हरिकेन (प्रभंजन) इडालिया अगस्त 2023 में फ्लोरिडा के खाड़ी तट पर स्थलावतरित (लैंडफॉल) हुआ था, जो मौसम विज्ञानियों के पूर्वानुमान से कहीं अधिक घातक सिद्ध हुआ। (प्रभंजन पश्‍चिमी द्‍वीप समूह और मेक्सिको की खाड़ी में आने वाला उष्णकटिबंधीय चक्रवात है।) शुरुआत में, मौसम विज्ञानियों द्वारा लगभग सामान्य अटलांटिक हरिकेन मौसम का पूर्वानुमान लगाया गया था, लेकिन जैसे-जैसे विश्वव्यापी स्तर पर महासागर की सतह के तापमान में वृदधि हुई वैसे-वैसे यह हरिकेन भयानक रूप लेता चला गया। समय से पहले बन रहे तूफानों और ऐतिहासिक मानक से बाहर के क्षेत्रों में हो रहे स्थलावतरणों के साथ-साथ विशिष्ट हरिकेन मौसम में भी परिवर्तन हो रहा है। यह उन शहरों के लिए बड़ा जोखिम बन रहा है जो इस तरह के तूफानों के लिए तैयार नहीं हैं।

वैज्ञानिकों के अनुसार, जलवायु परिवर्तन तूफानों को और अधिक प्रचंड बना रहा है, जिसके कारण वर्षा और तेज हवाएं बढ़ रही हैं। शोधकर्ताओं के अनुसार, जलवायु परिवर्तन के परिणामस्वरूप हवा की गति में वृद्धि हुई है जो सबसे प्रचंड स्तर तक पहुंचने वाले तूफानों के समानुपात को और बढ़ा सकती है।

इस वर्ष महासागरों की सतह के तापमान में अत्यधिक वृद्धि होने के कारण सुपर साइक्लोन और उष्णकटिबंधीय चक्रवात (ट्रॉपिकल साइक्लोन) बने हैं।

जब महासागर का जल ऊष्ण हो जाता है, तथा नम और आर्द्र पवन चलने लगती है तब हरिकेन बनते हैं। जब ऊष्ण महासागरीय जल वाष्पित हो जाता है, तब इसकी ऊष्मीय ऊर्जा वायुमंडल में स्थानांतरित हो जाती है, जिससे तूफानी पवनें प्रबल हो जाती हैं। इससे चक्रवाद/तूफान प्रचंड हो जाते हैं। अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में केवल कुछ ही तूफान सुपर साइक्लोन के स्तर तक पहुंचते हैं, तथा लगभग प्रत्येक 10 वर्षों में ऐसा चक्रवात आता है। वेदर अंडरग्राउंड द्वारा जारी सूची के अनुसार, दर्ज किए गए 35 सबसे घातक उष्णकटिबंधीय चक्रवातों में से 26 बंगाल की खाड़ी में आए हैं।

हरिकेन, चक्रवात, टाइफून

प्राचीन समय में, यूरोपीय खोजकर्ताओं ने कैरेबियन में जहाजों को तबाह करने वाले तूफानों का वर्णन करने के लिए बुरी आत्माओं और मौसम के देवताओं को इंगित करने हेतु स्वदेशी वाक्यांश ‘हुराकन’ (hurakan) का प्रयोग किया था। समय के साथ, तीव्र गति से चलने वाली पवनों वाले इन विशाल उष्णकटिबंधीय तूफानों को हरिकेन कहा जाने लगा। उत्तरी अटलांटिक, मध्य उत्तरी प्रशांत और पूर्वी उत्तरी प्रशांत में इन भंवर तूफानों को हरिकेन कहा जाता है। दक्षिण प्रशांत और हिंद महासागर में इन घूर्णी तूफानों को चक्रवात कहा जाता है। उत्तर पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में इन्हें टाइफून के नाम से जाना जाता है।

यदि पवन की गति 118 किलोमीटर (64 नौटिकल मील) प्रति घंटा से अधिक हो तो इसे उष्णकटिबंधीय चक्रवात कहा जाता है। यदि पवन की गति 222 किलोमीटर प्रति घंटा या अधिक हो जाए तो इसे सुपर साइक्लोन कहा जाता है।

जलवायु परिवर्तन और हरिकेन

मौसम विज्ञानियों के अनुसार, जलवायु परिवर्तन से क्लेदित, तेज पवनों वाले और अधिक प्रचंड बन रहे हैं। ये हरिकेन तूफानों के अधिक धीमी गति से चलने का कारण बनते हैं। परिणामस्वरूप, एक ही स्थान पर जल का अधिक जमाव होता है। यदि महासागर न होते तो जलवायु परिवर्तन के कारण पृथ्वी बहुत अधिक ऊष्ण हो गई होती। पिछले चार दशकों में, महासागरों ने ग्रीनहाउस गैस (जीएचजी)  उत्सर्जन के कारण होने वाली गर्मी का लगभग 90 प्रतिशत हिस्सा अवशोषित कर लिया है। इस महासागरीय ऊष्मा का अधिकांश भाग जल की सतह के पास समाहित है।

गर्मियों के दौरान समुद्र में उष्णकटिबंधीय चक्रवात आम हैं जो मानसून के आगमन में सहायता करते हैं। हालांकि, समुद्र का ऊष्ण होना अब एक वैश्विक अभिलक्षण बन गया है, तथा इसने तूफान के पूर्वानुमान को कम विश्वसनीय बना दिया है और मानसून के स्वरूप को अस्त-व्यस्त कर दिया है। मौसम विज्ञानियों के अनुसार, तूफानी महोर्मियों (स्टॉर्म सर्ज अर्थात ज्वारीय आयाम में एक असामान्य बदलाव जो वायुमंडलीय कारकों द्वारा होता है।) के लिए सबसे खराब स्थान उथली और अवतल खाड़ियां होती हैं। चक्रवात की तेज पवनों द्वारा धकेला गया जल तूफान के खाड़ी की ओर बढ़ने पर सांद्रित हो जाता है।

जलवायु परिवर्तन ने तूफान के कारण होने वाली वर्षा की मात्रा को भी बढ़ा दिया है क्योंकि ऊष्ण वातावरण में अधिक नमी धारण करने की क्षमता होती है। यह नमी जलवाष्प बनाती है और बादल फटने तक इसका निर्माण होता रहता है। नमीयुक्त बादल फटने के परिणामस्वरूप भारी वर्षा होती है। अप्रैल 2022 में, नेचर कम्युनिकेशंस नामक जर्नल ने प्रभंजनों पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव पर अपनी रिपोर्ट प्रकाशित की। इस अध्ययन के अनुसार, 2020 में, अटलांटिक हरिकेन मौसम के दौरान, प्रभंजनों के कारण वर्षा दर 8 से 11 प्रतिशत तक बढ़ गई।

मानवीय गतिविधियों द्वारा विश्व को पूर्व-औद्योगिक समय (1850-1900) के औसत से 1 डिग्री सेल्सियस अधिक ऊष्ण कर दिया गया है। यूएस नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (एनओएए) के वैज्ञानिकों के अनुसार, संभवतः 2 डिग्री सेल्सियस तापमान बढ़ने पर हरिकेन की पवन की गति में 10 प्रतिशत तक की वृद्धि हो सकती है।

हरिके/चक्रवात की श्रेणियां

सैफिर-सिंपसन हरिकेन विंड स्केल (एसएसएचडब्ल्यूएस) के अनुसार, वर्धमान प्रचंडता के क्रम में हरिकेन की पांच श्रेणियां हैं। श्रेणी 1 के तूफान आमतौर पर कोई महत्वपूर्ण संरचनात्मक क्षति नहीं पहुंचाते हैं, तथा पवन की गति 74 मील प्रति घंटा (119 किमी/घंटा) और 95 मील प्रति घंटा (153 किमी/घंटा) के बीच हो सकती है। बहुत खतरनाक पवनें कुछ नुकसान पहुंचा सकती हैं। श्रेणी 2 के तूफान प्रचंड हो जाते हैं और कमजोर संरचनाओं (इमारतों आदि) को नुकसान पहुंचाते हैं। अत्यधिक खतरनाक पवनें व्यापक क्षति पहुंचा सकती हैं। श्रेणी 2 में, पवन की गति 96 मील प्रति घंटा (154 किमी/घंटा) और 110 मील प्रति घंटा (177 किमी/घंटा) के बीच हो सकती है। श्रेणी 3 के उष्णकटिबंधीय चक्रवात प्रमुख हरिकेन हैं और विनाशकारी संरचनात्मक क्षति का कारण बन सकते हैं। पवन की गति 111 मील प्रति घंटा (178 किमी/घंटा) और 129 मील प्रति घंटा (208 किमी/घंटा) के बीच हो सकती है। श्रेणी 4 के हरिकेन व्यापक क्षति और अपूरणीय क्षति पहुंचाते हैं। पवन की गति 130 मील प्रति घंटा (209 किमी/घंटा) और 156 मील प्रति घंटा (251 किमी/घंटा) के बीच हो सकती है। श्रेणी 5 हरिकेन की उच्चतम श्रेणी है, जो 157 मील प्रति घंटा (252 किमी/घंटा से अधिक) से अधिक की पवन की गति के साथ विनाशकारी क्षति का कारण बन सकती है।

एनओएए के अनुसार, श्रेणी 4 या श्रेणी 5 के हरिकेन सबसे प्रचंड होते हैं और इनमें इस सदी में लगभग 10 प्रतिशत तक की वृद्धि हो सकती है। 1851 के बाद से श्रेणी 5 की प्रचंडता वाला कोई तूफान नहीं आया है।

हरिकेन मौसम में परिवर्तन

जलवायु परिवर्तन तूफानों को प्रभावित कर रहा है और प्रभंजनों के विशिष्ट मौसम में परिवर्तन हो रहा है। इससे उन क्षेत्रों में भी हरिकेन स्थलावतरित हो रहे हैं जो असामान्य हैं और ऐतिहासिक मानक से बहुत अधिक हैं। एनओएए के अनुसार, 1851 के बाद से अधिकांश हरिकेन फ्लोरिडा में स्थलावतरित हुए हैं। हालांकि, कुछ तूफान चरम प्रचंडता तक पहुंच रहे हैं और सुदूर उत्तर की ओर स्थलावतरित हो रहे हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार, यह बदलाव बढ़ते वैश्विक वायु और महासागरीय तापमान से संबंधित हो सकता है। यह परिवर्तन न्यूयॉर्क, बोस्टन, बीजिंग और टोक्यो जैसे मध्य अक्षांश वाले शहरों के लिए चिंता का विषय है। वास्तव में, इन शहरों के पास हरिकेन के स्थलावतरण से होने वाले विनाश से निपटने के लिए बुनियादी ढांचा नहीं है और ये तूफान के परिणामों से निपटने के लिए तैयार नहीं हैं।

नेचर कम्युनिकेशंस जर्नल में अगस्त में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, उत्तर अमेरिका में हरिकेन की सक्रियता का सामान्य समय जून से नवंबर तक होता है। हरिकेन सक्रियता आमतौर पर सितंबर के महीने में चरम पर होती है। यह ऊष्ण जल की स्थितियों का ग्रीष्म काल में होने वाला वर्धन है। हालांकि, वर्तमान में, अमेरिका में स्थलावतरित होने वाले तूफान 1900 की तुलना में तीन सप्ताह पहले आ गए, जो मई में इस मौसम की शुरुआत का संकेत देते हैं।

एशिया में भी बंगाल की खाड़ी में पिछले कुछ वर्षों से यही प्रवृत्ति देखी जा रही है। 2013 से चक्रवात सामान्य अवधि से पहले बन रहे हैं। साइंटिफिक रिपोर्ट्स में नवंबर 2021 में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, हाल के दिनों में यह अप्रैल और मई में बन रहा है जो ग्रीष्मकालीन मानसून से काफी पहले है। उक्त तथ्यों के बावजूद, यह अभी भी स्पष्ट नहीं है कि क्या जलवायु परिवर्तन प्रत्येक वर्ष आने वाले प्रभंजनों की संख्या को प्रभावित कर रहा है। नेचर कम्युनिकेशंस जर्नल में वैज्ञानिकों की एक टीम द्वारा प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, उत्तरी अटलांटिक क्षेत्र में आने वाले प्रभंजनों की आवृत्ति बढ़ रही है। हालांकि, इस पर अभी भी कोई सुस्पष्ट प्रमाण नहीं है और शोध अभी भी जारी है।

© Spectrum Books Pvt. Ltd.

error: Content is protected !!

Pin It on Pinterest

Share This