शरीर क्रिया विज्ञान (फिजियोलॉजी) या चिकित्साशास्त्र (मेडेसिन) में 2023 का नोबेल पुरस्कार संयुक्त रूप से हंगरी की कैटलिन कैरिको (Katalin Karikó) और अमेरिका के ड्रू वीसमैन (Drew Weissman) को “न्यूक्लिओसाइड क्षारक आपरिवर्तनों के संबंध में उनकी खोजों, जिन्होंने कोविड-19 के विरुद्ध प्रभावी mRNA टीकों के विकास को आसान बनाया,” के लिए प्रदान किया गया है। (आपरिवर्तित क्षारक सामान्य चार क्षारकों के अतिरिक्त वे सभी क्षारक होते हैं, जिनसे डीएनए या आरएनए का संश्लेषण होता है) रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज ने 2 अक्तूबर, 2023 को इस नोबेल पुरस्कार की घोषणा की थी।
नोबेल पुरस्कार की वेबसाइट के अनुसार, इन निष्कर्षों ने विश्व की इस धारणा को बदल दिया है कि मैसेंजर आरएनए (mRNA) किस प्रकार मानव प्रतिरक्षा तंत्र के साथ परस्पर क्रिया करता है। कैटलिन कैरिको और ड्रू वीसमैन की खोज ने आधुनिक समय में स्वास्थ्य के लिए सबसे बड़े खतरों में से एक (कोविड-19 महामारी) के दौरान असामान्य गति से टीके के विकास में योगदान दिया है।
mRNA टीकों का विकास
मानव शरीर की कोशिकाओं में प्रोटीन के उत्पादन के लिए एक टैंपलेट (रूपदा या प्रतिरूप) के रूप में, डीएनए में कूटबद्ध (एन्कोड) की गई आनुवंशिक जानकारी को mRNA में अंतरित किया जाता है। कोशिका संवर्धन के बिना mRNA का उत्पादन, कुशल विधियों का उपयोग करके, 1980 के दशक में शुरू किया गया था, जिसे पात्रे अनुलेखन (इन विट्रो ट्रांसक्रिप्शन) के रूप में जाना जाता है। इस कदम से कई क्षेत्रों में आणविक जीव विज्ञान अनुप्रयोगों का विकास हुआ। यद्यपि इसने चिकित्सीय उद्देश्यों के लिए mRNA का उपयोग करके टीकों के विकास का मार्ग प्रशस्त किया, तथापि इसमें कई बाधाएं भी थीं। तब, पात्रे-अनुलेखित्र (प्रयोगशाला में विकसित) mRNA को अस्थिर और प्राप्त करने के लिए चुनौतीपूर्ण माना जाता था। mRNA को संपुटित करने के लिए एक परिष्कृत वाहक लिपिड तंत्र विकसित करने की आवश्यकता महसूस की गई। इसके अतिरिक्त, पात्रे-निर्मित (इन विट्रो-प्रड्यूस्ड) mRNA के कारण शोथ प्रतिक्रियाएं (इन्फ्लेमेटरी रिएक्शन) हुईं। इसलिए, नैदानिक उद्देश्य के लिए mRNA प्रौद्योगिकी विकसित करने का जोश प्रकट नहीं हो सका।
तथापि, कैटलिन कैरिको ने चिकित्सा के लिए mRNA का उपयोग करने की विधियों को विकसित करने में खुद को समर्पित कर दिया। चिकित्सीय उपयोग के लिए mRNA पर अपने शोध के लिए अनुसंधान निधिदाताओं से धन जुटाने में कठिनाइयों का सामना करने के बावजूद, उन्होंने 1990 के दशक में अपना शोध जारी रखा। इसके बाद उनके साथ में कोशिकाओं (डेंड्राइटिक सेल) में, जो प्रतिरक्षा निगरानी और वैक्सीन-प्रेरित प्रतिरक्षा प्रतिक्रियाओं के सक्रियण में महत्वपूर्ण कार्य करती हैं, रुचि रखने वाले प्रतिरक्षाविज्ञानी ड्रू वीसमैन उनके साथ जुड़ गए। उन दोनों ने साथ मिलकर काम किया और यह शोध किया कि RNA के विभिन्न प्रकार प्रतिरक्षा तंत्र के साथ किस प्रकार परस्पर क्रिया करते हैं।
कैटलिन कैरिको और ड्रू वीसमैन के योगदान
अपने शोध के दौरान, कैरिको और वीसमैन ने अवलोकन किया कि द्रुमाकृतिक कोशिकाएं, पात्रे-अनुलेखित्र mRNA को एक विजातीय पदार्थ के रूप में अभिज्ञात करती हैं जिससे उनकी सक्रियता और शोथ संकेतन अणु निर्मुक्त होते हैं। तथापि, जब पशु कोशिका परीक्षण (सेल एस्से अर्थात जीवित कोशिकाओं का उपयोग करके एक जैविक परीक्षण, माप या विश्लेषण करना) किया गया, तो इससे शोथ संकेतन अणु निर्मुक्त नहीं हुए। उन्होंने उन कारणों की तलाश की कि प्रयोगशाला में विकसित mRNA अणु प्रतिरक्षा तंत्र से सरलता से क्यों बाहर हो गए थे। यह पाया गया कि पशु कोशिका परीक्षण से प्राप्त mRNA में आमतौर पर कई आपरिवर्तन होते हैं जो प्रयोगशाला में विकसित एकसमान mRNA अणुओं में अदृश्य थे। उन्होंने mRNA के विभिन्न परिवर्तियों का प्रयोग किया, जिनमें से प्रत्येक के क्षारक में विशिष्ट रासायनिक परिवर्तन हुए थे। इसके बाद इसे द्रुमाकृतिक कोशिकाओं तक पहुंचाया गया। जब mRNA में क्षारक आपरिवर्तनों को शामिल किया गया तो वे शोथ प्रतिक्रिया को लगभग विलोपित करने में सफल रहे। उनके बाद के अध्ययनों में परिवर्तित mRNA ने अपरिवर्तित mRNA की तुलना में कुशलतापूर्वक अधिक विषाणुक प्रोटीन (वायरल प्रोटीन) जनित किया। इससे ज्ञात हुआ कि कोशिकाएं किस प्रकार mRNA के विभिन्न रूपों को पहचानती हैं और उन पर प्रतिक्रियाएं करती हैं। कैरिको और वीसमैन ने महसूस किया कि चिकित्सा के रूप में mRNA का उपयोग करने के लिए उनकी खोज का अत्यधिक महत्व है। इनके प्रारंभिक परिणाम 2005 में प्रकाशित हुए थे, जो कि कोविड-19 वैश्विक महामारी से डेढ़ दशक पूर्व था।
कोविड-19 में mRNA टीकों का महत्व
पारंपरिक टीकों का उपयोग मृत या क्षीण विषाणुओं को मानव शरीर में प्रवेशित कराने के लिए किया जाता है ताकि उनके खिलाफ प्रतिरक्षी (एंटीबॉडी) विकसित किए जा सके। इस प्रकार, जब वास्तविक विषाणु मानव शरीर को संक्रमित करता है, तो वह उससे लड़ने के लिए तैयार होता है। प्रौद्योगिकी के विकास के साथ, टीकों के माध्यम से संपूर्ण विषाणु के स्थान पर वायरल आनुवंशिक कोड का केवल एक हिस्सा प्रवेशित किया गया था। तथापि, बड़े पैमाने पर ऐसे टीकों का विकास करने के लिए कोशिका संवर्धन की आवश्यकता होती है, जिसमें बहुत समय लगता है।
2010 में, कई कंपनियों ने mRNA प्रौद्योगिकी से टीके विकसित करने पर काम करना शुरू किया, जैसे कि जीका वायरस और MERS-CoV के विरुद्ध विकसित किए गए टीके।
जब कोविड-19 का प्रकोप बढ़ा, तो घातक और तेजी से फैलने वाले इस विषाणु की रोकथाम के लिए एक टीका खोजना बहुत महत्वपूर्ण था। कोविड-19 महामारी के फैलने के बाद, SARS-CoV-2 की कोशिका की झिल्ली के सतही प्रोटीन को कोडित करने वाले दो क्षारक-आपरिवर्तित mRNA टीके तेजी से विकसित किए गए। इन टीकों की सुरक्षात्मक प्रभावकारिता लगभग 95 प्रतिशत थी, और इसलिए, इन्हें दिसंबर 2020 तक अनुमोदित किया गया।
SARS-CoV-2 के विरुद्ध विभिन्न पद्धतियों पर आधारित कई अन्य टीके इस mRNA प्रौद्योगिकी का उपयोग करके तत्काल रूप से प्रस्तुत किए गए थे। संपूर्ण विश्व में कोविड-19 टीकों की 13 बिलियन से अधिक खुराक दी जा चुकी हैं। इन mRNA टीकों ने न केवल लाखों लोगों की जान बचाई, अपितु गंभीर बीमारी को भी रोका और विश्व को जल्द ही सामान्य स्थिति में लौट आने में सक्षम बनाया।
2023 के नोबेल पुरस्कार विजेताओं, कैरिको और वीसमैन, ने mRNA में क्षारक आपरिवर्तनों के महत्व पर अपनी मौलिक खोजों के माध्यम से कोविड-19 टीकों के विकास में अत्यधिक योगदान दिया। इनके काम से वायरल संक्रमण के कारण होने वाली लाखों मौतों को रोकने में सहायता मिली और दुनिया को सदी की सबसे भीषण महामारी से उबरने में सहायता मिली।
जिस गति से mRNA टीके विकसित किए गए, उसने अन्य संक्रामक रोगों के खिलाफ टीकों के लिए इस नए मंच का उपयोग करने का मार्ग प्रशस्त किया है। इस प्रौद्योगिकी का उपयोग करके चिकित्सीय प्रोटीन प्रदान करने और कुछ प्रकार के कैंसर का इलाज करने के लिए अनुसंधान किया जा रहा है।
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