जनवरी 2018 में दूरसंचार आयोग ने भारतीय हवाई क्षेत्रा में यात्रा के दौरान मोबाइल और इंटरनेट कनेक्टिविटी की अनुमति देने का निर्णय किया। इससे हवाई यात्रा के दौरान यात्रियों को इंटरनेट की सुविधा मिल सकेगी। अभी हवाई जहाज में यात्रा करते समय फोन को फ्लाइट मोड पर रखना पड़ता है। अभी यात्राी देश में अपने फोन का इस्तेमाल उसी समय कर सकते हैं जब तक विमान हवाई अड्डे पर खड़ा है, क्योंकि इस तरह की सेवाएं भारतीय वायु क्षेत्रा में उपलब्ध नहीं हैं।

इन-फ्लाइट कनेक्टिविटी पर जारी अपनी सिफारिशों में ट्राई ने कहा कि अब एयरलाइनें कुछ शर्तों के साथ अपने यात्रियों को कुछ इंटरनेट व वाई-फाई सेवाएं प्रदान कर सकेंगी। कम्प्यूटर व इंटरनेट सेवाएं विमान के उड़ान भरते ही शुरू की जा सकेंगी, परंतु मोबाइल सेवाओं के लिए विमान के 3000 मीटर से अधिक ऊंचाई पर पहुंचने की प्रतीक्षा करनी होगी। चूंकि मोबाइल का इस्तेमाल विमान परिचालन और संचार में बाधक हो सकता है, इसलिए मोबाइल के प्रयोग के लिए 3000 मीटर ऊंचाई की न्यूनतम सीमा रखी गई है। ट्राई ने भारतीय एयरोस्पेस में इन-फ्लाइट सेवाओं के लिए आईएफसी सर्विस प्रोवाइडर के रूप में एक नई श्रेणी प्रारंभ करने का सुझाव दिया है।

आईएफसी सर्विस प्रोवाइडर को दूरसंचार विभाग में स्वयं को पंजीकृत कराना होगा, हालांकि उसके लिए भारतीय कंपनी होना जरूरी नहीं होगा और भारतीय और विदेशी दोनों प्रोवाइडर्स के लिए एक जैसे नियम होंगे। विदेशी कंपनियों को भारत में कानूनी रूप से ऐसी सेवाएं शुरू करने के लिए सैटेलाइट गेटवे स्थापित करना होगा जो इन-केबिन इंटरनेट यातायात को इंटरसेप्ट कर उनकी निगरानी करेगा। इस सेवा के लिए भारतीय एवं विदेशी उपग्रहों का इस्तेमाल किया जा सकेगा।

फिलहाल भारत के वायु क्षेत्रा में उड़ान के दौरान मोबाइल फोन का उपयोग नहीं करने को कहा जाता है, क्योंकि मोबाइल के सिग्नल विमान के संचार तंत्रा को प्रभावित कर सकते हैं। इससे पायलट को नियंत्राण कक्ष से मिलने वाले संदेशों में बांधा पहुंच सकती है।

हाल ही में मोबाइल कम्युनिकेशन सर्विस ऑन बोर्ड एयरक्राफ्ट की एक विशेष तकनीक से अब उड़ान के दौरान मोबाइल से कॉल करना या डाटा का इस्तेमाल करना संभव हो गया है। इसके आने के बाद विश्व की लगभग सभी प्रमुख एयरलाइंस कंपनियां यात्रियों को विमान में कॉल और इंटरनेट की सुविधा देने लगी हैं।

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