राजस्थान विधानसभा ने राज्य में ऑनर किलिंग और मॉब लिंचिंग पर अंकुश लगाने के लिए दो महत्वपूर्ण बिल पारित किए। विधेयक का लक्ष्य ऐसी लिंचिंग घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए कड़ी से कड़ी सजा प्रदान करना है।

विधेयक के अनुसार लिंचिंग की परिभाषा:

धर्म, जाति,प्रजाति, लिंग, जन्म स्थान, भाषा, आहार व्यवहार, यौन अभिविन्यास, राजनीतिक संबद्धता   के आधार पर भीड़ द्वारा नियोजित या त्वरित हिंसा या हिंसा के कृत्यों की कोई भी श्रृंखला , लिंचिंग के अंतर्गत आती है।

राजस्थान विधान सभा द्वारा पारित लिंचिंग से संरक्षण बिल, 2019  और  वैवाहिक स्व्तंत्रता  में सम्मान और परंपरा के नाम पर बाधा डालने पर रोक लगाने हेतु विधेयक, 2019  पास किया गया। विधेयक न केवल लिंचिंग के कृत्यों का अपराधीकरण करता है, बल्कि कानूनी सहायता, राहत, मुआवजा और पुनर्वास भी प्रदान करता है।

मणिपुर के बाद राजस्थान दूसरा राज्य बन गया है जिसने लिंचिंग के मामलों को रोकने के लिए एक कानून पारित किया। बिल में लिंचिंग के मामलों में दोषियों को आजीवन कारावास और 5 लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है।

विशेष अदालतों की स्थापना, समर्पित नोडल अधिकारी की नियुक्ति, और बढ़ी हुई सज़ाओं को निर्धारित करने के लिए सर्वोच्च न्यायालय द्वारा सिफारिश करने के बाद विधेयक पेश किया गया था।

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