13 अगस्त, 2020 को इजराइल और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मध्यस्थता में ऐतिहासिक द्विपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किए। इजिप्ट और जॉर्डन की आजादी के पश्चात 1948 में इजराइल को आजादी मिली थी। यह उसका किसी अरब देश के साथ तीसरा शांति समझौता है। इस समझौते से क्षेत्रा में व्यापक रूप से पुनर्निर्माण हो सकेगा जैसा कि दोनों राष्ट्रों ने ‘संबंधों के पूर्ण सामान्यीकरण’ पर सहमति व्यक्त की तथा बदले में इजराइल ने वेस्ट बैंक क्षेत्रा (जूडिया और सामरिया) के अधिमेलन को निलंबित कर दिया। अधिमेलन वेस्ट बैंक के इन क्षेत्रों को आधिकारिक तौर पर इजराइल का हिस्सा बना सकता है।

इजराइल और यूएई, अपने दूतावासों एवं राजदूतों का आदान-प्रदान करने एवं समान रूप से विस्तृत क्षेत्रों जैसे पर्यटन, शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल, व्यापार और सुरक्षा मामलों में सहयोग करने की शुरुआत करने पर सहमत हुए। अभी तक इजराइल का खाड़ी के देशों के साथ कोई राजनयिक संबंध नहीं रहा है। हालांकि, ईरान पर चिंताओं को साझा करने के कारण इनके बीच केवल गैर-आधिकारिक संपर्क रहे हैं। यूएई के लिए इस समझौते का महत्वपूर्ण पहलू यह है कि यूएई के नागरिक येरुसेलम स्थित अल-अक्सा मस्जिद का दौरा कर सकेंगे। यह समझौता शांतिपूर्ण, सुरक्षित और समृद्ध मध्य-पूर्व के निर्माण की दिशा में सार्थक कदम है।

अमेरिकी प्रशासन का ‘विजन फॉर पीस’ इजराइल को जॉर्डन घाटी तथा सभी बस्तियों सहित, जूडिया और सामरिया के 30 प्रतिशत हिस्से पर अपना कानून लागू करने का अधिकार प्रदान करता है। फलस्वरूप फिलिस्तीन को अमेरिका द्वारा पैकेज सहायता के रूप में 50 बिलियन अमेरिकी डॉलर दिए जाएंगे यदि यह पूर्व-शर्तों की सूची से मेल खाता हो जिसमें विसैन्यीकरण तथा आतंकवादियों का वेतन और प्रोत्साहन रोकना शामिल है, तो वेस्ट बैंक का शेष बचा क्षेत्रा फिलिस्तीनी राज्य को सौंपा जाएगा और इसे मान्यता प्रदान की जाएगी।

                राष्ट्रपति ट्रंप ने प्रधानमंत्राी नेतन्याहू और अबू धाबी के क्राउन प्रिंस शेख मोहम्मद बिन जायेद अल नाहयान के बीच हुए इस द्विपक्षीय समझौते को वास्तव में एक ऐतिहासिक क्षण करार दिया।

                टेलिविजन पर एक संबोधन में इजराइल के राष्ट्रपति ने कहा कि उन्होंने वेस्ट बैंक के अधिमेलन की योजनाओं में देरी की है, लेकिन वे योजनाएं अभी भी ‘‘चर्चा के लिए खुली’’ हुई हैं। उन्होंने कहा कि इजराइल, कोरोनावायरस वैक्सीन विकसित करने तथा ऊर्जा, जल, पर्यावरण संरक्षण और कई अन्य क्षेत्रों में यूएई के साथ सहयोग करेगा। यह समझौता इजराइल और अरब जगत के बीच शांति के एक नए युग का सूत्रापात करेगा।

हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि अधिमेलन कब तक निलंबित रहेगा, लेकिन इजराइली राष्ट्रपति ने इस बात पर जोर दिया कि उन्होंने अपने एजेंडे से संप्रभुता को न तो कभी हटाया था और न ही भविष्य में कभी हटाएंगे और इस जमीन पर इजराइल के अधिकार को कभी नहीं छोड़ेंगे।

विश्लेषकों के अनुसार, अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के लिए इस समझौते का तात्पर्य विदेश नीति की जीत हो सकती है, जो नवंबर 2020 में फिर से चुनाव लड़ेंगे, साथ ही समझौते से प्रधानमंत्राी नेतन्याहू, जो एक कमजोर एवं अंतर कलह गठबंधन वाली सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं तथा भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना कर रहे हैं; को भी व्यक्तिगत रूप से लाभ होगा।

लेकिन इस समझौते को वैचारिक रूप से विपरीत पक्षों की ओर से आलोचना का सामना करना पड़ा। इजराइल के कुछ अधिवासियों और उनके राजनीतिक सहयोगियों को निराशा हुई कि नेतन्याहू वेस्ट बैंक क्षेत्रा पर संप्रभुता का दावा ‘स्थगित’ कर देंगे, जबकि फिलिस्तीनियों ने इसे अरब राष्ट्र द्वारा किया गया विश्वासघात माना जिसने उन्हें एक अस्थिर स्थिति में अपने हाल पर छोड़ दिया। फिलिस्तीनी नागरिकों ने इस समझौते को, फिलिस्तीन के इतिहास का काला दिन करार दिया तथा कहा कि, उन्होंने यूएई को किसी चीज के बदले इजराइल को छूट देने के लिए अधिकृत नहीं किया था। इस समझौते की हमास के नेताओं और ईरान ने कड़ी निंदा की है। हालांकि इस समझौते का इजिप्ट और ओमान सहित इस क्षेत्रा के कुछ देशों ने सराहना भी की है।

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