12 जुलाई, 2022 को जेम्स वेब स्पेस टेलिस्कोप (जेडब्ल्यूएसटी) ने पहले कभी न देखी गई स्टीफन क्विंटेट नामक मंदाकिनी (गैलेक्सी) समूह की एक विशाल छवि भेजी। इस समूह में पांच गैलेक्सीज हैं। उल्लेखनीय है कि पेगासस तारामण्डल में स्थित इस गैलेक्सी को 1877 में स्टीफन क्विंटेट ने खोजा था। जेडब्ल्यूएसटी की इस जानकारी से गैलेक्सी की प्रारम्भिक ब्रह्माण्ड में उत्पत्ति पर नवीन अतंर्दृष्टि प्राप्त होगी। इससे पूर्व 16 मार्च, 2022 को जेडब्ल्यूएसटी ने एक नक्षत्र (एचडी 84406), जो पृथ्वी से 260 प्रकाश वर्ष दूर तथा सप्तऋषि तारामण्डल में स्थित है, की छवि भेजी थी। ज्ञातव्य है कि नासा ने यूरोपियन स्पेस एजेंसी (ESA) और कैनेडियन स्पेस एजेंसी के साथ संयुक्त रूप से जेडब्ल्यूएसटी को एरियन-5 रॉकेट के माध्यम से फ्रेंच गुयाना स्थित यूरोप के स्पेसपोर्ट से 25 दिसम्बर, 2021 को अन्तरिक्ष में प्रक्षेपित किया था। उल्लेखनीय है कि टेलिस्कोप का नाम नासा के खगोल भौतिकीविद जेम्स ई. वेब के नाम पर रखा गया है, जिन्होंने अपोलो को चन्द्रमा पर उतारने (मून लैंडिग) में मुख्य भूमिका निभाई थी।
जेडब्ल्यूएसटी द्वारा स्टीफन क्विंटेट, जिसे हिक्सन कॉम्पेक्ट ग्रुप 92 (एचसीजी 92) भी कहा जाता है, की पहली बार इतनी विस्तृत छवियां प्राप्त हुई हैं, जिसमें लाखों चमकते नवीन तारों का संगुच्छ है और युवा तारों के स्टारबर्स्ट क्षेत्र से अद्भुत छवि नजर आती है। साथ ही टेलिस्कोप ने एनजीसी 7318B नामक गैलेक्सी के एक गैलेक्सीज संगुच्छ से टकराने से उत्पन्न विशाल शॉक वेव को भी कैमरे में कैद किया है। इससे वैज्ञानिकों को गैलेक्सीज के बीच विलय एवं टकराहट से उत्पन्न साक्ष्यों से गैलेक्सीज की उत्पत्ति के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त होने की सम्भावना है।
हालांकि, स्टीफन क्विंटेट पांच गैलेक्सीज का समूह है लेकिन इसमें चार गैलेक्सीज ही एक-दूसरे के पास हैं। चार गैलेक्सीज (एनजीसी 7317, एनजीसी 7318A, एनजीसी 7318B, और एनजीसी 7319) पृथ्वी से 290 मिलियन प्रकाश वर्ष दूर हैं। देखा जाए तो ब्रह्माण्डीय सन्दर्भ में ये बिलियन प्रकाश वर्ष दूर गैलेक्सीज की अपेक्षा पृथ्वी के काफी नजदीक हैं। अपेक्षाकृत रूप से निकट, इन गैलेक्सीज के अध्ययन से वैज्ञानिकों को दूरस्थ गैलेक्सी एवं प्रारम्भिक गैलेक्सीज की संरचना के बारे में जानने में भी मदद मिलेगी।
जेडब्ल्यूएसटी नक्षत्रों की उत्पत्ति और आकाशगंगाओं के क्रमिक विकास का निरीक्षण करेगा। यह उस कल्प का अवलोकन करेगा, जब 13.5 अरब वर्ष पूर्व प्रारम्भिक आकाशगंगाएं अस्तित्व में आई थीं और यह बाह्य ग्रहों के वायुमण्डलों का अध्ययन करने में मदद करेगा। यह ग्रह प्रणालियों के भौतिक और रासायनिक गुणों का मापन करेगा और जीवन की सम्भावना के लिए उनकी जांच करेगा। अपनी इन्फ्रारेड रेन्ज की क्षमताओं की मदद से यह धूल में प्रवेश करेगा, और घने तथा धूल भरे बादलों के मध्य नक्षत्रों को आकार लेते हुए देखेगा। वर्तमान में जेडब्ल्यूएसटी अपने लक्षित गन्तव्य लग्रांज बिन्दु 2 (एल2) पर स्थिर है, जहां से यह निरन्तर सूर्य की परिक्रमा करेगा और प्रभामण्डल के परिक्रमा पथ पर स्थिर रहने के लिए प्रत्येक तीन सप्ताह में अपनी स्थिति बदलेगा।
लग्रांज बिन्दु अन्तरिक्ष में सूर्य-पृथ्वी प्रणाली (सूर्य और पृथ्वी के बीच सीधी रेखा में आने वाले) के वे स्थान हैं, जहां दो बड़े द्रव्यमानों (पिण्डों) के गुरुत्व बल में एक सन्तुलन बना रहता है और उनका यह सन्तुलित गुरुत्वाकर्षण किसी छोटे पिण्ड या यान को अन्तरिक्ष में स्थिर बने रहने के लिए एक आवश्यक केन्द्रक बल का कार्य करता है। इतालवी-फ्रांसीसी मूल के गणितज्ञ जोसेफ लुई लग्रांज के नाम पर अन्तरिक्ष में ऐसे पांच बिन्दु या स्थान हैं, जिन्हें एल1, एल2, एल3, एल4 और एल5 के नाम से चिह्नित किया गया है। इन बिन्दुओं का उपयोग अन्तरिक्ष में, अन्तरिक्षयानों को ईंधन की कम खपत करते हुए कक्षा में स्थिर बने रहने के लिए किया जा सकता है। इनमें से बिन्दु एल2 पृथ्वी से 1.5 मिलियन किमी. दूर स्थित है। हालांकि, यह सूर्य की विपरीत दिशा में है, इस वजह से सूर्य, पृथ्वी और चन्द्रमा इस बिन्दु के पीछे रहते हैं, जिसके फलस्वरूप इस बिन्दु पर अवस्थित कोई अन्तरिक्षयान गहन अन्तरिक्ष का स्पष्ट अवलोकन कर सकता है।
एल4 तथा एल5 स्थिर बिन्दु होते हैं, जब तक कि दो बड़े खगोलीय द्रव्यमानों के बीच के द्रव्यमान का अनुपात 24.96 से अधिक न हो। इन बिन्दुओं की परिक्रमा करने वाली वस्तुओं को ‘ट्रोजन’ कहा जाता है, जिनका नाम सूर्य-बृहस्पति प्रणाली के इन बिन्दुओं की परिक्रमा करने वाले तीन बड़े क्षुद्रग्रहों के नाम पर पड़ा है।
जेडब्ल्यूएसटी अब तक की सबसे बड़ी और शक्तिशाली अन्तरिक्षीय वेधशाला है, जिसे इष्टतम रूप से अवरक्त (इन्फ्रारेड) तरंग-दैर्घ्यों के प्रति अनुकूलित किया गया है। यह वेधशाला 32 वर्षीय अन्तरिक्षीय वेधशाला हब्बल स्पेस टेलिस्कोप (एचएसटी) की सम्पूरक है, और यह उसकी खोजों को विस्तार देगी। जेडब्ल्यूएसटी में एक अधिक लम्बी तरंग-दैर्घ्य आवृत्ति और बेहतर सुग्राह्यता है, जो इसे प्रारम्भिक ब्रह्माण्ड में और पीछे देखने में सक्षम बनाती है। इसे प्रक्षेपण के बाद न्यूनतम साढ़े पांच वर्ष की मिशनावधि के लिए अभिकल्पित किया गया है। परन्तु, इसकी मिशन अवधि 10 वर्ष से अधिक अपेक्षित है, क्योंकि इसमें 10 वर्ष तक कार्य करने के लिए पर्याप्त ईंधन है।
जेडब्ल्यूएसटी बनाम एचएसटी
1990 में नासा के अन्तरिक्षयान डिस्कवरी द्वारा हब्बल टेलिस्कोप (एचएसटी) को अन्तरिक्ष में प्रक्षेपित कर वैज्ञानिकों ने कुछ दूरस्थ नक्षत्रों और आकाशगंगाओं के साथ-साथ हमारे सौर मण्डल के ग्रहों को देखने के लिए इसका उपयोग किया। जेडब्ल्यूएसटी मुख्य रूप से इन्फ्रारेड प्रकाश में ब्रह्माण्ड का अध्ययन करेगा, जबकि एचएसटी ब्रह्माण्ड को मुख्य रूप से प्रकाश और पराबैंगनी तरंग-दैर्घ्य में देखने में सक्षम है। यद्यपि एचएसटी का द्रव्यमान 12,200 किग्रा. और मिशन अवधि 32 वर्ष है, तथा जेडब्ल्यूएसटी का द्रव्यमान 6,200 किग्रा. और मिशन अवधि 10 वर्ष है।
एचएसटी दृश्यमान स्पेक्ट्रम में संचालित होता है, जबकि जेडब्लूएसटी इन्फ्रारेड पर कार्य करता है और संरचनाओं को प्रकट करने के लिए तारकीय धूल में प्रवेश कर उन्हें देख सकता है। एचएसटी 0.1 से 0.8 माइक्रॉन तक के स्पेक्ट्रम का अवलोकन कर सकता है, जबकि जेडब्ल्यूएसटी 0.6 से 28 माइक्रॉन तक तरंग-दैर्घ्य क्षेत्र के खगोलीय पिण्डों की छवियों और स्पेक्ट्रा को प्रग्रहित कर सकता है। एचएसटी लगभग 570 किमी. की ऊंचाई पर पृथ्वी की परिक्रमा करता है, जबकि जेडब्ल्यूएसटी पृथ्वी-सूर्य प्रणाली के लग्रांज बिन्दु एल2 पर लगभग 1.5 मिलियन किमी. दूर स्थित है।
टेलिस्कोप में प्रयुक्त उपकरणः जेडब्ल्यूएसटी में लगे उपकरणों में नियर इन्फ्रारेड कैमरा (NIRCam); नियर इन्फ्रारेड स्पेक्ट्रोग्राफ (NIRSpec); मिड इन्फ्रारेड इंस्ट्रूमेण्ट (MIRI); और फाइन गाइडेंस सेंसर/नियर इन्फ्रारेड इमेजर और स्लिटलैस स्पेक्ट्रोग्राफ (एफजीएस/NIRISS) शामिल हैं।
इसका नियर-इन्फ्रारेड कैमरा एक प्राथमिक इमेजर है, जो विभिन्न परीक्षणों के लिए उच्च विभेदन वाली छवियां प्रदान करता है (जैसाकि 16 मार्च को नासा द्वारा जारी की गई छवि में HD84406 के पार्श्व में स्पष्ट दिखाई देने वाले अन्य नक्षत्रों के रूप में जेडब्ल्यूएसटी के प्रकाश विज्ञान और इन्फ्रारेड कैमरे की सूक्ष्म सुग्राह्यता परिलक्षित होती है)। स्पेक्ट्रोग्राफ प्रकाश को संघटक रंगों में विघटित करता है, जो विभेदन में मदद करता है। नक्षत्रों की परिक्रमा करने वाले ग्रहों का अवलोकन करने के लिए कोरोनाग्राफ उनके (नक्षत्र) प्रकाश को अवरुद्ध कर देता है। इसमें एक स्थिरीकरण आवरक (फ्लैप), एण्टिना और अन्तरिक्ष यान बस भी है। वेधशाला के प्राथमिक दर्पण में 18 षट्कोणीय (हेक्सागोनल) खण्ड हैं, जो खुलने के बाद बेरिलियम [एक रासायनिक तत्व, जो प्रकृति में शुद्ध रूप में नहीं मिलता, बल्कि केवल यौगिक रूप में ही पाया जाता है। धूसर रंग के इस भंगुर पदार्थ का प्रयोग मिश्रित धातु (लोहे, ताम्बे या ऐल्युमिनियम के साथ मिलाकर) बनाने के लिए किया जाता है, और इसकी प्रत्येक इकाई में अत्यधिक ऊर्जा होती है।] के 6.5 मीटर के विशाल दर्पण के रूप में दिखाई देते हैं और संरेखित होकर किसी एकल प्रवर्तक नक्षत्र की स्पष्ट छवि प्रदान करने के लिए प्रकाश के आरम्भिक लाल धब्बों को आवर्धित करते हैं। जेडब्ल्यूएसटी के प्राथमिक दर्पण को -223 डिग्री सेल्सियस से कम तापमान पर ठण्डा रखा गया है ताकि यह प्रारम्भिक ब्रह्माण्ड में हल्के अवरक्त प्रकाश का पता लगा सके। इसके अलावा, इसमें एक 0.74 मी. बड़े व्यास का अतिरिक्त दर्पण भी लगाया गया है। चूंकि सूर्य, पृथ्वी और चन्द्रमा जैसे खगोलीय पिण्ड तीव्र अवरक्त प्रकाश उत्पन्न करते हैं। इस तीव्र प्रकाश और ऊष्मा से जेडब्ल्यूएसटी को बचाने के लिए इसमें 21.2×14.2 मी. बड़ा और 8 मी. ऊंचा एक सनशील्ड भी लगाया गया है, जो प्लास्टिक की पांच सूक्ष्म (या पतली) परतों से निर्मित है।
नासा के अनुसार, जेडब्ल्यूएसटी से प्राप्त डेटा अत्यन्त महत्वपूर्ण सिद्ध होंगे, क्योंकि उनके माध्यम से वैज्ञानिक दूसरे ग्रहों पर जीवन की सम्भावनाओं के संकेतों और ब्रह्माण्ड में मौजूद अणु के स्पेक्ट्रोस्कोपिक फिंगरप्रिन्ट्स के अध्ययन हेतु ग्रहों की जलवायु और नक्षत्रों से निकलने वाले प्रकाश निहित तत्वों का पता लगाने के अलावा ब्रह्माण्ड के प्रारम्भिक अस्तित्व का पता लगाने की भी चेष्टा करेंगे, जिससे सम्भवतः इस रहस्य का पता चल सकेगा कि बिग बैंग से पहले क्या था।
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