परिचय

अंटार्कटिका में समुद्री जीव संपदा के दोहन और मानव की उपस्थिति से अंटार्कटिक पर्यावरण और इसके आसपास के समुद्र को संरक्षित करने के संबंध में चिंता बढ़ रही है। निजी विमानन और जहाज प्रचालन ने अंटार्कटिका में पर्यटन और मत्स्य पालन को बढ़ावा दिया है, जिसे विनियमित करने की आवश्यकता है। इस संबंध में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कुछ संधियां प्रतिपादित की गई हैं। अंटार्कटिक संधि (1959), अंटार्कटिक समुद्री जीव संपदा के संरक्षण पर अभिसमय (1980) और अंटार्कटिक संधि के लिए पर्यावरण संरक्षण पर प्रोटोकाल (1991) को प्रभावी बनाने के लिए भारत सरकार द्वारा भारतीय अंटार्कटिक अधिनियम, 2022 अधिनियमित किया गया। यह अधिनियम अंटार्कटिक पर्यावरण और इससे संबद्ध पारितंत्र की सुरक्षा के लिए कुछ उपायों का उपबंध करता है।


अंटार्कटिका को लेकर सत्ताईस देशों में पहले से ही घरेलू अधिनियम हैं, जिनमें अर्जेंटीना, बेलारूस, बेल्जियम, कनाडा, चिली, कोलंबिया, फिनलैंड, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, कोरिया गणराज्य, नीदरलैंड, न्यूजीलैंड, नॉर्वे, पेरू, रूसी संघ, दक्षिण अफ्रीका, स्पेन, स्वीडन, तुर्की, यूक्रेन, यूनाइटेड किंगडम, संयुक्त राज्य अमेरिका, उरुग्वे और वेनेजुएला शामिल हैं।


अधिनियम की आवश्यकता

महाद्वीप पर भारतीय वैज्ञानिकों की बढ़ती उपस्थिति के कारण भी यह अधिनियम आवश्यक था। 1959 की संधि ने भारत को महाद्वीप के उन हिस्सों को नियंत्रित करने हेतु कानूनों का एक समुच्च निर्दिष्ट करने के लिए भी बाध्य किया जहां उसके अनुसंधान संचालन केंद्र (बेस) थे।

पिछले 40 वर्षों से, भारत ने अंटार्कटिका में विभिन्न अभियान भेजे हैं, जो हालांकि, अंतरराष्ट्रीय कानून द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों के अधीन थे। इस क्षेत्र में भारत के तीन स्टेशन हैं:

दक्षिण गंगोत्री: दक्षिणी ध्रुव से लगभग 2,500 किलोमीटर दूर, अंटार्कटिका में भारत का पहला वैज्ञानिक बेस स्टेशन दक्षिण गंगोत्री 1983-84 में बनाया गया था। इसका निर्माण बर्फ से ढके सुदूर दक्षिणी महाद्वीप की ओर भारत की तीसरी यात्रा के दौरान किया गया था और इसका नाम गंगोत्री हिमनद के नाम पर रखा गया है। पहली बार, किसी भारतीय दल ने अनुसंधान कार्य के लिए अंटार्कटिका में सर्दियां बिताईं। 26 जनवरी, 1984 को 81 सदस्यीय टीम ने पूर्वी जर्मन और सोवियत वैज्ञानिकों के साथ दक्षिण गंगोत्री पर भारत का गणतंत्र दिवस मनाया। इस बेस स्टेशन का उपयोग मौसम विज्ञान, संचार और भूविज्ञान में अनुसंधान के लिए एक केंद्र के रूप में किया जाता था, जब तक कि 1988-89 में बर्फ में डूब जाने के कारण इसका परित्याग नहीं कर दिया गया।

मैत्री: वर्ष 1988 में शिमरचेर ओएसिस पर एक बर्फ मुक्त और चट्टानी क्षेत्र को दूसरा अनुसंधान स्टेशन, मैत्री बनाने के लिए चुना गया था। यह समुद्र तल से लगभग 50 मीटर की ऊंचाई पर समुद्र तट से लगभग 100 किमी. दूर एक अंतर्देशीय स्टेशन है। यह स्टेशन जीवविज्ञान, हिमानिकी (ग्लेशियोलॉजी), मानव शरीर विज्ञान, मौसम विज्ञान, वायुमंडलीय विज्ञान, संचार, चिकित्सा इत्यादि जैसे विभिन्न विषयों में अनुसंधान करने के लिए प्रत्येक साधन से सुसज्जित है।

भारती: मैत्री से लगभग 3000 किमी. पूर्व में, नया भारतीय अनुसंधान बेस भारती, थाला फेजॉर्ड और क्विल्टी खाड़ी के बीच, अंटार्कटिका में स्टोर्न्स प्रायद्वीप के पूर्व में समुद्र तल से लगभग 35 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। भारतीय अंटार्कटिक कार्यक्रम द्वारा वर्ष-दर-वर्ष वैज्ञानिक अनुसंधान गतिविधि को सुविधाजनक बनाने के लिए 18 मार्च, 2012 को इस स्टेशन को बनाया गया था। यह गर्मियों और सर्दियों के दौरान द्विभागिता के आधार पर 47 कर्मियों के लिए जगह प्रदान कर सकता है और अतिरिक्त 25 व्यक्तियों को आपातकालीन आश्रयों/समर कैंपों (ग्रीष्मकालीन शिविरों) में ठहरा सकता है। समर्पित उपग्रह चैनलों के माध्यम से संचार होता है जो आवाज, वीडियो और डेटा के लिए भारत की मुख्य भूमि के साथ कनेक्टिविटी (संयोजकता) प्रदान करता है।

भारतीय अंटार्कटिक अधिनियम के अनुसार, लोगों, व्यवसायों, आगंतुकों और ऐसे अनुसंधान अभियानों के लिए अंटार्कटिका से संबंधित कई नियम हैं। यह अधिनियम भारतीय न्यायालयों के अधिकार का दायरा बढ़ाता है। इसलिए, पर्यावरणीय अपराधों सहित किसी भी भारतीय अभियान के दौरान किए गए अपराधों से जुड़े मामलों की सुनवाई के लिए भारतीय न्यायालयों के अधिकार को बढ़ाना महत्वपूर्ण है।

भारतीय अंटार्कटिक अधिनियम के प्रमुख प्रावधान

इस अधिनियम में विभिन्न पहलुओं से संबंधित 10 अध्याय और 57 धाराएं शामिल हैं। कुछ प्रमुख उपबंधों का उल्लेख निम्नलिखित है।

प्रयोज्यता: यह अधिनियम भारतीय के साथ-साथ विदेशी नागरिकों या भारत में, या भारत के बाहर पंजीकृत किसी भी जलयान/विमान, अथवा किसी व्यावसायिक निगम, साझेदारी, संयुक्त उद्यम, लोगों के समूह या भारत में लागू किसी भी विधि के तहत निर्मित, स्थापित या मान्यता प्राप्त किसी अन्य विधिक इकाई पर लागू होता है।

अनुज्ञा की आवश्यकता: निम्नलिखित विभिन्न गतिविधियों के लिए अनुज्ञा की आवश्यकता होगी।

  • अंटार्कटिका में प्रवेश करने या वहां रहने के लिए एक भारतीय अभियान;
  • ऐसी गतिविधियां जो स्थानीय प्रजातियों को खतरे में डाल सकती हैं, जैसेकि अंटार्कटिका में किसी व्यक्ति, जलयान या वायुयान द्वारा अपशिष्ट निपटान;
  • खनिज संसाधन से संबंधित गतिविधियों जैसेकि (क) खनिज संसाधनों के लिए ड्रिलिंग (वेधन), ड्रेजिंग (निकर्षण), या उत्खनन; (ख) खनिज संसाधनों के किसी भी नमूने को एकत्र करने हेतु अनुज्ञा;
  • कोई भी व्यक्ति, जलयान, या वायुयान अंटार्कटिका के किसी भी हिस्से में ऐसे किसी भी जानवर, पौधों या किसी सूक्ष्म जीव, जो अंटार्कटिका का निवासी नहीं है, को तब तक नहीं ला सकता जब तक कि प्रोटोकॉल के किसी अन्य पक्षकार द्वारा लिखित रूप में प्राधिकृत न किया गया हो;
  • अंटार्कटिका में किसी भारतीय स्टेशन में प्रवेश करने या रहने के लिए किसी व्यक्ति को अनुज्ञा की आवश्यकता होगी; तथा
  • भारत में पंजीकृत जलयान या वायुयान को अंटार्कटिका में प्रवेश करने या वहां रहने के लिए अनुज्ञा की आवश्यकता होगी।

प्रतिषिद्ध गतिविधियां: प्रतिषेध निम्नलिखित कार्यों से संबंधित हैं:

  • अंटार्कटिका में परमाणु विस्फोट या रेडियोधर्मी अपशिष्ट पदार्थ के निस्सारण पर प्रतिबंध।
  • अंटार्कटिका के किसी भी भाग में उपजाऊ मृदा लाने पर प्रतिबंध।
  • निर्दिष्ट पदार्थों और उत्पादों की प्रविष्टि पर प्रतिबंध।
  • अंटार्कटिका में किसी ऐतिहासिक स्थल या संस्मारक या उसके भाग को क्षति पहुंचाने, नष्ट करने या हटाने पर प्रतिबंध।
  • समुद्री पर्यावरण के लिए नुकसानदायक कोई कूड़ा-कचरा, प्लास्टिक या अन्य उत्पाद या पदार्थ के निस्सारित करने पर प्रतिबंध।

समिति का गठन: केंद्र सरकार अंटार्कटिक शासन और पर्यावरण संरक्षण संबंधी समिति का गठन करेगी जिसमें

  • पदेन अध्यक्ष के रूप में पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव;
  • विभिन्न मंत्रालयों और संगठनों, जैसे कि रक्षा, विदेश, वित्त, मत्स्य पालन, विधि कार्य, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, पोत परिवहन, पर्यटन, पर्यावरण, संसूचना, अंतरिक्ष, राष्ट्रीय ध्रुवीय एवं समुद्री अनुसंधान केन्द्र, तथा राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय, के दस सदस्य; एवं
  • अंटार्कटिक पर्यावरण और भू-राजनीति के क्षेत्रों के दो विशेषज्ञ, जिन्हें केंद्र सरकार द्वारा नामनिर्दिष्ट किया जाएगा, शामिल होंगे।

समिति के कार्य

  • निगरानी, क्रियान्वयन और यह सुनिश्चित करना कि अंटार्कटिका में कार्यक्रमों और गतिविधियों में शामिल सभी पक्षकार पर्यावरण के संरक्षण के लिए लागू अंतरराष्ट्रीय विधियों, उत्सर्जन मानकों और नियमों का अनुपालन करें;
  • अंटार्कटिका में कार्यक्रमों और क्रियाकलापों के संबंध में सलाह लेना, पर्यवेक्षी या प्रवर्तन क्रियाकलाप प्रारंभ करना;
  • संधि, अभिसमय, नयाचार के पक्षकारों और अंटार्कटिका में कार्यक्रमों और क्रियाकलापों में नियोजित अन्‍य पक्षकारों द्वारा प्रदान की गई सुसंगत सूचना और रिपोर्टें अभिप्राप्‍त करना और उनका पुनर्विलोकन करना;
  • विभिन्न गतिविधियों के लिए अनुज्ञा प्रदान करने और अंटार्कटिका में पक्षकारों द्वारा संचालित कार्यक्रमों एवं गतिविधियों से संबंधित अभिलेखों का अनुरक्षण करने से पूर्व इन मामलों को ध्यान में रखनाः (क) जलवायु या मौसम के स्वरूप पर विपरीत प्रभाव; (ख) वायु, हिम, मृदा, भूमि या जल की गुणवत्ता पर विपरीत प्रभाव; (ग) वातावरण, स्‍थलीय, जलीय, हिमनदीय, ध्‍वनि या समुद्री पर्यावरण में महत्‍वपूर्ण परिवर्तन; (घ) देशज जीवाणु, जीव-जंतु या पादप जाति अथवा उनकी जीव संख्‍या के वितरण, प्रचुरता या उत्‍पादकता में हानिकर परिवर्तन; (ङ) संकटापन्‍न जाति या जीव संख्‍या को हानि या जोखिम में डालने; (च) किसी आवेदक को प्रस्तावित गतिविधियों के पर्यावरणीय प्रभाव का आकलन करने की आवश्यकता के अलावा पर्यावरणीय, जैव, भू-वैज्ञानिक, वैज्ञानिक, ऐतिहासिक, ऊसर या सौंदर्य की दृष्‍टि से महत्वपूर्ण अथवा आदि युगीन प्रकृति के क्षेत्रों को अपहानि या विपुल जोखिम में डालना;
  • अनुज्ञा को निलंबित या रद्द करना, यदि किसी अनुज्ञा धारक ने कोई गलत या मिथ्या कथन दिया है अथवा कोई भौतिक तथ्य या अन्य उचित आधार छुपाया हो;
  • अंटार्कटिका में गतिविधियों के लिए अन्य पक्षकारों के साथ फीस/प्रभार के संबंध में बातचीत करना;
  • यह सुनिश्चित करना कि कार्यक्रम और गतिविधियां संधि, अभिसमय और प्रोटोकॉल के अधीन भारत के दायित्वों के अनुरूप हों;
  • अंटार्कटिका में निरीक्षण करने के प्रयोजनों के लिए एक निरीक्षण दल का गठन करना, तथा कर्तव्यों का पालन करने और निरीक्षण की शक्तियों का प्रयोग करने हेतु एक अधिकारी को निरीक्षक के रूप में नामित करना;
  • अपशिष्ट वर्गीकरण प्रणाली और अपशिष्ट प्रबंधन योजनाएं स्थापित करना; तथा
  • उपर्युक्त उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए अन्य पक्षकारों के साथ सहयोग करना और ऐसे अन्य कार्य जो केंद्र सरकार द्वारा इसे सौंपे जा सकते हैं।

अपशिष्ट का निपटान और अपशिष्ट प्रबंधन: भूमि पर स्थित अपशिष्‍ट निपटान स्‍थलों और परित्‍यक्‍त कार्य स्‍थलों को अपशिष्‍ट उत्पन्न करने वालों द्वारा और ऐसे स्‍थलों के उपयोक्‍ताओं द्वारा साफ किया जाएगा।

समिति द्वारा निम्न कार्यों हेतु अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली स्थापित की जाएगीः

  • अंटार्कटिका में मल और घरेलू तरल अपशिष्ट, ईंधन और स्नेहक सहित चिकित्सीय और रासायनिक अपशिष्ट जैसे अन्य तरल अपशिष्ट, जैविक अपशिष्ट सहित ठोस पदार्थ और रेडियोधर्मी सामग्री जैसी गतिविधियों से अपशिष्ट को रिकॉर्ड करने के लिए; तथा
  • वैज्ञानिक और संबंधित गतिविधियों के पर्यावरणीय प्रभावों पर अध्ययन को सुकर बनाने के लिए।

समुद्री प्रदूषण के निवारण और पर्यावरणीय आपात के लिए दायित्व: समिति, अनुज्ञापत्र धारक द्वारा अंटार्कटिका के पर्यावरण और इसके आश्रित तथा सहबद्ध पारिस्‍थितिकीय तंत्र में किसी क्रियाकलाप, जिसके अंतर्गत अंतरराष्‍ट्रीय अभिसमयों या संधियों का अनुपालन भी शामिल है, की अनुपालना सुनिश्‍चित करेगी।

कोई प्रचालक किसी पर्यावरणीय आपात के लिए दायी नहीं होगा, यदि यह साबित हो जाता है कि ऐसा आपात कोई कार्य करने या करने से लोप रहने से, जो मानव जीवन की संरक्षा के लिए आवश्‍यक था, कोई असाधारण प्रकृति की प्राकृतिक आपदा जिसकी युक्तियुक्त रूप से पूर्वकल्पना नहीं की जा सकती थी, आतंकवाद का कोई कृत्य और प्रचालक की गतिविधि के उद्देश्य से युद्ध कार्य के कारण हुआ है।

अपराध और शास्तियां: अपराधों और शास्तियों के लिए विभिन्न उपबंध हैं जैसेकिः

  • अंटार्कटिका में नाभिकीय विस्फोट करने पर न्यूनतम 50 करोड़ रुपये का जुर्माना होगा और 20 वर्ष की कारावास की सजा होगी, जिसे आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकता है। (धारा 17)
  • बिना लाइसेंस के, खनिजों के लिए ड्रिलिंग करना या बाहरी (या विदेशी) जानवरों या पौधों को अंटार्कटिका में लाना अवैध है। अपराधियों को सात वर्ष का कारावास और 10 लाख रुपये से 50 लाख रुपये तक का जुर्माना होगा। (धारा 7, 9, और 10)
  • केंद्रीय सरकार, इस अधिनियम के अधीन अपराधों के त्‍वरित विचारण का उपबंध करने के लिए, संबद्ध उच्‍च न्‍यायालय या उच्‍च न्‍यायालयों के मुख्‍य न्‍यायमूर्ति से परामर्श के पश्‍चात, जो यह आवश्यक समझे, अधिसूचना द्वारा किसी एक या अधिक सत्र न्‍यायालय को पदाभिहित न्‍यायालय के रूप में विनिर्दिष्‍ट कर सकेगी और ऐसे न्‍यायालय की क्षेत्रीय अधिकारिता विनिर्दिष्‍ट कर सकेगी (धारा 48)
  • इस अधिनियम में अन्‍यथा उपबंधित के सिवाय, दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 के उपबंध किसी पदाभिहित न्‍यायालय के समक्ष कार्रवाइयों में लागू होंगे और पदाभिहित न्‍यायालय के समक्ष अभियोजन का संचालन करने वाला व्‍यक्‍ति लोक अभियोजक समझा जाएगा। (धारा 51)
  • केंद्रीय सरकार, इस अधिनियम के प्रयोजनों के लिए अधिसूचना द्वारा केंद्रीय सरकार या राज्‍य सरकार या समिति के किसी अधिकारी को उक्‍त संहिता के अधीन किसी पुलिस अधिकारी द्वारा प्रयोक्तव्‍य गिरफ्तारी, अन्वेषण, तलाशी और अभिग्रहण तथा अभियोजन की शक्‍ति प्रदान कर सकेगी। (धारा 50)

यह अधिनियम अंटार्कटिक निधि नामक एक निधि के गठन का निर्देश भी देता है जिसका उपयोग अंटार्कटिक पर्यावरण की रक्षा के लिए किया जाएगा।

आगे की राह

बर्फ के नीचे बड़ी संख्या में अज्ञात संसाधनों की मौजूदगी के कारण अंटार्कटिक क्षेत्र का वैश्विक महत्व है। हमें अंटार्कटिक संधि प्रणाली के साथ जुड़ाव को सुदृढ़ बनाना चाहिए और इसके अनुपालन का बेहतर उपयोग करना चाहिए। संप्रभुता और संसाधनों की प्रत्याशा में समान विचारधारा वाले राष्ट्रों के साथ खुली चर्चा की आवश्यकता है। इसके संरक्षण के लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई पक्षों को मिलकर काम करना होगा। अंटार्कटिक अधिनियम जैसी पहल आगे बढ़ने का सही मार्ग है।


अंटार्कटिका क्षेत्र

पांचवां सबसे बड़ा महाद्वीप, अंटार्कटिका अपनी असामान्य जैव विविधता, कड़ाके की ठंड, शुष्क जलवायु, तीव्र हवाओं और अज्ञात क्षेत्रों के कारण ‘श्वेत महाद्वीप’ के रूप में जाना जाता है। अंटार्कटिका नाम की उत्पत्ति ग्रीक शब्द ‘एंटार्कटाइक’ से हुई है, जिसका अर्थ है ‘उत्तर के विपरीत’ या ‘आर्कटिक के विपरीत’। अंटार्कटिका एक अनोखा महाद्वीप है क्योंकि यहां प्राकृतिक रूप से मानव आबादी नहीं रहती। यह दक्षिणी गोलार्ध के लगभग 20 प्रतिशत भाग का आवरण करता है।

इस क्षेत्र का महत्व: इसका प्रमुख आकर्षण इसके खनिज संसाधन हैं, जिनमें कोयला संस्तर, मैंगनीज अयस्क, लोहा, यूरेनियम, तांबा, सीसा और अन्य धातुएं शामिल हैं। अंटार्कटिका के अनुमानित तेल भंडार 203 बिलियन बैरल तक होने का अनुमान लगाया गया है, जिसमें से वेडेल सागर और रॉस सागर में 50 बिलियन बैरल होना अपेक्षित है, जो क्रमशः ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में दावा किए गए क्षेत्रों से सटे महाद्वीपीय शेल्फों (महाद्वीप के छोर पर समुद्र की सतह के नीचे जलमग्न भूक्षेत्र) को शामिल करते हैं।

1959 की अंटार्कटिक संधि

अंटार्कटिक संधि पर 1957-58 के अंतरराष्ट्रीय भूभौतिकीय वर्ष (आईजीवाई) के दौरान 1 दिसंबर, 1959 को बारह देशों (अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, बेल्जियम, चिली, फ्रांस, जापान, न्यूजीलैंड, नॉर्वे, दक्षिण अफ्रीका, यूएसएसआर, यूके और यूएस) द्वारा वाशिंगटन में हस्ताक्षर किए गए थे। 1961 में इसके लागू होने के बाद से कई और देशों ने इसका अनुसमर्थन किया है। इस संधि में वर्तमान में 56 देश शामिल हैं। यह संधि 60 डिग्री दक्षिण अक्षांश के दक्षिणी क्षेत्र को शामिल करती है। संधि के प्रमुख उद्देश्यों में अंटार्कटिका का उपयोग केवल शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए किया जाना; वैज्ञानिक जांच की स्वतंत्रता और इस दिशा में सहयोग जारी रखना; तथा वैज्ञानिक अवलोकन और अंटार्कटिका से प्राप्त परिणामों का आदान-प्रदान किया जाना और इन्हें स्वतंत्र रूप से उपलब्ध कराया जाना शामिल हैं।

अंटार्कटिक पर्यावरण की सुरक्षा और परिरक्षण के लिए, तथा अंटार्कटिका में समुद्री जीवित संसाधनों के परिरक्षण और संरक्षण के लिए 1980 में अंटार्कटिक समुद्री जीव संपदा के संरक्षण पर अभिसमय (सीसीएएमएलआर) की स्थापना की गई थी। 1985 में, भारत सीसीएएमएलआर का सदस्य बन गया।

अंटार्कटिक संधि के लिए पर्यावरण संरक्षण पर प्रोटोकॉल पर 1991 में हस्ताक्षर किए गए और 1998 में इसे लागू किया गया था। यह अंटार्कटिका को ‘प्राकृतिक निचय, शांति और विज्ञान के लिए समर्पित’ के रूप में नामित करता है।

भारत और अंटार्कटिका संधि

भारत ने 1983 में अंटार्कटिक संधि पर हस्ताक्षर किए और उसी वर्ष सलाहकार का दर्जा प्राप्त किया। 1997 में, भारत ने प्राचीन महाद्वीप को संरक्षित करने की अपनी प्रतिबद्धता को बरकरार रखते हुए अंटार्कटिक संधि के लिए पर्यावरण प्रोटोकॉल की पुष्टि की। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के तहत 1998 में स्थापित राष्ट्रीय ध्रुवीय एवं समुद्री अनुसंधान केन्द्र (एनसीपीओआर), सभी अंटार्कटिक अभियानों के लिए नोडल एजेंसी है।


© Spectrum Books Pvt. Ltd.

error: Content is protected !!

Pin It on Pinterest

Share This