भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने टेलीकॉम कंपनियों के बीच इंटरकनेक्शन पोर्ट के आदान-प्रदान के नए नियमों का मसौदा जारी किया है। ‘दूरसंचार इंटरकनेक्शन संशोधित नियम 2018’ के मसौदे के अनुसार, यदि किसी दूरसंचार सेवा प्रदाता की प्रस्तावित क्षमता उपयोग दो माह में 85 प्रतिशत से अधिक होने की संभावना हो तो वो दूसरे सेवा प्रदाता से अतिरिक्त पोर्ट की मांग कर सकता है। ऐसी स्थिति में प्रारंभिक इंटरकनेक्शन तथा उसमें वृद्धि के लिए पोर्ट की व्यवस्था करने की समयावधि बढ़ाकर अधिनियम 42 कार्यदिवस किए जाने का प्रस्ताव करता है।
ट्राई के अनुसार, ऑपरेटर को इंटरकनेक्टिंग सेवा प्रदाता को प्रत्येक छह माह में व्यस्त घंटों के दौरान प्रत्येक इंटरकनेक्शन प्वाइंट से होने वाली संभावित आउटगोइंग कॉल्स का अनुमान बताना होगा। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2016 में रिलायंस जियो के आरंभ होने के बाद इंटरकनेक्शन का मामला रिलायंस जियो तथा दूसरी टेलीकॉम कंपनियों—भारती एयरटेल, वोडाफोन, आइडिया इत्यादि के बीच झगड़े की वजह रहा था। रिलायंस जियो ने दूसरी कंपनियों पर पर्याप्त इंटरकनेक्शन पोर्ट न देने का आरोप लगाया था जिसके कारण जियो की कॉल ड्रॉप हो रही थी। दूसरी ओर भारती एयरटेल इत्यादि का कहना था कि जियो के मुफ्त वॉइस कॉल ऑफर के कारण से कॉल ट्रैफिक जाम हुआ है। तब ट्राई ने रिलायंस जियो की शिकायत को सही माना था और सेवा की गुणवत्ता के नियम तोड़ने के लिए और लाइसेंस की शर्तों का उल्लंघन करने के लिए एयरटेल व वोडाफोन में से प्रत्येक पर 1050 करोड़ रुपए और आइडिया पर 950 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया था।
दूरसंचार नियामक ट्राई ने नेटवर्क कनेक्टिविटी संबंधी नियमों को सख्त करते हुए दूरसंचार कंपनियों के लिए अनिवार्य कर दिया है कि वे बिना किसी भेदभाव के 30 दिनों के भीतर इंटरकनेक्शन समझौते करें। साथ ही नियामक ने किसी तरह के उल्लंघन पर प्रत्येक सेवा क्षेत्रा के हिसाब से एक लाख रुपए तक प्रतिदिन जुर्माना निर्धारित किया है। देशभर में कुल 22 सेवा क्षेत्रा हैं।
दरअसल इंटरकनेक्टिविटी से तात्पर्य एक कंपनी के नेटवर्क का कॉल दूसरे कंपनी के नेटवर्क से जुड़ने से है। ट्राई ने दूरसंचार इंटरकनेक्शन विनियमन-2018 जारी किए हैं। इसमें नेटवर्क कनेक्टिविटी समझौते के विविध नियमों को शामिल किया गया है। इसमें प्वाइंट ऑफ इंटरकनेक्ट की वृद्धि, प्रारंभिक स्तर पर इस तरह की कनेक्टिविटी के प्रावधान, लागू शुल्क, इंटरकनेक्ट वाले प्वाइंट को हटाना और इंटरकनेक्शन मुद्दों इत्यादि के नियमों को शामिल किया गया है।
साहसिक पर्यटन पर सरकार के दिशा-निर्देश जारी
साहसिक खेलों को सुरक्षित बनाने के उद्देश्य से पहली बार केंद्र सरकार ने 31 मई, 2018 को भारत में साहसिक पर्यटन संबंधी दिशा-निर्देश जारी किए। यह दिशा-निर्देश एडवेंचर टूर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एटीओएआई) के सहयोग से तैयार किए गए हैं। इस पहल का उद्देश्य साहसिक टूर ऑपरेटर्स की रुचि इन सुरक्षित दिशा-निर्देशों को बेहतर तरीके से लागू करने में बढ़ाई जाए।
जारी दिशा-निर्देशों के अंतर्गत भूमि, वायु और जल आधारित गतिविधियां—पर्वतारोहण, ट्रैकिंग, बंजी जंपिंग, पैराग्लाइडिंग, कयाकिंग, स्कूबा डाइविंग, स्नॉर्कलिंग, रिवर राफ्टिंग इत्यादि शामिल हैं। यह दिशा-निर्देश 15 भूमि आधारित, 7 वायु आधारित और 7 जल आधारित गतिविधियों के लिए बनाए गए हैं, जिसमें भारत में उपलब्ध सभी साहसिक पर्यटन शामिल हैं।