5 मार्च, 2021 को रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा चांदीपुर (ओडिशा) में स्थित इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज (आईटीआर) से सॉलिड फ्यूल डक्टेड रैमजेट (एसएफडीआर) प्रणोदन प्रौद्योगिकी पर आधारित मिसाइल का सफल परीक्षण किया गया। हालांकि, एसडीएफआर का पहला परीक्षण 30 मई, 2018 को, और दूसरा परीक्षण 8 फरवरी, 2019 को हुआ था। सॉलिड फ्यूल डक्टेड रैमजेट तकनीक के सफल प्रदर्शन से डीआरडीओ अब लंबी दूरी से प्रहार करने में सक्षम एयर-टू-एयर (हवा से हवा में मार कर सकने वाली) मिसाइलें विकसित कर सकेगा। वर्तमान में यह तकनीक विश्व के कुछ ही देशों के पास उपलब्ध है।
सॉलिड फ्यूल डक्टेड रैमजेट
सॉलिड फ्यूल डक्टेड (ठोस ईंधन वाहिनी निहित) रैमजेट एक मिसाइल प्रणोदन प्रणाली है, तथा डीआरडीओ ने भारत में ही स्वदेशी तकनीक से इसके बूस्टर का और रूस के सहयोग से रैमजेट का विकास किया है। एक सामान्य रॉकेट इंजन में ठोस ईंधन तथा ऑक्सीकारक; जैसे—हाइड्रोजन एवं ऑक्सीजन का प्रयोग किया जाता है, जबकि एसडीएफआर में केवल ठोस ईंधन का प्रयोग किया जाता है, और इसमें प्रयुक्त एयर ब्रीदिंग इंजन प्रौद्योगिकी वातावरण में उपस्थित हवा से ऑक्सीकारक प्राप्त करती है। इसके इंजन को आवश्यक थ्रस्ट या शक्ति देने के लिए अधिक ईंधन का उपयोग नहीं किया जाता। इस रैमजेट में थ्रस्ट मॉड्यूलेटेड अर्थात थ्रस्ट को व्यवस्थित करने वाले डक्टेड रॉकेट के साथ-साथ धुएं को कम करने वाला नोजल-रहित मिसाइल बूस्टर लगाया गया है। इस प्रौद्योगिकी को एयरो थर्मोडायनामिक डक्ट भी कहा जाता है।
एसडीएफआर (रैमजेट) प्रौद्योगिकी में प्रणोदक की ज्वलन दर, पहले प्रमुख दहन कक्ष, जिसे प्राइमरी चेंबर प्रेशर कहा जाता है, के भीतर पड़ने वाले दबाव पर निर्भर करती है। ईंधन से भरे प्रणोदक के जलने के फलस्वरूप उच्च तापमान वाले ईंधन से भरपूर गैसें बनती हैं। ये गैसें, प्राथमिक नोजल द्वारा द्वितीयक कंबस्टर (सेकेंडरी चेंबर प्रेशर) में निष्कासित होती हैं। प्रमुख नोजल के माध्यम से अवरुद्ध होने के कारण, द्वितीयक कंबस्टर में दबाव पड़ने के बावजूद गैस का बहाव समय के साथ स्थिर रहता है। इसके बाद ईंधन-समृद्ध प्रणोदक के दहन से निर्मित उत्पाद का बाहरी वातावरण से प्राप्त संपीड़ित वायु के साथ ऑक्सीकरण होता है, जिससे उच्च तापमान वाली गैसों का उत्पादन होता है, जो थ्रस्ट या दबाव डालने करने के लिए द्वितीयक नोजल के माध्यम से फैलती हैं।
एसडीएफआर, मिसाइल को उच्च सुपरसोनिक गति (मैक 2 से अधिक) प्रदान करती है जो लंबी दूरी के लक्ष्य को भेदने के लिए आवश्यक है।
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