5 अक्तूबर, 2013 को स्वीडिश एकेडमी द्वारा नॉर्वेजियन लेखक, जॉन ओलाव फॉसे (Jon Olav Fosse) का नाम 2023 के साहित्य के नोबेल पुरस्कार के लिए घोषित किया गया। यह पुरस्कार उन्हें उनके “अभिनव नाटकों और गद्य, जो अकथनीय को आवाज देते हैं”, के लिए प्रदान किया गया। फॉसे 1928 में सिग्रीड अंडसेट के बाद साहित्य में नोबेल पुरस्कार जीतने वाले दूसरे नॉर्वेजियन कैथोलिक लेखक हैं। उल्लेखनीय है कि 10 दिसम्बर, 2023 को विजेताओं को यह पुरस्कार प्रदान किया जाएगा।
फॉसे की रचनाओं की मुख्य विशेषताएं
जॉन फॉसे की रचनाओं में प्रस्तुत विशिष्ट और नियमित स्थितियों को कोई सरलता से अपने जीवन से जोड़ सकता है। भाषा और नाटकीय क्रिया में उनके द्वारा प्रस्तुत मौलिक स्पष्टीकरणों ने हमेशा चिंता और कमजोरी की अदम्य मानवीय भावनाओं को सरल तरीके से व्यक्त किया है। मनुष्य की खोई हुई दिशा को प्रदर्शित करने की उनकी क्षमता के कारण उन्हें समकालीन रंगमंच का एक प्रमुख नव प्रवर्तक माना गया है। उनके लेखन ने ‘व्यंग्यात्मक रीति से’ हमेशा गहन अनुभव—देवत्व के निकट—तक पहुंच प्रदान की है।
जॉन फॉसे की रचनाएं नॉर्वेजियन नाइनोर्स्क (Norwegian Nynorsk), जो कि साहित्य के लिए अधिक व्यापक रूप से उपयोग की जाने वाली नॉर्वेजियन भाषा—बोकमल के बजाय एक अल्पसंख्यक भाषा है, में हैं। उनके अनुसार, नोबेल पुरस्कार असामान्य भाषा और इसे बढ़ावा देने वाले आंदोलन के लिए एक स्वीकृति है। उन्होंने अपना नोबेल पुरस्कार विशिष्ट नॉर्वेजियन भाषा नाइनोर्स्क को समर्पित किया है। फॉसे के विभिन्न शैलियों के विशाल संकलनों में लगभग 40 नाटक, बड़ी संख्या में उपन्यास, कविता संग्रह, निबंध, बच्चों की किताबें और अनुवाद शामिल हैं। उनका लेखन आधुनिकता के मद्देनजर उनकी लेखन शैली में कलात्मक तकनीकों के साथ उत्कृष्ट भाषा और उनकी नॉर्वेजियन (नॉर्वे से संबंधित) पृष्ठभूमि का समामेलन प्रस्तुत करता है।
वे सरल, अल्पतम और संवेदनशील भाषा का, जो पूर्व नोबेल पुरस्कार विजेता सैमुअल बेकेट और हेरोल्ड पिंटर के समान है, प्रयोग करते हैं। फॉसे के नाटक Nokon kjem til å komme (कोई जा रहा है लौटने के लिए) की तुलना विशेष रूप से बेकेट के वेटिंग फॉर गोडोट (Waiting for Godot) से की गई है।
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