सुप्रीमकोर्ट ने केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय को देश भर में लगभग 21 राष्ट्रीय उद्यानों और वन्यजीव अभयारण्यों को ‘पर्यावरण संवेदनशील क्षेत्रों’ के रूप में घोषित करने का निर्देश दिया है।

पर्यावरणऔर वन मंत्रालय ने पर्यावरण संवेदनशील क्षेत्र  Eco Sensitive Zones (ESZ)  घोषित करने के लिए पैरामीटर और मानदंड निर्धारित करने वाले दिशानिर्देशों के एक व्यापक सेट को मंजूरी दे दी है। मंत्रालय द्वारा गठित एक समिति ने इसे रखा। दिशानिर्देशों के आधार पर वे मानदंड निर्धारित किये गए हैं कि किन क्षेत्रों को ईएसए के रूप में घोषित किया जा सकता है।

पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 में “पर्यावरण संवेदनशील क्षेत्र” शब्द का उल्लेख नहीं है।

अधिनियम की धारा 3 (2) (v) के  अनुसार  केंद्र सरकार कुछ क्षेत्रों को प्रतिबंधित कर सकती है कि वहां किसी भी उद्योग, संचालन या प्रक्रियाएं नहीं की जाएंगी अथवा बहुत आवश्यक हो तो ये उद्द्योग, प्रक्रियाएं या संचालन कुछ सुरक्षा उपायों के अधीन ही किये जाएंगे। 

इस अधिनियम की धारा 5 (1) के अनुसार , केंद्र सरकार किसी क्षेत्र की जैविक विविधता के आधार पर, प्रदूषण की अधिकतम स्वीकार्य सीमा, पर्यावरण के अनुकूलभूमि उपयोग अथवा संरक्षित क्षेत्रों से निकटता के आधार पर उद्योगों व प्रक्रियाओं को प्रतिबंधित कर सकती है। पर्यावरण संवेदनशील क्षेत्रों  को घोषित करने में इन्हीं दो धाराओं का सरकार द्वारा किया गया है। 

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