31 दिसंबर, 2020 को केंद्र सरकार द्वारा विद्युत (उपभोक्ता अधिकार) नियम, 2020 अधिसूचित किया गया, जो देश में उपभोक्ताओं को विद्युत की विश्वसनीय एवं निरंतर आपूर्ति की सुविधा प्रदान करने के साथ-साथ विद्युत वितरण कंपनियों को उपभोक्ताओं के प्रति अधिक जवाबदेह बनाएगा।
केंद्र सरकार ने विद्युत अधिनियम, 2003 (2003 का 36) की धारा 176 की उप-धारा (2) के खंड (य) के साथ पठित उप-धारा (1) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए निम्नलिखित नियम बनाए हैं:
- अधिकार और दायित्वः इसके अंतर्गत किसी परिसर के मालिक या अधिवासी के अनुरोध पर विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित करना प्रत्येक वितरण लाइसेंसधारी का उत्तरदायित्व होगा। इसके अलावा वितरण लाइसेंसधारी द्वारा विद्युत आपूर्ति के लिए सेवा के न्यूनतम मानकों को उपभोक्ताओं के अधिकारों के रूप में मान्यता दी गई है।
- नए कनेक्शन जारी करना और वर्तमान कनेक्शन में संशोधनः इस क्षेत्र के अंतर्गत आवेदन के लिए पारदर्शी, सरल और समयबद्ध प्रक्रियाओं को शामिल करते हुए 10 किलोवाट के कनेक्शन के लिए आवश्यक दस्तावेजों की संख्या केवल दो (आवेदक का पहचान प्रमाण-पत्र और कनेक्शन की मांग वाले परिसर में आवेदक के स्वामित्व या अधिवास का प्रमाण) कर दी गई है। 150 किलोवाट तक या उससे अधिक भार, जो आयोग द्वारा निर्दिष्ट किया जाए, के नए कनेक्शन के लिए कनेक्शन प्रभार भार, मांगे गए कनेक्शन की श्रेणी तथा वितरण लाइसेंसधारी की कनेक्शन की औसत लागत के आधार पर तय किए जाएंगे जिससे कि प्रत्येक अलग-अलग मामले में मांग शुल्क के अनुमान की आवश्यकता नहीं होगी; साथ ही आवेदक को ऑनलाइन आवेदन का विकल्प दिया गया है।
नियम के तहत नए कनेक्शन प्रदान करने और मौजूदा कनेक्शन में संशोधन करने के लिए अधिकतम अवधि महानगरों में सात दिन, अन्य नगरपालिका क्षेत्रों में 15 दिन तथा ग्रामीण क्षेत्रों में 30 दिन होगी।
- मीटरिंगः नियम के अनुसार, बिना मीटर के कोई कनेक्शन नहीं दिया जाएगा। सभी मीटर स्मार्ट प्री-पेमेंट या प्री-पेमेंट मीटर होंगे। उपभोक्ताओं के पास मीटर या कनेक्शन के उपकरणों की आपूर्ति के संदर्भ में इन्हें स्वयं खरीदने या लागू प्रभारों का भुगतान कर लाइसेंसधारियों से प्राप्त करने का विकल्प होगा। इसके अलावा वितरण लाइसेंसधारी के लिए अपने प्राधिकृत प्रतिनिधि के माध्यम से शहरी तथा ग्रामीण क्षेत्रों में प्रत्येक बिल चक्र में कम से कम एक बार मीटर रीडिंग करवाना आवश्यक होगा।
दोषपूर्ण/जले हुए या चोरी हो गए मीटरों के प्रतिस्थापन के मामले में यदि मीटर उपभोक्ता की गलती के कारण क्षतिग्रस्त न हुआ हो तो वितरण लाइसेंसधारी को आयोग से निर्दिष्ट की गई समय-सीमा के भीतर अपनी लागत पर मीटर का प्रतिस्थापन करना होगा, जबकि यदि मीटर उपभोक्ता द्वारा खराब हो गया हो तो वितरण लाइसेंसधारी आयोग द्वारा निर्दिष्ट प्रभार लेकर मीटर प्रतिस्थापित करेगा। मीटर प्रतिस्थापन की अवधि शहरी क्षेत्रों में 24 घंटे और ग्रामीण क्षेत्रों में 72 घंटों से अधिक नहीं होगी।
- बिलिंग व भुगतानः वितरण लाइसेंसधारी के लिए उपभोक्ता की वास्तविक मीटर रीडिंग के आधार पर प्रत्येक बिल चक्र के लिए बिल तैयार कर उसे देय तारीख से कम-से-कम 10 दिन पूर्व ई-मेल या अन्य किसी माध्यम से भेजना आवश्यक है। मूल बिल प्राप्त न होने की स्थिति में उपभोक्ता को उसकी अनुलिपि प्राप्त करने का अधिकार होगा। बिल के भुगतान के लिए उपभोक्ता के पास दोनों, ऑनलाइन या ऑफलाइन, विकल्प होंगे। इसके अलावा अनुमोदित प्रक्रिया के अनुसार उपभोक्ता स्व-मूल्यांकित बिल जमा करने या बिल का अग्रिम भुगतान करने में भी सक्षम होगा। यदि कोई बिल आयोग द्वारा विर्निदिष्ट अवधि, जो 60 दिन से अधिक नहीं होगी, से अधिक की देरी से भेजा जाए तो उपभोक्ता को दो से पांच प्रतिशत, जो आयोग द्वारा विहित की जाए, तक छूट प्रदान की जाएगी। 1,000 रु से अधिक या आयोग द्वारा विनिर्दिष्ट राशि के बिल का भुगतान अनिवार्य रूप से ऑनलाइन किया जाएगा। आयोग, ऑनलाइन प्रणाली के माध्यम से भुगतान के लिए उपयुक्त प्रोत्साहन या छूट निर्दिष्ट करेगा।
प्री-पेमेंट मीटरिंग के मामले में वितरण लाइसेंसधारी उपभोक्ता के अनुरोध पर उसे एसएमएस या ई-मेल के माध्यम से बिल प्रेषित करेगा, जिसमें बिल की देय राशि तथा तारीख शामिल होगी; वितरण लाइसेंसधारी को उस बिल को अपनी वेबसाइट पर भी अपलोड करना होगा। वहीं पोस्ट-पेमेंट मीटर के मामले में वितरण लाइसेंसधारी किसी नए कनेक्शन पर बिजली उपलब्ध करने का पहला बिल आयोग द्वारा विनिर्दिष्ट समयावधि पर जारी करेगा जो दो बिल चक्रों से अधिक का नहीं होगा।
इसके अलावा पोस्ट-पेमेंट मीटरों के मामले में यदि किसी घरेलू उपभोक्ता द्वारा वितरण लाइसेंसधारी को लिखित रूप से अपने घर से अनुपस्थित रहने की पूर्वसूचना दी जाती है और यदि उसने उस अवधि के लिए अपने नियत प्रभारों का अग्रिम भुगतान कर दिया हो तो वितरण लाइसेंसधारी उपभोक्ता को न तो कोई नोटिस या अनंतिम बिल प्रेषित करेगा और न ही उसकी विद्युत आपूर्ति को वियोजित (बंद) करेगा।
- वियोजन और पुनः कनेक्शनः यदि कोई उपभोक्ता स्थायी रूप से अपने मीटर का वियोजन करवाने हेतु आवेदन देता है तो वितरण लाइसेंसधारी द्वारा एक विशेष मीटर रीडिंग करवाई जाएगी तथा उसके आधार पर अंतिम बिल तैयार किया जाएगा। उपभोक्ता द्वारा उस बिल के भुगतान के तुरंत बाद उसके कनेक्शन को बंद कर दिया जाएगा।
यदि किसी कनेक्शन का वियोजन विगत प्रभारों का भुगतान न करने के कारण किया गया हो तो वितरण लाइसेंसधारी को पिछले बिलों और लागू प्रभारों की प्राप्ति के पश्चात आयोग द्वारा विहित की गई अवधि के भीतर उपभोक्ता का कनेक्शन पुनः चालू करना होगा। इसके अलावा, प्री-पेमेंट मीटरों को जमा राशि के समाप्त होने पर स्वतः आपूर्ति बंद कर देने के लिए डिजाइन किया जाएगा। हालांकि, इसे वियोजन नहीं माना जाएगा और मीटर को रीचार्ज करते ही आपूर्ति पुनः चालू हो जाएगी।
- आपूर्ति की विश्वसनीयताः वितरण लाइसेंसधारी को सभी उपभोक्ताओं को 24×7 (24 घंटे सातों दिन) बिजली की आपूर्ति सुनिश्चित करनी होगी। हालांकि, कृषि जैसी के कुछ श्रेणियों उपभोक्ताओं के लिए आयोग द्वारा आपूर्ति के कम घंटे निर्दिष्ट किए जा सकते हैं (आयोग द्वारा इन घंटों का निर्धारण वर्ष में प्रति उपभोक्ता विद्युत कटौती की अवधि और प्रणाली औसत व्यवधान आवृत्ति अवधि सूचकांक (एसएआईडीआई) और प्रणाली औसत व्यवधान आवृत्ति सूचकांक (एसएआईएफआई) के मानदंडों के आधार पर किया जाएगा)। वितरण लाइसेंसधारी को विद्युत कटौती की निगरानी और पुनर्बहाली के लिए एक तंत्र (जहां तक संभव हो स्वचालित) की स्थापना करनी होगी।
- प्रोज्यूमर के रूप में उपभोक्ताः नियम के अनुसार प्रोज्यूमर (प्रोज्यूमर वह व्यक्ति है जो उपभोग के साथ-साथ ऊर्जा का उत्पादन भी करता है) को उपभोक्ता का दर्जा प्राप्त होगा और उनके पास एक सामान्य उपभोक्ता के बराबर अधिकार होंगे। साथ ही उन्हें अपनी छतों पर सौर फोटोवाल्टिक (पीवी) प्रणाली के साथ नवीकरणीय ऊर्जा (आरई) उत्पादन इकाइयों को स्थापित करने का भी अधिकार होगा, जिसे वे स्वयं या किसी सेवा प्रदाता के माध्यम से स्थापित कर सकते हैं।
प्रोज्यूमर अपनी छत के अलावा परिसर के किसी अन्य भाग में नवीकरण ऊर्जा उत्पादन इकाई की स्थापना कर सकता है लेकिन यह आयोग द्वारा विनिर्दिष्ट की गई आरई की कुछल उत्पादन क्षमता से अधिक नहीं होगी। आयोग द्वारा ग्रिड इंटरेक्टिव रूफ टॉप सोलर पीवी प्रणाली और उससे संबंधित मामलों के संबंध में विनियम बनाए जाएंगे।
वितरण लाइसेंसधारी प्रोज्यूमरों को अपने परिसरों में नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन इकाई की स्थापना हेतु संबंधित प्रक्रिया की पर्याप्त जानकारी प्रदान करने के साथ-साथ उनके आवेदन पत्रा (ऑनलाइन या हार्डकॉपी) प्राप्त होने पर उन्हें पावती सहित पंजीकरण संख्या देगा तथा उसे आवेदन के संसाधनों (जैसे आवेदन की प्राप्ति, स्थल निरीक्षण आदि) की निगरानी हेतु वेब आधारित या किसी अन्य पद्धति से आवेदन अनुसरण (ट्रैकिंग) तंत्र की स्थापना सुनिश्चित करनी होगी।
वितरण लाइसेंसधारियों को आयोग द्वारा निर्दिष्ट की गई समय-सीमाओं का पालन करना होगा। कोई आकस्मिक कारण न हो तो सेवाओं की देरी के मामले में उपभोक्ता को निर्धारित दर (न्यूनतम 500 रुपए प्रतिदिन) से क्षतिपूर्ति का भुगतान किया जाएगा।
- निष्पादन के मानकः आयोग सभी वितरण लाइसेंसधारियों के लिए निष्पादन के मानक अधिसूचित करेगा तथा इन मानकों का उल्लंघन करने की स्थिति में वितरण लाइसेंसधारियों द्वारा उपभोक्ताओं के लिए देय मुआवजे की राशि निर्धारित करेगा।
- प्रतिकर तंत्र: यदि वितरण लाइसेंसधारियों द्वारा ऐसे कार्य निष्पादनों में कोई चूक होती है जिनकी दूर से निगरानी की जा सकती हो तो उनके द्वारा उपभोक्ताओं को स्वतः प्रतिकर (मुआवजा) दिया जाएगा।
वितरण लाइसेंसधारियों द्वारा जिन निष्पादन मानकों के उल्लंघन के लिए मुआवजे का भुगतान किया जाना अपेक्षित है, उनमें शमिल हैं: (i) आयोग द्वारा विनिर्दिष्ट की गई विशेष अवधि के पश्चात उपभोक्ता को विद्युत आपूर्ति न करना; (ii) आयोग द्वारा विहित की गई व्यवधान की सीमा संख्या से अधिक व्यवधान; (iii) कनेक्शन, कनेक्शन बंद करने, पुनः कनेक्शन, स्थानातंरण आदि के लिए लगने वाला समय; (iv) उपभोक्ता श्रेणी तथा भार परिवर्तन में लगने वाला समय; (v) उपभोक्ता ब्यौरों में परिवर्तन के लिए लिया गया समय; (vi) खराब मीटरों को बदलने में लगने वाला समय; (vii) वह अवधि, जिसके तहत बिल भेजे जाने हों; (viii) वोल्टेज संबंधित शिकायतों के समाधान में लगने वाला समय; और (ix) बिल संबंधी शिकायतें।
- उपभोक्ता सेवाओं के लिए कॉल सेंटरः वितरण लाइसेंसधारी को उपभोक्ताओं को नए कनेक्शन, कनेक्शन बंद करने, पुनः कनेक्शन, मीटर बदलने आदि सेवाएं प्रदान करने हेतु एक केंद्रीकृत 24×7 टोल-फ्री कॉल सेंटर की स्थापना करनी होगी। वितरण लाइसेंसधारी सेवाओं की बेहतर निगरानी और विश्लेषण करने हेतु एकीकृत दृष्टिकोण प्राप्त करने के उद्देश्य से सभी सेवाओं को एक समान ‘ग्राहक संबंध प्रबंधक’ (सीआरएम) प्रणाली के माध्यम से प्रदान करने का प्रयास करेगा। सेवाएं प्रदान करने के अन्य माध्यम जैसे पत्र द्वारा आवेदन, ई-मेल, मोबाइल, वेबसाइट आदि जारी रहेंगे।
- शिकायत निवारण तंत्र: वितरण लाइसेंसधारी द्वारा विभिन्न स्तरों पर उपभोक्ता शिकायत निवारण मंच (सीजीआरएफ) की स्थापना की जाएगी। इस मंच में वितरण लाइसेंसधारी के वरिष्ठ अधिकारी के अतिरिक्त उपभोक्ता और प्रोज्यूमर के प्रतिनिधियों के रूप में अधिकतम चार सदस्य होंगे। वितरण लाइसेंसधारी द्वारा वह अवधि निर्दिष्ट की जाएगी जिसके तहत विभिन्न स्तरों पर फोरम द्वारा अलग-अलग प्रकार की शिकायतों का समाधान किया जाना है। किसी शिकायत निवारण के लिए निर्दिष्ट की गई अधिकतम समयावधि 45 दिन है।
वितरण लाइसेंसधारी द्वारा शिकायतों के निवारण की निगरानी हेतु एक तंत्र की स्थापना की जाएगी। इसके अलावा वह निष्पादन के मानकों और उपभोक्ता शिकायतों के निवारण में समय-सीमा का पालन करने का विवरण देते हुए शिकायतों से संबंधित जानकारी की तिमाही रिपोर्ट आयोग के पास भेजेगा। आयोग सीजीआरएफ के कार्य-निष्पादन की निगरानी करेगा।
सामान्य उपबंधः उपर्युक्त उपबंधों के अलावा विद्युत (उपभोक्ता अधिकार) नियम, 2020 में कुछ अन्य उपबंध भी किए गए हैं। जैसे—
- वितरण लाइसेंसधारी द्वारा वरिष्ठ नागरिकों को नए कनेक्शन हेतु आवेदन देने, बिलों के भुगतान जैसी सभी सेवाएं घर पर ही उपलब्ध करवाई जाएंगी।
- उपभोक्ताओं को बिजली कटौती के ब्यौरे तथा उसकी पुनः आपूर्ति/चालू होने के अनुमानित समय की जानकारी किसी भी इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से देना अनिवार्य होगा।
- वितरण लाइसेंसधारी के लिए उपभोक्ता को अपनी वेबसाइट, वेब पोर्टल, मोबाइल ऐप तथा निर्दिष्ट कार्यालयों के माध्यम से आवेदन प्रस्तुति, आवेदन की स्थिति की निगरानी, बिलों के भुगतान जैसी विभिन्न सेवाओं तक पहुंच प्रदान करना आवश्यक होगा।
- वितरण लाइसेंसधारी को उपभोक्ताओं तथा अपने कर्मचारियों के बीच जागरूकता और सामंजस्य स्थापित करने हेतु सामान्य सेवाएं प्रदान करने और उपभोक्ता शिकायतों के प्रबंधन से संबंधित प्रक्रिया नियम अपने प्रत्येक कार्यालय तथा बेवसाइट पर उपलब्ध कराने होंगे। इसके अलावा जनवरी एवं जुलाई महीनों के बिलों में क्षतिपूर्ति संरचना, शिकायत दायर करने की प्रक्रिया संबंधी जानकारी एवं प्रत्याभूत निष्पादन मानकों को प्रकाशित करने और उपभोक्ता अधिकारों, निष्पादन मानकों, शिकायत निवारणों, ऊर्जा बचत के उपायों या अन्य किसी योजना के बारे में मीडिया (रेडियो, समाचार पत्र, टीवी, बेवसाइट आदि) के माध्यम से प्रचार करने जैसे उपाय सुनिश्चित करने होंगे।
- वितरण लाइसेंसधारी अपनी बेबसाइट पर प्रत्येक फीडर द्वारा की गई बिजली कटौती के डेटा, बिजली कटौती को कम करने हेतु किए गए प्रयासों, बिजली की चोरी, विद्युत संयंत्र, विद्युत लाइन या मीटर में खराबी एवं क्षति तथा वर्ष के दौरान प्राप्त परिणामों को प्रदर्शित करेगा। जब कभी मौजूदा मीटरों को नव-प्रौद्योगिकी वाले मीटरों से बदला जाएगा तो इस संबंध में उपभोक्ताओं को सूचित करने के पर्याप्त उपाय किए जाएंगे।
आवश्यकता एवं महत्वः जैसाकि विगत कुछ वर्षों से देश में विद्युत वितरण वं$पनियों द्वारा मनमाने रूप से कार्य करने तथा विद्युत संबंधी प्रक्रियाओं के जटिल होने के कारण उपभोक्ताओं को अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था, जिसे देखते हुए सरकार द्वारा वितरण वं$पनियों की एकाधिकारिता पर नियंत्रण लगाने तथा उपभोक्ताओं के अधिकारों को संरक्षित करने हेतु ‘विद्युत नियम, 2003’ में संशोधन किए गए (जैसा कि ‘विद्युत’ संविधान की सातवीं अनुसूची के तहत समवर्ती सूची का विषय है और इसलिए केंद्र सरकार के पास इस पर कानून बनाने का अधिकार है), जिसके फलस्वरूप देश में लगभग 30 करोड़ से अधिक वर्तमान तथा संभावित उपभोक्ता लाभान्वित होंगे और कारोबार सुगमता के लक्ष्य को प्राप्त करने में भी सहायता मिलेगी।