वायुमंडल में सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में हाइड्रोकार्बन और नाइट्रोजन ऑक्साइड की अभिक्रिया से बने धुएं और कोहरे के मिश्रण को प्रकाश-रासायनिक धूमकुहा (फोटोकेमिकल स्मॉग) कहा जाता है। प्रकाश-रासायनिक धूमकुहा तब उत्पन्न होता है जब सूर्य से निकलने वाली पराबैंगनी किरणें वायुमंडल में मौजूद नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx) और वाष्पशील कार्बनिक यौगिकों (VOCs) के साथ रासायनिक अभिक्रिया करती हैं, जिसके फलस्वरूप सूक्ष्मकर्ण पदार्थ (पीएम) तथा भू-स्तरीय ओजोन जैसे प्रदूषक उत्पन्न होते हैं। यह शहरों में भूरे रंग की धुंध के रूप में दिखाई देता है। यह गर्मियों के मौसम में अधिक होता है, विशेषकर ग्रीस, इजराइल, जापान, ऑस्ट्रेलिया, भारत और इंग्लैंड के घनी आबादी वाले और गर्म शहरों में, क्योंकि इस समय पृथ्वी पर सबसे अधिक सौर प्रकाश होता है।


धुएं और प्राकृतिक कोहरे के मिश्रण को धूमकुहा (स्मॉग) कहते हैं; यह मुख्य रूप से शहरी क्षेत्र में बनता है और बहुत ही हानिकारक होता है। स्मॉग वायु प्रदूषण का एक रूप है जो दृश्यता को कम कर देता है। ‘स्मॉग’ शब्द का प्रयोग पहली बार वर्ष 1905 में एच.ए. डेस वोएक्स द्वारा कई ब्रिटिश शहरों में पाए जाने वाले ‘कोहरे’ और ‘धुएं’ के मिश्रण का वर्णन करने के लिए किया गया था। यह दो प्रकार का हो सकता है: क्लासिकल स्मॉग या सल्फ्यूरस स्मॉग और फोटोकेमिकल स्मॉग या इंडस्ट्रियल स्मॉग अथवा समर स्मॉग। लंदन में ‘ग्रेट स्मॉग ऑफ 1952’, जिसे ‘लंडन स्मॉग’ भी कहा जाता है, सल्फ्यूरस स्मॉग का एक उदाहरण था।


प्रकाश-रासायनिक धूमकुहे के अवयव

प्रकाश रासायनिक घूमकुहा मुख्यतः नाइट्रोजन ऑक्साइड, वाष्पशील कार्बनिक यौगिक और एरोसोल (धूल, राख आदि के कण) जैसे प्राथमिक वायु प्रदूषकों, जो विशेष स्रोतों से निर्मित वे प्रदूषक, जो सीधे वायुमंडल में उत्सर्जित होते हैं, से मिलकर बनता है जो सूर्य के प्रकाश में परिवर्तन करने के लिए रासायनिक अभिक्रियाओं की एक शृंखला में संयोजित होते हैं जिससे ओजोन (O3), पेराक्सीएसिटाइल नाइट्रेट्स (PANs), नाइट्रिक एसिड, एल्डिहाइड्स तथा अन्य हानिकारक पदार्थ जैसे द्वितीयक प्रदूषकों (वे हानिकाकरक पदार्थ जो वायुमंडल में तब निर्मित होते है, जब प्राथमिक वायु प्रदूषक वायुमंडल में सामान्यतया पाए जाने वाले अन्य पदार्थों या वायु प्रदूषकों के साथ अभिक्रिया करते हैं) का निर्माण होता है। द्वितीयक प्रदूषक सबसे अधिक चिंता का कारण है।

प्रकाश-रासायनिक धूमकुहे के प्रमुख स्रोत

मानवजनित स्रोत: प्रकाश रासायनिक धूमकुहे के दो प्रमुख स्रोत हैं: यद्यपि नाइट्रोजन ऑक्साइड और वीओसी जैविक रूप से (प्रकृति में) उत्पन्न होते हैं, तथापि दोनों प्रमुख रूप से मानवजनित उत्सर्जन के कारण होते हैं। प्राकृतिक उत्सर्जन बड़े क्षेत्रों में फैला हुआ होता है, जिससे इनका प्रभाव कम हो जाता है, लेकिन मानव निर्मित उत्सर्जन, जिसमें ऑटोमोबिल क्षेत्र, कोयले से चलने वाले विद्युत संयंत्र, जीवाश्म ईंधन के अपूर्ण दहन, विलायक और ईंधन के वाष्पीकरण की महत्वपूर्ण भूमिका है, नाइट्रोजन ऑक्साइड और वीओसी के हानिकारक प्रभावों के लिए उत्तरदायी है।

जैव जनित स्रोत: प्राकृतिक रूप से वनाग्नि, तड़ित [दमक के रूप में दृष्टिगोचर होने वाला विद्युत विसर्जन (डिस्चार्ज)], मृदा में होने वाला सूक्ष्मजैविक प्रक्रम ज्वालामुखी विस्फोट तथा प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले यौगिकों, जैसे टर्पीन जो तेल में मौजूद हाइड्रोकार्बन होते हैं जो उन्हें जलाते हैं, के वाष्पीकरण से पर्यावरण में NOx तथा VOC जैसे प्रदूषक उत्पन्न एवं वर्धित होते है।

उपर्युक्त स्रोतों के अलावा, प्रकाश-रासायनिक धूमकुहे के सृजन के लिए अन्य कारक भी उत्तरदायी होते है; जैसे—

स्थलाकृति: किसी शहर के आसपास की स्थलाकृति प्रकाश-रासायनिक धूमकुहे के गठन को काफी हद तक प्रभावित कर सकती है। जैसाकि पवनें, वायुसंहितयों को क्षैतिज और ऊर्ध्वाधर दोनों तरह से विसरित करती हैं, प्रदूषकों को वायुमंडल में फैलाती हैं और उद्गमस्थल से दूरी के कारण सांद्रता को कम करती हैं। इसलिए हवा न चलने के कारण, घाटी का एक शहर उन समस्याओं का अनुभव कर सकता है, जो खुले में स्थित एक शहर नहीं करता। किसी पहाड़ और तट के बीच स्थित होने के कारण एक शहर हवा के न चलने का अनुभव कर सकता है।

मौसम विज्ञान: सामान्य तौर पर पृथ्वी की सतह के निकटतम हवा की परत वायुमंडल में ऊपर की हवा की तुलना में अधिक गर्म होती है क्योंकि सूर्य की ऊष्मा पुनः विकिरणित (जो पृथ्वी की सतह से गर्म होती है) होती है। ऊपरी वायुमंडल की ठंडी हवा नीचे बैठ जाती है और फिर गर्म हो जाती है, तथा संवहन चक्र में ऊपर की ओर विस्थापित हो जाती है। इस स्थिति को ‘अनस्टेबल’ (अस्थिर) कहा जाता है और यह प्रदूषकों को ऊपर ले जाने में सहायक होती है, जहां ये प्रकीर्णित और तनूकृत (डायल्यूटिड) हो जाते हैं। इस चक्र को आमतौर पर हवा की तेज गति से सहायता मिलती है। हालांकि, जब इस प्रक्रिया के विपरीत तापमान व्यत्क्रमण की स्थिति होती है तो शहरों में लंबे समय तक प्रकाश-रासायनिक धूमकुहा ठहर सकता है।

प्रकाश-रासायनिक धूमकुहे के प्रभाव

प्रकाश-रासायनिक धूमकुहा पर्यावरण, लोगों के स्वास्थ्य और यहां तक कि विभिन्न सामग्रियों को भी प्रभावित कर सकता है। प्रमुख दिखाई देने वाला प्रभाव है—भूरी धुंध (ब्राउन हेज), जिसे कई शहरों के ऊपर देखा जा सकता है। भूरा रंग प्रकाश का प्रकीर्णन करने वाले बहुत छोटे तरल और ठोस कणों के कारण होता है।

पौधे: NOx, ओजोन और पीएएन जैसे रसायन पौधों पर हानिकारक प्रभाव डाल सकते हैं। ये पदार्थ प्रकाश संश्लेषण को कम करके पौधों की वृद्धि को कम कर सकते हैं या रोक भी सकते हैं। ओजोन, कम मात्रा में भी, ऐसा कर सकती है, लेकिन पीएएन पौधों के लिए ओजोन से भी अधिक विषाक्त होते हैं।

स्वास्थ्य: प्रकाश-रासायनिक धूमकुहे के संबंध में सबसे बड़ी चिंता इसका लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ने वाला प्रभाव है। जैसाकि NOx हृदय और फेफड़ों की समस्याओं को बढ़ा सकता हैं; तथा संक्रमण के प्रति प्रतिरोधक क्षमता में कमी का कारण बन सकता है। VOCs आंखों में जलन; श्वसन संबंधी समस्याओं का कारण बन सकते हैं; और इसके कुछ यौगिक कैंसरजनक (कैंसर उत्पन्न करने वाला यौगिक) होते हैं। ओजोन से खांसी और घरघराहट; आंखों में जलन; श्वसन संबंधी समस्याओं (विशेष रूप से अस्थमा के मरीजों के लिए) जैसी स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। पीएएन से आंखों में जलन तथा श्वसन संबंधी समस्याओं का कारण बन सकती हैं। मनुष्यों की तरह ही ये विषाक्त तत्व पशु-पक्षियों को भी प्रतिकूल रूप से प्रभावित करते हैं।

सामग्री: प्रकाश-रासायनिक धूमकुहे में अंतर्भूत ओजोन विभिन्न पदार्थों तथा सामग्रियों को नुकसान पहुंचा सकता है। यह रबर के टूटने, कपड़ों की तन्य शक्ति में कमी, रंगे हुए रेशों के फीके पड़ने और पेंट के टूटने का कारण बन सकता है। ओजोन  सांस्कृतिक महत्व की दृष्टि से कलाकृतियों और पुस्तकों को अत्यधिक नुकसान पहुंचा सकता है।

निष्कर्ष

दिन-प्रतिदिन वायुमंडल में बढ़ता प्रकाश-रासायनिक धुमकुहा न केवल विकसित देशों बल्कि विकासशील देशों के लिए भी गहन चिंता का एक विषय बनता जा रहा है। यद्यपि अमेरिका जैसे कई देशों ने वायुमंडल में बनने वाली धुंध, विशेषकर प्रकाश-रासायनिक धूमकुहे के शमन हेतु कानून बनाए हैं, तथापि पर्यावरण की सुरक्षा देश के प्रत्येक व्यक्ति द्वारा की जानी चाहिए। इसके लिए व्यक्तिगत स्तर पर सड़कों पर निजी वाहनों की संख्या तथा अनवीकरणीय ऊर्जा संसाधनों (जो वायु प्रदूषण के प्राथमिक स्रोत हैं) पर निर्भरता कम करने; ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोत के रूप में सौर ऊर्जा के प्रगहण तथा प्रयोग को बढ़ावा देने जैसे आवश्यक कदम उठाए जा सकते हैं।

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