अमेरिका की बड़ी कंपनी गूगल ने 3 सितम्बर, 2018 में एक नई कृत्रिम बुद्धिमता तकनीक लाने की घोषणा की जो कि बाल यौन शोषण (सीएमएएम) को रोकने का कार्य करेगी। गूगल ने कहा कि ये नई तकनीक गहरे न्यूरल नेटवर्क का प्रयोग कर इमेज प्रोसेसिंग का काम करेगी जो कि बाल यौन शोषण सामग्री का पता लगाएगी।
डीप न्यूरल नेटवर्क पर आधारित यह नया टूल गैर-सरकारी संगठनों के लिए मुफ्त उपलब्ध कराया जाएगा तथा अन्य औद्योगिक साझेदारों के लिए भी यह मुफ्त उपलब्ध होगा। यह टूल नए कन्टेंट सेफ्टी एपीआई सर्विस के द्वारा पाया जा सकेगा।
इंटरनेट का उपयोग, ऐसी सामग्री के लेन-देन में किए जाएं जिससे बाल यौन शोषण में वृद्धि हो, इंटरनेट का इससे अधिक गलत प्रयोग नहीं हो सकता। नई एआई तकनीक सर्विस प्रदाताओं की सहायता करेगी साथ ही एनजीओ तथा अन्य तकनीकी उद्योगों को अपनी क्षमता को उन्नत करने तथा सीएसएएम का पता लगाने के साथ-साथ मानवों द्वारा देखे जाने को भी कम करेगा। नए चित्रों की तीव्र पहचान करने से मतलब है कि जो बच्चे आज यौन शोषण का शिकार हो रहे हैं उनको पहचान कर आगे शोषित होने से बचाया जा सकता है। यह देखा गया है कि यह प्रणाली एक निरीक्षक की सहायता करेगी जिससे वह एक ही अवधि में 700 प्रतिशत तक अधिक सीएसएएम सामग्री पर कार्य कर सकता है।
बहुत-सी तकनीकी कंपनियां एआई का प्रयोग करते हुए विभिन्न प्रकार के सीएसएएम सामग्री जैसे कि नग्नता, भद्दी टिप्पणी आदि की पहचान करने में रुचि दिखा रही हैं। गूगल की नई एआई तकनीक की उद्घोषणा जो किसी एसएएम सामग्री को रोकने के लिए की गई, दर्शाती है कि गूगल इस प्रकार के अपराधों को रोकने के लिए पूर्णतः प्रयासरत है। गूगल अन्य साझेदारों जैसे कि ब्रिटेन स्थित इंटरनेट वॉच फाउण्डेशन, द टेक्नोलॉजी कोलिशन एंड द वी प्रोडक्ट ग्लोबल एलायंस तथा अन्य के साथ सहयोग कर बाल यौन शोषण रोकने में प्रयासरत है।