नासा द्वारा सिसलूनर ऑटोनोमस पोजीशनिंग सिस्टम टेक्नोलॉजी ऑपरेशन्स एण्ड नेविगेशन एक्सपेरिमेन्ट (CAPSTONE—कैप्स्टोन) नामक उपग्रह का 28 जून, 2022 को पृथ्वी की निम्न कक्षा (एलईओ) में प्रक्षेपण किया गया। चन्द्रमा पर एक बार फिर अन्तरिक्ष यात्रियों को भेजने की योजना की दिशा में नासा का यह नवीनतम कदम है। वर्तमान में, कैप्स्टोन अपने स्वयं के प्रणोदन और सूर्य के गुरुत्वाकर्षण का उपयोग चन्द्रमा के शेष हिस्सों में दिशा-निर्देशन (नेविगेशन) करने के लिए कर रहा है। गुरुत्वाकर्षण संचालित ट्रैक (पथ) प्रभावशाली रूप से क्यूबसैट को चन्द्रमा तक पहुंचने के लिए आवश्यक ईंधन की मात्रा में कमी करेगा। आगे चलकर, कैप्स्टोन को गहन अन्तरिक्ष (डीप स्पेस) में भेजा जाएगा।

कैप्स्टोन को एक अद्वितीय चन्द्र कक्षा (लूनर ऑर्बिट) का परीक्षण करने के लिए परिकल्पित किया गया है। कैप्स्टोन, गेटवे (नासा और उसके वाणिज्यिक तथा अन्तरराष्ट्रीय भागीदारों द्वारा निर्मित एक चन्द्र अन्तरिक्ष स्टेशन, जो नासा के आर्टेमिस कार्यक्रम का समर्थन करेगा) के लिए चन्द्रमा की कक्षा की ओर अपने निश्चित मार्ग पर है, जहां से अन्तरिक्ष यात्री इसके आर्टेमिस कार्यक्रम के तहत चन्द्रमा की सतह पर उतर सकेंगे।

एक बार चन्द्रमा की कक्षा, नियर रेक्टीलीनियर हैलो ऑर्बिट (एनआरएचओ), में पहुंचने पर कैप्स्टोन चन्द्रमा के उत्तरी ध्रुव से 1,000 मील की दूरी पर और दक्षिण ध्रुव से 43,500 मील की दूरी पर उड़ान भरेगा। यह हर साढ़े छह दिनों में चक्र को दोहराएगा और गतिकी का अध्ययन करने के लिए कम से कम छह महीने तक इस कक्षा को बनाए रखेगा।

इस मिशन के तहत, नासा के साझेदार मिशन योजना और संचालन के लिए अत्याधुनिक उपकरणों का परीक्षण करेंगे, जिससे सौरमण्डल में चन्द्रमा, मंगल और अन्य गन्तव्यों के लिए छोटे तथा अधिक किफायती स्थान एवं अन्वेषण मिशन के अवसरों का विस्तार व मार्ग प्रशस्त होगा।

उपग्रह के उद्देश्यः

  • भविष्य में अन्तरिक्ष में भेजे जाने वाले अन्तरिक्षयानों के लिए चन्द्रमा की कक्षा, जिसे एनआरएचओ कहते हैं, की विशेषताओं को परखना;
  • चन्द्रमा की सतह और पृष्ठ के लिए एक अत्यधिक कुशल प्रक्षेपपथ प्रदान करने वाली इस अद्वितीय कक्षा में प्रवेश करने और बनाए रखने का प्रदर्शन करना;
  • अन्तरिक्षयान-से-अन्तरिक्षयान नेविगेशन सेवाओं का प्रदर्शन करना, जो भविष्य में भेजे जाने वाले अन्तरिक्षयानों को विशेष रूप से पृथ्वी से निगरानी पर निर्भर हुए बिना चन्द्रमा के सापेक्ष अपना स्थान निर्धारित करने की सुविधा देते हैं;
  • भविष्य में चन्द्रमा से सम्बन्धित मिशनों के संचालन के व्यावसायिक समर्थन की नींव रखना; और
  • पृथ्वी की निम्न कक्षा से परे, चन्द्रमा तक, और उससे भी आगे क्यूबसैट के छोटे समर्पित प्रक्षेपणों द्वारा अनुभव प्राप्त करना।

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