रॉयल स्वीडिश एकेडमी ने 6 अक्तूबर, 2023 को ईरानी महिला अधिकारों की वकालत करने वाली नर्गिस मोहम्मदी (Narges Mohammadi) को 2023 के नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित करने की घोषणा की। नॉर्वेजियन नोबेल कमेटी की प्रशस्ति (साइटेशन) के अनुसार, उन्हें ईरान में महिलाओं के उत्पीड़न के खिलाफ उनके संघर्ष, तथा मानव अधिकारों और सभी के लिए स्वातंत्र्य को बढ़ावा देने के उनके संघर्ष के लिए 2023 के नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। उनके संघर्षों ने विश्व की उन सभी महिलाओं को, जो उन परिस्थितियों में रही हैं जहां उनके साथ नियमित रूप से भेदभाव किया जाता है, समानता, सम्मान और स्वतंत्रता के लिए अपनी लड़ाई जारी रखने के लिए प्रोत्साहित किया है। नर्गिस मोहम्मदी को प्रदान किए गए नोबेल शांति पुरस्कार को ईरान में “ज़ान-ज़िंदिगी-आज़ादी (महिला-जीवन-स्वतंत्रता)” आंदोलन के, जिसने 2022 में पादरी प्रतिष्ठान (क्लेरिकल एस्टैब्लिशमेंट) को हिलाकर रख दिया था, लिए एक सम्मान के रूप में देखा गया है। 2003 में नोबेल शांति पुरस्कार विजेता शिरीन एबादी के बाद इस पुरस्कार से सम्मानित की जाने वाली नर्गिस मोहम्मदी ईरान की दूसरी महिला हैं। नर्गिस इस प्रतिष्ठित पुरस्कार को प्राप्त करने वाली 19वीं महिला हैं।
नर्गिस मोहम्मदी का जन्म 1972 में ज़ंजान (Zanjan), ईरान में हुआ था। उन्होंने एक पेशेवर इंजीनियर बनने के उद्देश्य से काज़्विन इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी से भौतिकी में डिग्री प्राप्त की। जब वे विश्वविद्यालय में पढ़ रही थीं, तब उन्होंने छात्रों के समाचार-पत्र में महिलाओं के अधिकारों पर लेख लिखना शुरू कर दिया था। इसके लिए उन्हें, जब वे राजनीतिक छात्र समूह ताशक्कोल दानेशजुई रोशनगरन—Tashakkol Daaneshjuyi Roshangaraan (प्रबुद्ध छात्र समूह) की दो बैठकों में शामिल हुई थीं, जिसके लिए दो बार गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया गया।
नर्गिस मोहम्मदी ने कई समाचार-पत्रों में एक पत्रकार के रूप में कार्य किया। उन्होंने राजनीतिक निबंधों पर द रिफॉर्म्स, द स्ट्रैटेजी एंड द टैक्टिक्स नामक एक पुस्तक लिखी और प्रकाशित की है। इसके बाद वे नोबेल पुरस्कार विजेता शिरीन एबादी द्वारा संचालित डिफेंडर्स ऑफ ह्यूमन राइट्स सेंटर (डीएचआरसी) में शामिल हो गईं। बाद में, उन्होंने डीएचआरसी के उपाध्यक्ष का पद धारण किया।
नर्गिस मोहम्मदी अभी भी ईरान में अपना मानव अधिकार संबंधी कार्य कर रही हैं। वे ईरानी महिलाओं के अधिकारों में सक्रिय रूप से शामिल रही हैं, तथा ईरान में कैदियों को दी जाने वाली मौत की सजा और अन्य कठोर सजाओं के भी खिलाफ हैं।
2011 में विरोध प्रदर्शन के लिए अपने पहले कारावास के दौरान, उन्होंने अपने आदर्श वाक्य को नहीं छोड़ा और महिला कैदियों के साथ मिलकर सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन आयोजित किया। मोहम्मदी वर्तमान में ईरान के एविन हाउस ऑफ डिटेंशन में कैद हैं। वे राष्ट्र के विरुद्ध दुष्प्रचार सहित अन्य आरोपों में 2015 से 16 वर्ष की सजा काट रही हैं।
ईरानी सरकार ने मोहम्मदी को 13 बार गिरफ्तार किया, पांच बार दोषी ठहराया, तथा कुल 31 वर्ष जेल और 154 कोड़ों की सजा सुनाई। उन्होंने सितंबर 2022 में, जब उन्हें एक चिकित्सा आपातकाल के कारण घर जाने के लिए रिहा किया गया था, व्हाइट टॉर्चर नामक एक पुस्तक प्रकाशित की। यह पुस्तक एकांत कारावास के बारे में है। इसमें अन्य ईरानी महिलाओं के साक्षात्कार शामिल थे जिन्होंने यह सजा काटी थी।
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त के कार्यालय के अनुसार, यह पुरस्कार प्रतिशोध, धमकी, हिंसा और हिरासत का सामना करने में ईरानी महिलाओं के साहस और दृढ़ संकल्प को उजागर करता है।
अन्य पुरस्कार
नोबेल शांति पुरस्कार के अलावा, मोहम्मदी ने कई अन्य सम्मान और पुरस्कार जीते हैं, जिनमें अलेक्जेंडर लैंगर अवॉर्ड (2009), जिसका नाम शांति कार्यकर्ता अलेक्जेंडर लैंगर के नाम पर रखा गया है; अमेरिकन फिजिकल सोसाइटी द्वारा आंद्रेई सखारोव अवॉर्ड (2018); पेन/बार्बी फ्रीडम टू राइट अवार्ड (2023); और 2023 यूनेस्को/गिलर्मो कैनो वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम अवॉर्ड और अन्य शामिल हैं। उन्हें वर्ष 2022 में बीबीसी की 100 प्रेरक और प्रभावशाली महिलाओं (BBC’s 100 inspiring and influential women) में से एक के रूप में भी चुना गया था।
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