देहरादून स्थित भारतीय वन सर्वेक्षण द्वारा वर्ष 1987 से भारत में वन स्थिति का मूल्यांकन किया जाता रहा है और उस पर रिपोर्ट जारी होती रही है। वर्ष 2017 की रिपोर्ट इस शृंखला में 15वीं रिपोर्ट है। 12 फरवरी, 2018 को ‘भारत वन स्थिति रिपोर्ट, 2017’ जारी की गई। इस रिपोर्ट के अनुसार, वन क्षेत्रा के मामले में भारत विश्व के शीर्ष 10 देशों में है। ऐसा तब है जबकि बाकी 9 देशों में जनसंख्या घनत्व 150 व्यक्ति/वर्ग किलोमीटर है और भारत में यह 382 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है। भारत वन स्थिति रिपोर्ट (आईएसएफआर) द्वारा प्रदत्त जानकारी देश की वन संपदा की निगरानी और उसके संरक्षण के लिए वैज्ञानिक पद्धति पर आधारित प्रबंधन व्यवस्था और नीतियां निर्धारित करने में बेहद सहायक है। प्रस्तुत रिपोर्ट के मुख्य बिंदु इस प्रकार हैं

* यह रिपोर्ट भारत सरकार की डिजिटल इंडिया की संकल्पना पर आधारित है, इसमें वन एवं वन संसाधनों के आकलन के लिए भारतीय दूर संवेदी उपग्रह सिसोर्स सेट-2 से प्राप्त आंकड़ों का इस्तेमाल किया गया है।

* रिपोर्ट में सटीकता लाने के लिए आंकड़ों की जांच के लिए वैज्ञानिक पद्धति अपनाई गई है।

* जल संरक्षण के मामले में वनों के महत्व को ध्यान में रखते हुए रिपोर्ट में वनों में स्थित जल स्रोतों का 2005-2015 के बीच की अवधि के आधार पर आकलन किया गया है, जिससे पता चला है कि ऐसे जल स्रोतों  में आकलन अवधि के दौरान 2647 वर्ग किलोमीटर की वृद्धि दर्ज हुई है।

* संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, भारत को दुनिया के उन 10 देशों में 8वां स्थान दिया गया है जहां वार्षिक स्तर पर वन क्षेत्रों में सर्वाधिक वृद्धि दर्ज की गई है।

* भारत के भू-भाग का 24.4 प्रतिशत हिस्सा वनों और पेड़ों से घिरा है, हालांकि यह विश्व के कुल भू-भाग का केवल 2.4 प्रतिशत हिस्सा है और इन पर 17 प्रतिशत मनुष्यों की आबादी और मवेशियों की 18 प्रतिशत संख्या की जरूरतों को पूरा करने का दबाव है।

* देश में वन और वृक्षावरण की स्थिति में 2015 की तुलना में 8021 वर्ग किलोमीटर की वृद्धि हुई है। इसमें 6,778 वर्ग किलोमीटर की वृद्धि वन क्षेत्रों में हुई है, जबकि वृक्षावरण क्षेत्रा में 1243 वर्ग कि.मी. की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है।

* इस रिपोर्ट में सबसे उत्साहजनक संकेत घने वनों का बढ़ना है। रिपोर्ट में वनों को घनत्व के आधार पर तीन वर्गोंµबहुत घने वन, मध्यम घने वन और खुले जंगल में बांटा गया है।

* घने वन क्षेत्रा वायुमण्डल से सर्वाधिक मात्रा में कार्बन डाईऑक्साइड सोखने का काम करते हैं। घने वनों का क्षेत्रा बढ़ने से खुले वनों का क्षेत्रा भी बढ़ा है।

* रिपोर्ट के अनुसार, देश के 15 राज्यों और केंद्र-शासित प्रदेशों का 33 प्रतिशत भू-भाग वनों से घिरा है। इनमें 7 राज्यों और संघ शासित प्रदेशों मिजोरम, लक्षद्वीप, अंडमान-निकोबार द्वीप समूह, नागालैंड, मेघालय और मणिपुर का 75 प्रतिशत से अधिक भू-भाग वनाच्छादित है, जबकि त्रिपुरा, गोवा, सिक्किम, केरल, उत्तराखंड, दादर और नागर हवेली, छत्तीसगढ़ और असम का 33-75 प्रतिशत भू-भाग वनों से घिरा है। देश का 40 प्रतिशत वनाच्छादित क्षेत्रा 10,000 वर्ग कि.मी. या इससे अधिक के 9 बड़े क्षेत्रों के रूप में मौजूद है।

* देश में कच्छ वनस्पति का क्षेत्रा 4921 वर्ग किलोमीटर है, जिसमें वर्ष 2015 के आकलन की तुलना में कुल 181 वर्ग कि.मी. की वृद्धि हुई है।

* कच्छ वनस्पति वाले सभी 12 राज्यों में कच्छ वनस्पति क्षेत्रा में वर्ष 2015 के आकलन की तुलना में सकारात्मक परिवर्तन देखा गया है। कच्छ वनस्पति जैव-विविधता में समृद्ध होती है जो कई तरह की पारिस्थितिकीय आवश्यकताओं को पूरा करती है।

* देश में बाह्य वन एवं वृक्षावरण का कुल क्षेत्रा 582.377 करोड़ घन मीटर अनुमानित है, जिसमें से 421.838 करोड़ घन मीटर क्षेत्रा वनों के अंदर है, जबकि 160.3997 करोड़ घन मीटर क्षेत्रा वनों के बाहर है।

* पिछले आकलन (वर्ष 2015) की तुलना में बाह्य एवं वृक्षावरण क्षेत्रा में 5.399 करोड़ घन मीटर की वृद्धि हुई है, जिसमें 2.333 करोड़ घन मीटर की वृद्धि वन क्षेत्रा के अंदर तथा 3.0657 करोड़ घन मीटर की वृद्धि वन क्षेत्रा के बाहर हुई है। इस हिसाब से यह वृद्धि पिछले आकलन की तुलना में 3 करोड़ 80 लाख घन मीटर रही।

* रिपोर्ट में देश का कुल बांस वाला क्षेत्रा 1.569 करोड़ हेक्टेयर आकलित किया गया है। वर्ष 2011 के आकलन की तुलना में कुल बांस वाले क्षेत्रा में 17.3 लाख हेक्टेयर की वृद्धि हुई है। बांस के उत्पादन में वर्ष 2011 के आकलन की तुलना में 1.9 करोड़ टन की वृद्धि दर्ज हुई है।

* सरकार ने वन क्षेत्रा के बाहर उगाए जाने वाले बांस को वृक्षों की श्रेणी से हटाने के लिए हाल ही में संसद में एक विधेयक पारित किया है। इससे लोग निजी भूमि पर बांस उगा सकेंगे जिससे किसानों को आजीविका बढ़ाने में मदद मिलेगी। देश में हरे-भरे क्षेत्रों का दायरा भी बढ़ेगा और कार्बन सिंक बढ़ाने में भी मदद मिलेगी।

* राज्यों में वनों की स्थिति में सुधार के मामले में आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और केरल का प्रदर्शन सबसे अच्छा रहा। आंध्र प्रदेश में वन क्षेत्रा में 2141 वर्ग कि.मी. की वृद्धि हुई, जबकि कर्नाटक 1101 कि.मी. और केरल 1043 वर्ग कि.मी. वृद्धि के साथ दूसरे व तीसरे स्थान पर रहा।

* रिपोर्ट तैयार करने के दौरान 1800 स्थानों का व्यक्तिगत रूप से और वैज्ञानिक तरीके से सर्वेक्षण किया गया।

* मध्य प्रदेश के पास 77414 वर्ग कि.मी. का सबसे बड़ा वन क्षेत्रा है, 66964 वर्ग कि.मी. के साथ अरुणाचल प्रदेश और छत्तीसगढ़ क्रमशः दूसरे व तीसरे स्थान पर हैं।

* कुल भू-भाग की तुलना में प्रतिशत के हिसाब से लक्षद्वीप के पास 90.33 प्रतिशत का सबसे बड़ा वनाच्छादित क्षेत्रा है। इसके बाद 86.27 प्रतिशत और 81.73 प्रतिशत वन के साथ मिजोरम और अंडमान-निकोबार द्वीप समूह क्रमशः दूसरे व तीसरे स्थान पर हैं।

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