रोगाणुरोधी प्रतिरोध दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य सेवा चुनौती है, जिसे साइलेंट पैंडेमिक भी कहा जाता है। भारत भी इससे अछूता नहीं है और इससे सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्रों में से एक है। इसलिए भारत के लिए एएमआर के विरुद्ध सामूहिक कार्रवाई हेतु विशेषज्ञता और संसाधनों के माध्यम से इस उभरते स्वास्थ्य आपातकाल के प्रति अपनी प्रतिक्रिया को तत्काल तेज करने की आवश्यकता है। इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए बायोटेक्नॉलोजी विभाग के सेंटर फॉर सेल्युलर एंड मॉलिक्यूलर प्लेटफॉर्म्स (C-CAMP) द्वारा विभिन्न हितधारकों की मजबूत और अधिक चरणबद्ध भागीदारी के माध्यम से भारत में रोगाणुरोधी प्रतिरोध (एएमआर—एंटी-माइक्रोबियल रजिस्टेंस) के बोझ को कम करने में सहायता करने के लिए वर्ष 2021 में इंडिया एएमआर इनोवेशन हब (आईएआईएच) की शुरुआत की गई। इसे भारतीय और वैश्विक हितधारकों के साथ एएमआर हस्तक्षेपों पर एक अद्वितीय विचार मंच के रूप में परिकल्पित किया गया है—जिसके तहत सरकार, अकादमिक, उद्योग, परोपकारी और गैर-लाभकारी संगठन वैश्विक स्तर पर एक बड़े स्वास्थ्य प्रभाव हेतु एमएआर के खिलाफ समेकन और राष्ट्रीय प्रयास संबंधी त्वरित कार्यवाहियों को बढ़ावा देने के लिए एक साथ एक मंच पर आए हैं।
डब्ल्यूएचओ द्वारा रोगाणुरोधी प्रतिरोध (एएमआर) की पहचान शीर्ष दस वैश्विक स्वास्थ्य सेवा संबंधी खतरों में से एक के रूप में की गई है, जो वर्तमान में प्रतिवर्ष 7,00,000 लोगों की मृत्यु के लिए जिम्मेदार है। यह अनुमान लगाया गया है कि 2050 तक विश्व में एएमआर से संबंधित मृत्यु दर 10 मिलियन प्रतिवर्ष तक पहुंच जाएगी, जिसमें से लगभग 2 मिलियन मौतें अकेले भारत में होंगी। विश्वव्यापी रूप से, एएमआर में धीरे-धीरे होने वाली वृद्धि में रोगाणुरोधियों के दुरुपयोग का अत्यधिक उपयोग, स्वच्छ जल और स्वच्छता की कमी, नए और मौजूदा सूक्ष्मजैविक संक्रमणों के प्रति लोगों की जागरूकता तथा अपर्याप्त निवारण और नियंत्रण के लिए किए जाने वाले उपायों के अभाव ने अपना योगदान दिया है। संक्रमणों के अलावा, यह समस्या 21वीं शताब्दी की औषधियों के लिए एक बड़ा जोखिम बन गई है, जैसाकि कैंसर के उपचार और ऑपरेशन के पश्चात की स्वास्थ्य देखभाल जैसी स्थितियों से संबद्ध रोगाणुरोधी उपचार की योजनाएं विफल होने लगी हैं। वैश्विक स्तर पर, बहु-क्षेत्रीय और समावेशी दृष्टिकोणों के माध्यम से एएमआर को संबोधित करने के लिए एक उत्साह देखा गया है।
उद्देश्य और महत्व
आईएआईएच का उद्देश्य एएमआर इनोवेशन इकोसिस्टम के पोषण के लिए सामूहिक रूप से आवश्यक हस्तक्षेप करना है, जिसमें अभिगम और लोक स्वास्थ्य नीति सहित क्षमता और योग्यता का निर्माण, एएमआर प्रबंधन और प्रत्यक्ष संप्रेषण विकसित करना शामिल है। आईएआईएच भारत और अन्य देशों में एएमआर के बोझ को कम करने की दिशा में योगदान देगा; और भारत में अनुमानित मृत्यु दर को कम करने के लिए विशिष्ट हस्तक्षेप प्रदान करेगा।
प्रमुख क्षेत्र
आईएआईएच ह्यूमन-एनिमल-इकोसिस्टम इंटरफेस या वन हेल्थ अप्रोच (वन हेल्थ लोगों, जानवरों, पौधों और उनके साझा पर्यावरण के बीच अंतर्संबंधों की पहचान करने के लिए इष्टतम स्वास्थ्य परिणामों को प्राप्त करने के लक्ष्य के साथ स्थानीय, क्षेत्रीय, राष्ट्रीय और वैश्विक स्तरों पर काम करने वाला एक सहयोगी, बहुक्षेत्रीय और ट्रांसडिसिप्लिनरी दृष्टिकोण है।) और उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोगों (एनटीडी) में एएमआर सहित एएमआर (मानव एएमआर) के खतरे को कम करने के लिए एएमआर संबंधित चिकित्सा, वैक्सीन के विकास, तीव्र जांच और निदान, निगरानी, महामारी संबंधी तैयारी और प्रबंधन जैसे क्षेत्रों पर अपना ध्यान केंद्रित करेगा।
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