विदेश व्यापार नीति (एफटीपी), 2015-20, जो 31 मार्च, 2020 को समाप्त होनी थी, को कोविड-19 महामारी और अस्थिर भू-राजनीतिक परिदृश्य के कारण 31 मार्च, 2023 तक के लिए बढ़ा दिया गया था। इस अवधि के दौरान, भारत ने वाणिज्यिक वस्तुओं एवं सेवाओं के निर्यात में उच्च प्रदर्शन करके कीर्तिमान स्थापित किया। वित्त वर्ष 2022-23 में भारत की वाणिज्यिक वस्तु और सेवा निर्यात का मूल्य 760 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक होना अपेक्षित है। एफटीपी, 2023 को संशोधित रूप में केंद्र सरकार द्वारा विदेश व्यापार (विकास एवं विनियमन) अधिनियम, 1992 (1992 का अधिनियम संख्यांक 22) की धारा 5 के तहत अधिसूचित किया गया है। 1 अप्रैल, 2023 से माल और सेवाओं के निर्यात और आयात से संबंधित संशोधित प्रावधानों को शामिल करने वाली एफटीपी, 2023 प्रभावी हो गई है।

परिचय

एफटीपी, 2023 एक नीतिगत दस्तावेज है जो निर्यात को सुगम बनाने हेतु समय की कसौटी पर खरी उतरने वाली योजनाओं की निरंतरता पर आधारित है, तथा द्रुतगामी और व्यापार की आवश्यकताओं के प्रति अनुकूल है। एफटीपी, 2023 को नीति में निरंतरता और एक उत्तरदायी ढांचा प्रदान करने के लिए लागू किया गया है। भविष्य में, जब भी आवश्यक होगा, एफटीपी में पुनरीक्षण (रिवीजन) किया/किए जा सकेगा/सकेंगे, तथा ये पुनरीक्षण किसी तारीख से जुड़े नहीं होंगे। आदेशिकाओं (Orders) को कारगर बनाने, तथा नीति और प्रक्रियाओं को अद्यतन करने के लिए व्यापार और उद्योग से निरंतर प्रतिक्रिया ली जाएगी।

नए उपागम

नीति के तहत प्रोत्साहन से लेकर कर में छूट प्रदान की जाएगी। प्रौद्योगिकी, स्वचालन और व्यापार प्रक्रिया के पुनः संयोजन की सतत प्रक्रिया के माध्यम से अधिक व्यापार सुविधा प्रदान की जाएगी। निर्यातकों, राज्यों और जिलों के सहयोग से निर्यात का संवर्धन होगा। यह उभरते क्षेत्रों—ई-वाणिज्य निर्यात, निर्यात हब के रूप में जिलों का विकास, विशेष रसायन, जीव, सामग्री, उपकरण तथा प्रौद्योगिकी (SCOMET) नीति को सुव्यवस्थित करना आदि—पर केंद्रित है।

एफटीपी के मुख्य बिंदु

  1. व्यापार करने में आसानी, लेन-देन की लागत में कमी और ई-पहल
  • भौतिक रूप से पहुंच के बिना ऑनलाइन अनुमोदन: विदेश व्यापार नीति के तहत प्रक्रिया सरलीकरण और प्रौद्योगिकी कार्यान्वयन के आधार पर विभिन्न अनुमतियों का स्वत: अनुमोदन होगा। प्रसंस्करण समय में कमी और निर्यातकों के लिए स्वचालित मार्ग के तहत आवेदनों की तत्काल स्वीकृति—पहले, अग्रिम अनुमति (एए) जारी करने में और पूंजीगत वस्तु निर्यात संवर्धन (ईपीसीजी) हेतु 3 से 7 दिन, तथा प्राधिकरणों के पुनर्सत्यापन और निर्यात दायित्व अवधि के विस्तार हेतु 3 दिन से 1 महीने का समय लगता था, लेकिन एफटीपी, 2023 के तहत इन सभी के लिए स्वचालित मार्ग द्वारा प्रसंस्करण समय में केवल 1 दिन का समय लगेगा।
  • एए और ईपीसीजी के तहत सूक्ष्म, लघु, और मध्यम उद्यमों (MSMEs) के लिए उपयोगकर्ता शुल्क में कमी: एए और ईपीसीजी योजनाओं के लिए आवेदन शुल्क कम किया गया है, जिससे MSMEs से संबद्ध 55-66 प्रतिशत निर्यातकों को लाभ होगा।
  • ई-उद्गम प्रमाण-पत्र: ई-उद्गम प्रमाण-पत्र में सुधार का प्रस्ताव भी है कि सर्टिफिकेट ऑफ ओरिजन अर्थात उद्गम प्रमाण-पत्र के स्व-प्रमाणीकरण के साथ-साथ जहां संभव हो, उद्गम प्रमाण-पत्र को स्वत: स्वीकृति प्रदान की जाएगी। सहयोगी देशों के साथ उद्गम प्रमाण-पत्र डेटा के इलेक्ट्रॉनिक आदान-प्रदान की पहल की भी परिकल्पना की गई है।
  • निर्यात दायित्व निर्वहन आवेदनों की पेपर रहित फाइलिंग: सभी अनुमति परिशोधन आवेदन पत्र रहित होंगे। इसके साथ, अनुमति प्राप्ति की संपूर्ण प्रक्रिया, पेपर रहित हो जाएगा।
  1. निर्यात संवर्धन पहल
  • स्थिति धारक निर्यात सीमा: स्थिति धारकों (स्टेटस होल्डर) के रूप में निर्यातकों की पहचान के लिए निर्यात उपलब्धि की सीमा को युक्तिसंगत बनाया गया है, जिससे अधिक निर्यातक उच्च स्थिति प्राप्त करने और निर्यात के लिए लेनदेन लागत कम करने में सक्षम बनेंगे।
  • मर्चेंटिंग व्यापार सुधार: भारत से व्यापारिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए— CITES और SCOMET सूची में माल/मदों को छोड़कर, भारतीय बंदरगाहों से दूर रहकर एक विदेशी देश से दूसरे विदेशी देश में माल के नौप्रेषण (शिपमेंट) से संबद्ध मर्चेंटिंग (वस्तुओं का क्रेता एवं विक्रेता) व्यापार की अनुमति है, तथा इसमें भारतीय मध्यस्थ को शामिल करने की अनुमति आरबीआई के दिशानिर्देशों के अनुपालन के अधीन है।
  • एफटीपी योजनाओं के तहत रुपये में भुगतान स्वीकार किया जाएगा: यह रुपये के अंतरराष्ट्रीयकरण की दिशा में प्रभावी कदम है। 11 जुलाई, 2022 को जारी आरबीआई सर्कुलर के अनुसार, विशेष रूपी वोस्ट्रो खातों (एक ऐसा खाता जिसे एक प्रतिनिधि बैंक, दूसरे बैंक की ओर से रखता है।) की स्थापना के माध्यम से आयात-निर्यात संबंधी भुगतानों को भारतीय रुपये में करने की अनुमति देने से विदेश व्यापार के लाभ में वृद्धि होगी।
  • निर्यात उत्कृष्टता के शहर (TEEs): निर्यात उत्पादन केंद्रों के विकास और संवृद्धि के उद्देश्य से नीति के तहत चार शहरों को चुना गया है—परिधान के लिए फरीदाबाद, दस्तकारी के लिए मुरादाबाद, हस्तनिर्मित कालीन और दरियों के लिए मिर्जापुर, तथा हस्तकरघा और दस्तकारी के लिए वाराणसी। ये चार नए TEEs पहले से मौजूद निर्यात उत्कृष्टता के 39 शहरों के अतिरिक्त हैं। यह योजना क्लस्टर आधारित आर्थिक विकास को बल देती है। TEEs औद्योगिक क्लस्टर हैं जिन्हें उनके निर्यात प्रदर्शन के आधार पर मान्यता दी जाती है।
  1. निर्यात हब पहल के रूप में जिलों का विकास
  • निर्यात प्रोत्साहन में भागीदार के रूप में राज्य और जिले: निर्यात हब के रूप में स्थापित जिलों का उद्देश्य निर्यात प्रोत्साहन को विकेंद्रीकृत करके भारत के विदेशी व्यापार को बढ़ावा देना है। इस नीति के तहत जिला स्तर पर निर्यात के संबंध में व्यापक रूप से जागरूकता और प्रतिबद्धता लाई जाएगी; सभी जिलों में उत्पादों/सेवाओं की पहचान की जाएगी; निर्यात को रणनीतिक बनाने के लिए राज्य और जिला स्तर पर राज्य निर्यात संवर्धन समिति और जिला निर्यात संवर्धन समिति के रूप में संस्थागत तंत्र बनाए जाएंगे; चिह्नित उत्पादों और सेवाओं को बढ़ावा देने के लिए कार्य योजना की रूपरेखा तैयार करते हुए प्रत्येक जिले के लिए जिला निर्यात कार्य योजनाएं (DEAPs) तैयार की जाएंगी; तथा राज्यों और जिलों को सार्थक हितधारक और सक्रिय भागीदार बनाया जाएगा।
  • जिला स्तर पर क्षमता निर्माण: नए निर्यातकों को सृजित करने के लिए क्षमता निर्माण और नए बाजारों की पहचान की जाएगी। राज्यों/केंद्र-शासित प्रदेशों के साथ काम कर रहे डीजीएफटी के क्षेत्रीय प्राधिकरण, जिला विशिष्ट निर्यात योजना तैयार करेंगे। चिह्नित उत्पाद और सेवाओं की ब्रांडिंग, डिजाइन और विपणन पर ध्यान केंद्रित करने के लिए जिलों में क्रेता-विक्रेताओं की सभा, व्यापार मेला और कार्यशालांए जैसे निर्यात संवर्धन आउटरीच (पहुंच) कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
  • अवसंरचना और लॉजिस्टिक्स विकास हस्तक्षेप: निर्यात में बाधा डालने वाली अवसंरचना और लॉजिस्टिक्स (रसद) संबंधी बाधाओं को दूर करने के लिए हस्तक्षेप किया गया है। जिले लॉजिस्टिक्स, परीक्षण सुविधाओं, निर्यात के लिए कनेक्टिविटी (संपर्क सुविधा) और अन्य निर्यातोन्मुख पारितंत्र के विकास पर ध्यान केंद्रित करेंगे। इन पहलों का समर्थन करने के लिए सभी क्रियान्वित योजनाओं को एक साथ मिला दिया जाएगा
  1. ई-वाणिज्य निर्यात
  • ई-वाणिज्य निर्यात के लिए सुकरीकरण: सभी एफटीपी लाभों को ई-वाणिज्य निर्यातों के लिए बढ़ावा दिया जाएगा। वाणिज्य विभाग, डाक, सीबीआईसी में आईटी प्रणालियों को छह महीने में शुरू किया जाएगा। ई-वाणिज्य निर्यात सुविधा को सुव्यवस्थित करने के लिए ई-वाणिज्य के तहत और निर्यात की सुविधा के लिए अन्य मंत्रालयों के परामर्श से दिशानिर्देश तैयार किए जा रहे हैं। छोटे ई-वाणिज्य निर्यातकों के लिए विशेष पहुंच और प्रशिक्षण गतिविधियां शुरू की जाएंगी। कूरियर के माध्यम से निर्यात की मूल्य सीमा को बढ़ाकर प्रति खेप 10,00,000 रुपये कर दी गई है।
  • डाक निर्यात केंद्र: सीमा पार ई-वाणिज्य की सुविधा के लिए और कारीगरों, बुनकरों, शिल्पकारों, MSMEs को भीतरी इलाकों और जमीन से घिरे क्षेत्रों में अंतरराष्ट्रीय बाजारों तक पहुंचने में सक्षम बनाने के लिए विदेशी डाकघरों (FPOs) के साथ हब-एंड-स्पोक मॉडल (एक मुख्य केंद्र या हब के साथ विभिन्न छोटे केंद्र या कार्यालय द्वारा मिलकर रसद पहुंचाना) के तहत काम करने हेतु डाक घर निर्यात केंद्रों को पूरे देश में चालू किया जाएगा।
  • ई-वाणिज्य निर्यात हब: ई-वाणिज्य सेवा समूह केंद्रों (एग्रीगेटर) को सरल भंडारण, सीमा-शुल्क अनापत्ति और वस्तुओं की वापसी प्रक्रिया में सहायता करने के लिए वेयरहाउसिंग (माल गोदाम) सुविधा के साथ नामित हब अधिसूचित किए जाएंगे। इस नीति के तहत वाणिज्यिक प्रक्रिया की अंतिम गतिविधियों, जैसे लेबलिंग, परीक्षण, रीपैकेजिंग (फिर से पैक करना) आदि, के लिए प्रसंस्करण सुविधा की अनुमति दी गई है।
  1. विनिर्माण को बढ़ावा
  • ईपीसीजी की सीएसपी (सामान्य सेवा प्रदाता) परियोजना के तहत लाभ का दावा करने में सक्षम एक अतिरिक्त योजना के रूप में पीएम मेगा एकीकृत वस्त्र क्षेत्र और परिधान (पीएम मित्र) पार्क योजना को जोड़ा गया है।
  • डेयरी क्षेत्र को प्रौद्योगिकी के उन्नयन में सहायता करने के लिए औसत निर्यात दायित्व बनाए रखने से छूट उपलब्ध कराई जाएगी।
  • सभी प्रकार के बैटरी इलेक्ट्रिक वाहनों (बीईवी), ऊर्ध्वाधर कृषि उपकरण (वर्टिकल फार्मिंग इक्विपमेंट), अपशिष्ट जल उपचार तथा पुनर्चक्रण, वर्षा जल संचयन प्रणाली तथा वर्षा जल फिल्टर (निस्यंदक) और हरित हाइड्रोजन को हरित प्रौद्योगिकी उत्पादों में शामिल किया गया है—जो अब ईपीसीजी योजना के तहत निम्न निर्यात दायित्व आवश्यकता के लिए पात्र होंगे।
  • निर्यात आदेशों के त्वरित निष्पादन की सुविधा के लिए स्व-घोषणा के आधार पर एफटीपी के हैंडबुक ऑफ प्रोसिजर्स (एचबीपी) के अनुच्छेद 4.07 के तहत परिधान और वस्त्र क्षेत्र में निर्यात के लिए विशेष अग्रिम अनुमति योजना के विस्तार हेतु निश्चित समय-सीमा के भीतर मानदंड तय किए जाएंगे।
  • अप्रैल 2023 में प्राधिकृत आर्थिक ऑपरेटरों के अलावा 2 स्टार और उससे ऊपर के स्थिति धारकों के लिए आगत-निर्गत (इनपुट-आउटपुट) मानदंडों के निर्धारण के लिए स्व-पुष्टिकरण योजना के लाभ प्रदान किए जाएंगे।
  • स्टेटस होल्डर सर्टिफिकेशन के लिए पात्रता मानदंड के तहत निर्यात प्रदर्शन के आकलन हेतु फलों और सब्जियों के निर्यातकों को दोहरा भार (डबल वेटेज) में शामिल किया गया है। यह मौजूदा MSME क्षेत्र के अतिरिक्त है जिन्हें दोहरा भार भी मिलता है।
  1. निर्यात शुल्कों में छूट के लिए विशेष एकमुश्त आम माफी योजना
  • सरकार मुकदमेबाजी को कम करने और निर्यातकों के सामने आने वाले मुद्दों को कम करने में मदद करने के लिए विश्वास-आधारित संबंधों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से नीति के तहत “विवाद से विश्वास” पहल, जिसमें कर विवादों को सौहार्दपूर्ण ढंग से निपटाने की मांग की गई थी, के अनुरूप अग्रिम अनुमति और ईपीसीजी अनुमत धारकों द्वारा निर्यात शुल्कों में गैर-अनुपालन को संबोधित करने के लिए एक विशेष एकमुश्त आम माफी (एमनेस्टी) योजना शुरू की जाएगी।
  • एकमुश्त आम माफी योजना 30 सितंबर, 2023 तक के लिए उपलब्ध होगी।
  • धोखाधड़ी और दुरुपयोग की जांच के तहत आने वाले मामले इस योजना के लिए पात्र नहीं होंगे।
  • इस योजना के अंतर्गत देय ब्याज की अधिकतम सीमा, इन छूट प्राप्त शुल्कों का 100 प्रतिशत निर्धारित की गई है, लेकिन अतिरिक्त सीमा शुल्क और विशेष अतिरिक्त सीमा शुल्क के हिस्से पर कोई ब्याज देय नहीं होगा।
  1. एससीओएमईटी लाइसेंसिंग प्रक्रिया को कारगर बनाने पर जोर
  • एफटीपी 2023 विशेष रसायनों, जीवों, सामग्रियों, उपकरणों और प्रौद्योगिकियों (एससीओएमईटी) पर केंद्रित है।
  • उद्योग द्वारा सरलता से समझने और अनुपालन के लिए एससीओएमईटी के तहत दोहरे उपयोग की वस्तुओं के निर्यात के लिए नीति को समेकित किया गया है।
  • एससीओएमईटी सूची सॉफ्टवेयर और प्रौद्योगिकी सहित संवेदनशील और दोहरे उपयोग वाली वस्तुओं में व्यापार को नियंत्रित करने के लिए विभिन्न निर्यात नियंत्रण व्यवस्थाओं के तहत अपनी अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं के अनुरूप भारत के निर्यात नियंत्रण पर जोर देती है।
  • एससीओएमईटी मदों के निर्यात को विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए इन मदों के लाइसेंसिंग को सुव्यवस्थित करने हेतु, इसके कुछ मदों के निर्यात के लिए सामान्य अनुमति देने जैसे नीतिगत परिवर्तन किए गए।
  • यूएवी/ड्रोन, क्रायोजेनिक टैंक, कुछ रसायनों आदि जैसे दोहरे उपयोग वाले उच्च लागत और गुणवत्ता वाले सामान/प्रौद्योगिकी के निर्यात को सुविधाजनक बनाने के लिए नीति को सरल बनाने पर ध्यान दिया गया है।

आगे की राह

विदेश व्यापार नीति, 2023 से गतिशील और वाणिज्यिक परिदृश्य के प्रति उत्तरदायी सिद्ध होने की अपेक्षा है। जमीनी स्तर से निर्यात को बढ़ावा देने के लिए राज्यों और जिलों के साथ व्यापक सहयोग किया जाएगा। प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने के लिए ई-वाणिज्य निर्यात पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा और ई-वाणिज्य क्षेत्र में निर्यात को बढ़ाना आसान होगा। 2030 तक दो ट्रिलियन-डॉलर के वाणिज्यक वस्तुओं के निर्यात और एक ट्रिलियन-डॉलर सेवा निर्यात के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए क्षेत्र विशिष्ट लक्ष्य निर्धारित होंगे। व्यापार और उद्योग के मुद्दों को हल करने के लिए परामर्शी तंत्र का निर्माण किया जाएगा। भारतीय रुपये को एक वैश्विक मुद्रा बनाने और भारतीय रुपये में अंतरराष्ट्रीय व्यापार के विनिमय  निपटान को सुविधाजनक बनाने की दिशा में काम करने की आवश्यकता है। भविष्य के लिए इसे तैयार करने हेतु वाणिज्य विभाग का पुनर्गठन करना होगा।

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