के लिए चलाई जा रही हैं। आरआरटीएस के पहले चरण में तीन गलियारे हैं, जो लगभग 380 कि.मी. लम्बाई वाले हैं। इस परिवहन तंत्रा से दिल्ली, अलवर सोनीपत और मेरठ जुड़ जाएंगे।

जैसाकि विदित है कि परिवहन व्यवस्था देश के विकास एवं समृद्धि हेतु महत्वपूर्ण कारकों में से एक है। द्रुत औद्योगिकीकरण, शहरीकरण, वैश्वीकरण के परिणामस्वरूप शहरी केंद्रों में अत्यधिक आबादी का सकेंद्रीकरण हो रहा है। इस तीव्र आवाजाही (व्यक्ति, सामानों एवं सेवाओं की) हेतु मेट्रो रेल परियोजनाएं न केवल परिवहन समाधान के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं, अपितु शहरों को परिवर्तित करने के एक अपरिहार्य साधन के तौर पर भी कार्य कर रही हैं।

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