नवम्बर 2018 में, नासा द्वारा मंगल-अन्वेषण हेतु भेजा गया इनसाइट उपग्रह मंगल ग्रह पर सफलतापूर्वक उतरा, जिसे 5 मई, 2018 को प्रक्षेपित किया गया था। इसने 485 मिलियन किमी. लंबी यात्रा को लगभग सात महीनों में पूरा किया। यह अंतरिक्षयान एलिसियम प्लैमिरिया नामक व्यापक विषुवतीय मैदान पर उतरा।
लक्ष्य तथा उद्देश्यः इस मिशन के तहत दो वर्ष की अवधि में, मंगल की आंतरिक संरचना, उसकी परत, आवरण तथा अंतर्भाग के विषय में अध्ययन किया जाएगा। इससे यह जानने में सहायता मिलेगी कि पृथ्वी, चंद्रमा तथा चट्टानी सतह वाले खगोलीय पिंडों का गठन किस प्रकार हुआ। नासा के अनुसार, इनसाइट मंगल की आंतरिक संरचना का अध्ययन करेगा तथा विज्ञान के विषय में हमें बहुमूल्य शिक्षा प्रदान करेगा। अब हम पहले चंद्रमा तथा बाद में मंगल पर अंतरिक्ष यात्रियों को भेजने की तैयारी कर रहे हैं। इसका उद्देश्य मंगल के गठन के चार बिलियन वर्षों के दौरान हुए परिवर्तन को जानना है। यह लाल ग्रह के शुष्क तथा वीरान होने के कारणों को समझने में वैज्ञानिकों की सहायता करेगा।
खोजः हालांकि, 2020 के अंत तक इनसाइट ने अपने वास्तविक विज्ञान लक्ष्यों को पूरा कर अपने प्राइम मिशन को अंजाम दे दिया था, लेकिन इसकी सक्रियता के चलते नासा ने दिसम्बर 2022 तक इसका विस्तार कर दिया। मई 2022 में मिशन ने सर्वाधिक तीव्रता (5 ट्रेम्बलर) के भूकंप को दर्ज किया, जबकि अगस्त 2021 में इसने 4.2 ट्रेम्बलर के मैग्नीट्यूड वाले भूकंप का पता लगाया। 2018 से लेकर मई 2022 तक लैंडर 1,313 भूकंप दर्ज कर चुका है। जैसाकि इनसाइट की अवस्थिति वाले हिस्से में मंगल पर शीत ऋतु के आगमन के चलते क्षीण सौर प्रकाश और बेहद धूल भरी वायु के कारण लैंडर जरूरी कार्य करने में अक्षम होता जा रहा है। नासा के अनुसार, 25 मई 2022 को लैंडर द्वारा भेजी गई सेल्फी से स्पष्ट होता है कि उसके सौर पैनल पर अत्यधिक धूल जमा हो गई है तथा ऊर्जा स्तर में भी भारी गिरावट है, जिससे यह मिशन अपने अंत की ओर जा रहा है। वैज्ञानिकों ने फरवरी 2020 में नेचर और नेचर जियोसांइस नामक वैज्ञानिक जर्नल में इनसाइट मिशन के आंकड़े प्रकाशित किए। 23 अप्रैल, 2019 को नासा द्वारा जारी किए गए वक्तव्य के अनुसार, इसके इनसाइट लैंडर खोजी अंतरिक्षयान के सेसमिक एक्सपेरिमेंट फॉर इंटीरियर स्ट्रक्चर (एसईआईएस) यंत्र द्वारा 6 अप्रैल, 2019 को पहली बार मंगल ग्रह की आंतरिक सतह में उत्पन्न होने वाले कंपन या मंगल ग्रह के भूकंप की पहचान की गई। वैज्ञानिकों के अनुसार, इनसाइट द्वारा रिकॉर्ड की गई ये तरंगें मंगल के आंतरिक क्रोड में महसूस की गई हैं, न कि उसकी ऊपरी सतह पर। नासा के अनुसार, हालांकि इससे पहले भी इनसाइट के भूकंपमापी (एसईआईएस) के वेरी ब्रॉडबैंड सेंसर के माध्यम से मंगल की भीतरी सतह में उत्पन्न होने वाली तरंगों को रिकॉर्ड किया गया था।
पृथ्वी पर आने वाले भूकंप इसकी टेक्टॉनिक प्लेट्स के अपने स्थान से खिसकने के कारण आते हैं। लेकिन मंगल और चंद्रमा की सतह में टेक्टॉनिक प्लेट्स नहीं हैं, इसके बावजूद उनकी सतह के नीचे तरंगें उत्पन्न होती हैं, जिनका कारण उनकी सतह के ठंडे होने ओर सिकुड़ने की निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है, जिसके कारण उनकी सतह के नीचे एक दबाव का निर्माण होता है। इसके साथ ही वैज्ञानिकों का यह भी मानना है कि इसका एक अन्य कारण उल्कापिंडों का संघात या चंद्रमा और मंगल के आंतरिक क्रोड में स्थित मैग्मा की गतिविधियां भी हो सकती हैं। नासा के अनुसार, इन छोटी-छोटी तरंगों को पहचानने के लिए एक विशद मशीनी कार्यशैली की आवश्यकता होती है। पृथ्वी पर लगाए जाने वाले उच्च कोटि के भूकंपमापियों को तापमान और मौसम में होने वाले परिवर्तनों से बचाने के लिए धरती के नीचे बनाए गए तहखानों में छिपा दिया जाता है।
इनसाइट में लगे यंत्र को मंगल के तापमान में होने वाले अत्यधिक परिवर्तन और तेज हवाओं से सुरक्षित रखने के लिए उसमें नासा के जेपीएल (जेट प्रपल्शन लैबोरेट्री) द्वारा निर्मित आवरण सहित अनेक इन्सुलेटिंग बैरियर्स लगाए गए हैं। हालांकि, मंगल ग्रह की सतह के भीतर उत्पन्न होने वाली इन तरंगों से प्राप्त आंकड़े मंगल अभियान के लक्ष्य को पूरा नहीं करते। लेकिन वैज्ञानिकों के लिए ये अपने लक्ष्य तक पहुंचने के मार्ग में एक मील के पत्थर के समान महत्वपूर्ण है। वैज्ञानिकों के अनुसार, प्रत्येक नए प्रयोग से प्राप्त आंकड़े यह इंगित करते हैं कि लाल ग्रह (मंगल) वैज्ञानिकों की धारणा से भी अधिक जटिल है, जिसमें उन्हें संघातों से बने गर्त, भू-स्खलन, ध्रुवों का स्थानांतरण जैसी कई गतिविधियों की संभावनाएं दिखाई दे रही हैं। इसलिए जितने लंबे समय तक इनसाइट मंगल ग्रह पर सक्रिय रहेगा, उन्हें मंगल की सतह पर होने वाली उतनी ही अधिक गतिविधियों को समझने का अवसर प्राप्त होगा।
इनसाइट उपग्रह पर दो रेडियो लगे हुए हैं—इनमें से पहला रेडियो नियमित रूप से डेटा प्राप्त करने एवं भेजने के लिए है, तथा दूसरा एक एक्स-बैंड रेडियो है जिसे रोटेशन एंड इंटीरियर स्ट्रक्चर एक्सपेरिमेंट (आरआईएसई—राइज) के नाम से जाना जाता है। मंगल ग्रह के घूर्णन से उत्पन्न डोलन और कंपन का पता लगाने के लिए राइज, इनसाइट तथा पृथ्वी के बीच गतिमान रेडियो संकेतों का उपयोग करता है। इन डेटा के माध्यम से अंत में ग्रह की आंतरिक संरचना, साथ ही इसके क्रोड के तरल या ठोस होने की जानकारी भी प्राप्त होती है। मंगल ग्रह के डोलन या कंपन के लिए एक तरल क्रोड की तुलना में एक ठोस क्रोड कम उत्तरदायी होगा। नासा के अनुसार, ‘मंगल ग्रह के एक पूर्ण वर्ष (पृथ्वी पर दो वर्ष) तक मंगल का अवलोकन करने से वैज्ञानिकों को इस ग्रह के आकार और इसके डोलन की गति के बारे में बेहतर अनुमान प्राप्त हो सकेगा।’
इनसाइट नासा के खोज कार्यक्रम का एक भाग है। इसे अलबामा के हंट्सविल स्थित मार्शल स्पेस सेंटर द्वारा व्यवस्थित किया गया है। इसे नासा के विज्ञान मिशन डाइरेक्टोरेट के लिए जेट प्रपल्शन लैबोरेट्री द्वारा नियंत्रित किया गया है। नासा के अतिरिक्त, कुछ यूरोपियन साझेदारों ने भी इस अंतरिक्षयान की तैयारियों में भाग लिया है।
नासा ने इनसाइट उपग्रह के प्रक्षेपण के साथ-साथ एक अलग नासा प्रौद्योगिकी प्रयोग भी शुरू किया था, जिसमें मार्स क्यूब वन या मार्को (MarCO) नामक दो लघु-अंतरिक्षयान शामिल थे। ये दोनों 6U क्यूबसैट्स, मार्को ए एवं बी, समरूप हैं। ये क्यूबसैट्स इनसाइट के पीछे चल रहे थे और इन्होंने मंगल की यात्रा के लिए अपने मार्ग का अनुसरण किया। हालांकि, क्यूबसैट्स ने मंगल की कक्षा में प्रवेश नहीं किया, लेकिन अभियान के ईडीएल (प्रवेश, अवरोह, तथा अवतरण) चरण के दौरान मंगल के नजदीक से उड़ान भरी। इन क्यूबसैट्स का लक्ष्य लघु रूप में निर्मित नए गहन अंतरिक्ष संचार उपकरणों का परीक्षण करना था। ये उपकरण, पृथ्वी इनसाइट डेटा को प्रेषित करने में सफल रहे, क्योंकि क्यूबसैट मंगल के वायुमंडल में प्रवेश कर उसकी सतह पर उतरा। इस प्रकार गहन अंतरिक्ष मिशनों के लिए क्यूबसैट्स प्लेटफॉर्म की व्यवहार्यता और यहां तक कि भविष्य में समान प्रकृति के संभावित अभियानों के लिए इन प्रयोगों का तकनीकी प्रदर्शन के रूप में महत्व भी सिद्ध हुआ। फरवरी 2019 में क्यूबसैट ने काम करना बंद कर दिया।
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