कॉर्पोरेट औसत ईंधन अर्थव्यवस्था (कैफे—CAFE) मानदंड, भारत सहित कई विकसित व विकासशील देशों में लागू हैं। इन मानदंडों को कारों और हल्केट्रकों की ईंधन व्यवस्था में सुधार करने केलिए विकसित किया गया है। कैफेमानकों को संयुक्त राज्य अमेरिका केनैशनल हाईवे ट्रेफिक सेफ्टी एड्मिनिस्ट्रेशन (एनएचटीएसए) द्वारा निर्धारित किया गया है। इस प्रकार कैफेमानदंडों द्वारा भारत में ईंधन केलिए कच्चे तेल पर निर्भरता को कम करने तथा प्रदूषण नियंत्रण में सहायता प्राप्त हो सकती है। कैफेकेलिए कारों और हल्केट्रकों को अलग से वर्गीकृत किया गया है, और विभिन्न मानकों केतहत विनियमित किया गया है।

भारत में 1 अप्रैल, 2017 से पेट्रोल, डीजल, तरल पेट्रोलियम गैस (एलपीजी), और संपीडित (कंप्रेस्ड) प्राकृतिक गैस (सीएनजी) चालित यात्री वाहनों केलिए ईंधन की खपत केमानक लागू हुए थे। इन मानकों का लक्ष्य वर्ष 2022 तक यात्री वाहनों केईंधन खपत मेंसुधार और कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में निरंतर कमी लाना है—जो कॉर्पोरेट औसत ईंधन अर्थव्यवस्था केमानदंडों पर आधारित हैं। इस विनियम केतहत, 2022 तक औसत कॉर्पोरेट कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन निश्चित रूप से 130 ग्राम प्रति किमी. से कम और उसकेबाद 113 ग्राम प्रति किमी. से कम होना चाहिए।

2020 से सभी यात्री वाहन निर्माताओं को औसत कॉर्पोरेट कार्बन डाइऑक्साइड ग्राम प्रति किमी. का लक्ष्य निर्धारित करना होगा। इसकेअलावा, उन्हें 2025 तक विकसित देशों द्वारा कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में कमी केलिए निर्धारित लक्ष्यों केअनुरूप औसत कॉर्पोरेट कार्बन डाइऑक्साइड ग्राम प्रति किमी. में कमी करने का निर्देश दिया गया है। अप्रैल 2020 से बीएस VI उत्सर्जन मानदंडों केकार्यान्वयन केसाथ-साथ 2030 तक बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रिक वाहनों का उपयोग करने की योजना है। कैफेमानदंडों केलागू होने पर वायु मेंकार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा कम होने की संभावना है।

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