भारत अपनी विविध भाषाओं तथा बोलियों के कारण जाना जाता है परंतु यह विविधता तब मुश्किलें पैदा कर देती है जब किसी एक भाषा को अन्य क्षेत्रा के लोगों द्वारा समझना कठिन कार्य होता है। इस मुश्किल को सुलझाने के लिए नवीन उन्नत तकनीकों का प्रयोग किया जा सकता है।

इसी विचार पर कार्य करते हुए भारत सरकार ने 30 जुलाई, 2018 को एक डेस्कटॉप सॉफ्टवेयर ई-अक्षरयान शुरू किया। यह सॉफ्टवेयर किसी भी भाषा के स्कैन किए हुए या प्रिंट किए हुए दस्तावेज को पूर्णतः संपादन योग्य बना देता है। यह सॉफ्टवेयर सात भारतीय भाषाओं (हिंदी, बोडो, मलयालम, गुरुमुखी, तमिल, कन्नड़, असमिया में संपादन कार्य करने का अवसर प्रदान करता है।

22 भारतीय भाषाओं में यह मोबाइल टेस्टिंग डाटा (जो कि टेस्टिंग डाटा प्रदर्शन के परीक्षण के साथ-साथ मोबाइल हैंडसेट आईएस मानक 16333 (भाग 3) में इनपुट करने में भी उपयोगी है) कार्य करेगा।

यह मोबाइल हैंडसेट में अंग्रेजी, हिंदी या कम से कम एक भारतीय आधिकारिक भाषा में टेक्सट इनपुटिंग के लिए आवश्यकता को पारिभाषित करती है। इसके साथ ही इन मोबाइल फोन में सभी 22 भारतीय आधिकारिक भाषाओं को पढ़ सकने की सुविधा भी उपलब्ध होगी।

गूगल के अनुसार, वर्ष 2021 तक भारतीय भाषा के उपयोगकर्ताओं की संख्या 536 मिलियन हो जाएगी जो कि आज 234 मिलियन है तथा उस समय यह आवश्यक हो जाएगा कि भारतीय भाषाओं का इंटरनेट के साथ उपयोग किया जा सके।

यह सॉफ्टवेयर स्थानीय भाषाओं में सामग्री विकास में सहायक होगा। इंटरनेट तक पहुंच में एक बहुत बड़ा गैप है तथा यह गैप भारतीय भाषाओं में सामग्री के ना मिल पाने के कारण है। इसलिए यह आवश्यक है कि वैश्विक बाजार में भारतीय भाषाओं की सामग्री इंटरनेट पर प्रदान करने हेतु ऐसे सॉफ्टवेयर बनाए जाएं। हिंदी वॉयस सर्च प्रतिवर्ष 400 प्रतिशत की दर से बढ़ रही है। स्थानीय भाषाओं का प्रयोग भी बढ़ रहा है। वर्ष 2021 तक भारतीय भाषाओं के उपयोगकर्ता सीएजीआर 18 प्रतिशत बढ़ जाएंगे। इसके साथ ही डिजिटल इंडिया के अंतर्गत भारतीय भाषा कार्यक्रम से लाखों रोजगार भी सृजित किए जा सकते हैं।

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