साइंस एडवांसिज नामक जर्नल में 13 जनवरी, 2021 को प्रकाशित एक लेख ‘ओल्डेस्ट केव आर्ट फाउंड इन सुलावेसी’ के अनुसार, पुरातत्वविदों द्वारा इंडोनेशिया के सुलावेसी द्वीप में स्थित लिएंग टेडॉन्गे नामक गुफा में प्राचीनतम भित्तिचित्र खोजा गया है, जो लगभग 45,500 वर्ष पुराना है। इस भित्तिचित्र में द्वीप के स्थानीय जंगली शूकर (सूअर) का वर्णन किया गया है, जिसमें चार सूअरों की आकृतियां बनी हुई हैं।इस शोध को प्रकाशित करने वाले पुरातत्वविदों की मानें तो यह विश्व की अब तक की सबसे पुरानी गुफा कला है, जिसकी खोज दिसंबर 2017 में ग्रिफिथ यूनिवर्सिटी के स्नातक विद्यार्थी एवं इस शोध के सह-लेखक बसरन बुरहान के नेतृत्व में किए गए पुरातात्विक सर्वेक्षण में की गई थी।
सुलावेसी, इंडोनेशिया में स्थित वॉलेशिया (Wallacea) का सबसे बड़ा द्वीप है, जिसका क्षेत्रफल 17,400 वर्ग किमी. से भी अधिक है। पुरातत्वविदों का मानना है कि एशिया और ऑस्ट्रेलिया के बीच स्थित इस द्वीप पर बहुत समय पहले इंसानों की बसावट रही होगी। लिएंग टेडॉन्गे नामक गुफा, मकस्सर शहर (1.5 मिलियन आबादी वाले) से लगभग 40 मील दूर है, लेकिन कठिन मार्ग के कारण इस गुफा तक पहुंचना इससे पहले संभव नहीं हो सका था।
शोध के अनुसार, 136 × 54 सेमी. के इस भित्तिचित्र में संपूर्ण चित्रित सूअर के सिर पर बनी बालों की एक छोटी-सी शिखा (चोटी) और आंखों के सामने चेहरे पर सींगों के जोड़े की तरह उभरे हुए मस्से दिखाई देते हैं। गहरे लाल-गेरू रंग से चित्रित किए गए इस सूअर को देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि यह अपने दाहिनी ओर खड़े अन्य दो सूअरों (जिन्हें आंशिक रूप से संरक्षित किया जा सका है) के साथ युद्ध या सामाजिक संवाद कर रहा हो। इस भित्तिचित्र के पास ही मनुष्य के हाथों के दो चिह्न भी पाए गए हैं। अन्य दोनों सूअरों के भित्तिचित्र125 × 53 और 138 × 71 सेमी. बड़े हैं जबकि इन दोनों सूअरों के ऊपर उकेरी गई चौथी आकृति लगभग पूरी तरह से मिट गई है।
शोधकर्ताओं के अनुसार, सदियों पहले मनुष्यों द्वारा सुलावेसी सूअरों का शिकार किया जाता था और वे हिमयुग के शैल भित्तिचित्रों में सामान्यतः चित्रित किए जाने वाले पशु हैं, जो यह संकेत देते हैं कि तत्कालीन समय में इनका उपयोग खाद्य के साथ-साथ रचनात्मक और कलात्मक अभिव्यक्ति के लिए भी किया जाता था।
वर्ष 2018 में, ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी प्रेस द्वारा प्रकाशित ‘आर्कियोलॉजी ऑफ सुलावेसी’ में हिमयुग के दौरान निर्मित गुफाचित्रों का उल्लेख किया गया, जो इस क्षेत्र में होमिनिन्स की उपस्थिति के प्रमाण हैं। [ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी के अनुसार, टैक्सोनोमिक जनजाति (होमिनीनी) के आंरभिक समूह को होमिनिन्स कहा जाता है। इनमें उन प्रजातियों को शामिल किया गया है जो आधुनिक मनुष्यों से अत्यधिक मिलते-जुलते या उनके पैतृक पूर्वज थे।]
लिएंग टेडॉन्गे के निकट ही एक अन्य गुफा, लिएंग बालंगाजिया में भी एक छोटे से साइड चेंबर (फलक कोष्ठ) की छत पर एक बड़े सूअर का भित्तिचित्र मिला है, जो 187 सेमी. चौड़ा और 110 सेमी. ऊंचा है। लाल रंग से उकेरा गया यह भित्तिचित्र32,000 वर्ष पुराना है। इन दोनों गुफाओं के भित्तिचित्रों में सूअर के संपूर्ण शरीर की रूपरेखा को उकेर कर निर्मित किया गया है तथा दोनों सूअरों को स्थिर एवं अचल दर्शाया गया है। प्रागैतिहासिक कलाकारों द्वारा इन भित्तिचित्रों में स्पष्ट रूप से किसी भी प्राथमिक यौन विशेषता का चित्रण न करके गौण यौन विशेषताओं को चित्रित किया गया है।
पुरातत्वविदों के अनुसार, इन भित्तिचित्रों को बनाने वाले कलाकार संभवतः होमो सेपियन्स (होमो सेपियन्स पहले आधुनिक मनुष्य थे, जो आज से 200,000-300,000 वर्षों पूर्ण अपने पूर्वज होमिनिड से विकसित हुए थे।) थे, जिनके पास इस प्रकार की चित्रकारी करने के लिए पर्याप्त साधन थे।
विशेषज्ञों की मानें तो, चट्टानों पर धुंधले नजर आने वाले इन भित्तिचित्रों का समय ज्ञात करना कोई सरल कार्य नहीं है। भित्तिचित्र कितने पुराने हैं, यह समझने के लिए उनके द्वारा रंगों की मदद से यू-सीरीज आइसोटॉप एनालिसिस तकनीक (यह काल निर्धारण की एक रेडियोमेट्रिक पद्धति है, जिसके अंतर्गत यूरेनियम के रेडियोधर्मी क्षय के आधार पर किसी वस्तु की आयु (या काल) का निर्धारण किया जाता है। इस तकनीक का प्रयोग मुख्यतः चट्टानों में स्टैलैग्मिाटिक कैल्साइट के निर्माण के समय का पता लगाने के लिए किया जाता है।) का प्रयोग किया गया, जिसके तहत भित्तिचित्र पर प्राकृतिक रूप से जमा कैल्शियम कार्बोनेट का काल ज्ञात कर भित्तिचित्र की आयु का आकलन किया गया। चूंकि कैल्साइट—आधारित यह तकनीक केवल भित्तिचित्रों के काल का अनुमान लगा सकती है, इसलिए उन भित्तिचित्रों का सटीक समय ज्ञात करने हेतु लिएंग टेडॉन्गे में मिले भित्तिचित्र के पास पाए गए हाथों के चिह्नों से डीएनए के नमूने प्राप्त कर उनका परीक्षण करने का प्रयास किया जाएगा।
इससे पहले, वर्ष 2019 में पुरातत्वविदों के इसी दल द्वारा सुलावेसी में ही स्थित एक अन्य गुफा में मनुष्य तथा पशु के वर्णसंकर किसी प्राणी द्वारा सूअर और भैंस का शिकार करने वाले एक भित्तिचित्र की खोज की गई थी, जिसके लगभग 43,900 वर्ष पुराने होने का दावा किया गया था, और उस अध्ययन को ‘नेचर’ जर्नल में प्रकाशित किया गया था।
सुलावेसी में पाए जाने वाले इन भित्तिचित्रों से पहले यूरोप की एक गुफा में खोजे गए भित्तिचित्र को सबसे प्राचीन माना जाता था, जो 14,000 से 21,000 वर्ष पुराना था।