वैश्विक पोषण रिपोर्ट 2018 (जीएनआर) जारी कर दी गई है। वैश्विक पोषण रिपोर्ट की परिकल्पना 2013 में नुट्रिशन ग्रोथ इनिशिएटिव सम्मिट (N4G) के प्रथम सम्मलेन में की गयी थी। इसका उद्देश्य सरकारों, सहायता दाताओं, नागरिक समाज, संयुक्त राष्ट्र और व्यवसायों में फैले 100 हितधारकों द्वारा की गई प्रतिबद्धताओं को ट्रैक करने के लिए एक तंत्र बनाने का था।
रिपोर्ट की मुख्य विशेषताएं:
वैश्विक रूप से कुपोषण का स्तर काफी उच्च है और इसमें बहुत धीमी गति से सुधार हो रहा है।
कम और मध्यम आय वाले देशों में पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों की मृत्यु का लगभग 45% कारण कुपोषण रहता है।
अधिक वजन और मोटापे से विश्व में लगभग 4 मिलियन मौत हुई और लगभग 38.9% वयस्क मोटापे से ग्रस्त हैं जबकि 20 मिलियन शिशु प्रत्येक वर्ष कुपोषण से ग्रस्त पैदा होते हैं।
वैश्विकअर्थव्यवस्था पर कुपोषण का प्रभाव प्रति वर्ष यूएस 3.5 ट्रिलियन के करीब है, सिर्फ मोटापे पर ही प्रति वर्ष 500 बिलियन अमेरिकी डॉलर खर्च हो जाते हैं।
रिपोर्ट के अनुसार में स्कूल जाने वाले बच्चों , किशोर और वयस्क वर्तमान में परिष्कृत अनाज, शर्करा वाले खाद्य पदार्थ और पेय अधिक खा रहे हैं और फल, सब्जियां और अनाज नहीं ले रहे हैं।
भारत वैश्विक कुपोषण और बौनेपन का एक तिहाई भाग का बोझ उठाता है जो कि लगभग 31%है। यूनिसेफ के अनुसार, स्टंटिंग या बौनापन लंबी अवधि तक अपर्याप्त पोषक तत्व सेवन और लगातार संक्रमण के कारण होती है।
स्टंटिंग या बौनापन जिलेवार भिन्न भिन्न है (12.4% से 65.1% तक), जिसमें से 604 जिलों में से 239 में यह 40% से ऊपर है। जिलों के बीच इस भिन्नता पर शिक्षा, आर्थिक स्थिति, स्वास्थ्य, स्वच्छता, लिंग और अन्य जनसांख्यिकीय कारक प्रभाव डालते हैं ।
भारतमें 46.6 मिलियन बच्चे स्टंटिंग से ग्रस्त हैं यह संख्या विश्व में सर्वाधिक है , इसके बाद नाइजीरिया (13.9 मिलियन)और पाकिस्तान (10.7 मिलियन) है। भारतमें ग्रामीण क्षेत्रों में 26.8% कीतुलना में शहरों में यह स्तर 19.2% है। भारत उन देशों में से भी एक है जहां अधिक वजन वाले (ओवरवेट) दस लाख से ज्यादा बच्चे हैं।
सभी रूपों में कुपोषण को समाप्त करने के लिए बेहतर प्रतिबद्धताओं की और वैश्विक पोषण लक्ष्यों को पूरा करने के लिए एक महत्वाकांक्षी, परिवर्तनीय दृष्टिकोण की आवश्यकता है।