23 अगस्त, 2018 को स्वीडन ने नारीवादी विदेश नीति (फेमिनिस्ट फॉरेन पॉलिसी) पर एक हैंड बुक शुरू की है जो कि अधिकार संगठनों तथा विदेशी सरकारों को ध्यान में रखकर बनाई गई है।

इस हैंडबुक में पिछले चार वर्षों के दौरान उठाए गए ऐसे कदम जोकि लैंगिक असमानता को समाप्त करने के लिए थे, को सम्मिलित किया गया है। महिला अधिकारों को बढ़ावा देना स्वीडन ने अपने अंतरराष्ट्रीय एजेंडा में शामिल किया था।

इस हैंडबुक के अनुसार, फेमिनिस्ट फॉरेन पॉलिसी का आरंभ उस पराधीनता तथा भेदभाव को समाप्त करना है जिसका सामना आज दुनिया की असंख्य महिलाओं को करना पड़ रहा है। लैंगिक भेदभाव सरकारों के कई लक्ष्यों—शांति, सुरक्षा आदि में बाधा बनता है। वर्ष 2014 में स्वीडन की विदेश मंत्राी मारगॉट वॉलस्ट्रॉम ने इसका आरंभ किया था।

इस हैंडबुक में सम्मिलित परियोजनाओं में युद्ध पीड़ित तथा विवाद के बाद की स्थितियों को झेलते पांच देशों—अफगानिस्तान, कोलम्बिया, डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो, लाइबेरिया तथा फिलिस्तीन में महिलाओं के अधिकारों तथा सशक्तीकरण के लिए कार्य योजना हैं।

इस हैंडबुक में स्वीडन द्वारा कांगो में प्रोत्साहित कार्य—सकारात्मक पौरुष, जहां पर समाज में पुरुष की भूमिका पर सोशल मीडिया पर वाद-विवाद को प्रोत्साहित करने जैसे कार्यों को दर्शाया गया है।

स्वीडन की विदेश सेवाओं में महिलाओं के बढ़ते महत्व को एक ग्राफिक के द्वारा दर्शाया गया है जिसमें देश के लिए कार्यरत राजनयिक के पद पर महिलाओं की बढ़ी हुई संख्या को दर्शाया गया है। यह संख्या वर्ष 1996 में 10 प्रतिशत से बढ़कर वर्ष 2016 में 40 प्रतिशत हो गयी है।

वॉलस्ट्रॉम के अनुसार, इस नीति की कहीं भी आलोचना नहीं हुई है बल्कि इससे कई अन्य देश प्रोत्साहित ही हुए हैं, जैसे कि कनाडा तथा फ्रांस।

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