भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने 29 मई, 2023 को जीएसएलवी-एफ12/एनवीएस-01 का एसडीएससी-शार, श्रीहरिकोटा से प्रक्षेपण किया। इस भूतुल्यकाली उपग्रह प्रमोचन रॉकेट (जीएसएलवी) मिशन द्वारा लगभग 2,232 किलोग्राम वजन वाले एनवीएस-01 नौवहन उपग्रह को भूतुल्यकाली अंतरण कक्षा (जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट) में स्थापित किया गया। जीएसएलवी-एफ12 भारत के जीएसएलवी की 15वीं उड़ान और स्वदेशी क्रायो चरण वाली 9वीं उड़ान है। स्वदेशी अतिनिम्नतापीय (क्रायोजेनिक) चरण के साथ जीएसएलवी की यह छठी संक्रियात्मक उड़ान है। एनवीएस-01 को भारतीय नक्षत्र के साथ नौवहन अर्थात नाविक (NavIC) सेवाओं की निरंतरता सुनिश्चित करने के लिए परिकल्पित किया गया है। उपग्रहों की एनवीएस शृंखला उन्नत सुविधाओं के साथ नाविक का अनुरक्षण एवं संवर्धन करेगी। इस शृंखला में सेवाओं का विस्तार करने के लिए अतिरिक्त रूप से एल1 बैंड सिग्नल शामिल हैं। उपग्रह को अभीष्ट कक्षा में ले जाने के लिए कक्षा उत्थान युक्तिचालन का उपयोग किया गया।


भूतुल्यकाली उपग्रह प्रमोचन रॉकेट (जीएसएलवी) इनसैट और जीसैट संचार उपग्रहों और आईएनआरएसएस और आईडीआरएसएस शृंखला के अंतरिक्ष यान जैसे 2.3 टन भार वर्ग के उपग्रहों को जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट (जीटीओ) में स्थापित करने में सक्षम है। इसरो के अन्य सभी वाहनों में जीएसएलवी 51.7 मीटर लंबा और सबसे ऊंचा है। यह 420 टन के उत्थापन द्रव्यमान के साथ तीन चरण वाला वाहन है।

जीएसएलवी के चरण: पहले चरण में 138 टन प्रणोदक के साथ S139 सॉलिड बूस्टर और 40 टन प्रणोदक के साथ चार लिक्विड स्ट्रैप-ऑन L40 मोटर्स शामिल हैं। दूसरा चरण (जीएस2-जीएल40) एक तरल इंजन है जिसमें 40 टन तरल प्रणोदक होता है। तीसरा चरण स्वदेशी रूप से निर्मित अतिनिम्नतापीय ऊपरी चरण (सीयूएस) जिसमें 15 टन अतिनिम्नतापीय प्रणोदक [तरल हाइड्रोजन (एलएच2) ईंधन के रूप में और तरल ऑक्सीजन (एलओएक्स) ऑक्सीकारक के रूप में] होते हैं।


एनवीएस-01 उपग्रह

एनवीएस-01 दूसरी पीढ़ी की नौवहन उपग्रह शृंखला में ऐसा पहला उपग्रह है, जो पारंपरिक NavIC सेवाओं में निरंतरता सुनिश्चित करने के साथ-साथ एल1 बैंड में नई सेवा भी प्रदान करेगा। इसमें नौवहन नीतभार (पेलोड) हैं, जो एल1, एल5 और एस बैंड में काम कर रहे हैं। यह उपग्रह दो सौर सरणियों द्वारा संचालित है, जो 2.4 किलोवॉट तक की ऊर्जा उत्पन्न करने में सक्षम है और इसमें प्रक्षेपण के दौरान नीतभार और बस लोड का समर्थन करने वाली लिथियम-आयन बैटरी है। एनवीएस-01 की मिशन अवधि बारह वर्ष है।

पहली पीढ़ी की उपग्रह शृंखला की तुलना में, दूसरी पीढ़ी की उपग्रह शृंखला में एल1 नौवहन बैंड शामिल है और इसमें संलग्न अंतरिक्ष उपयोग केंद्र (सैक), अहमदाबाद द्वारा स्वदेशी रूप से विकसित अंतरिक्ष-योग्य रुबिडियम परमाणु घड़ी एक महत्वपूर्ण तकनीक है जो केवल कुछ देशों के पास है। एनवीएस-01 में नौवहन नीतभार (नेविगेशन पेलोड) और परासन नीतभार (रेंजिंग पेलोड) शामिल हैं।

नौवहन नीतभार: नौवहन नीतभार एल1, एल5, और एस बैंड में संचालित होता है और त्रि-बैंड ऐंटेना को नियोजित करता है। नौवहन नीतभार के मध्य में रुबिडियम एटॉमिक फ्रीक्वेंसी स्टैंडर्ड (आरएएफएस), एक परमाणु घड़ी लगी है जो नौवहन नीतभार के लिए एक स्थिर आवृत्ति संदर्भ के रूप में कार्य करती है।

परासन नीतभार: परासन नीतभार में सटीक कक्षा निर्धारण की सुविधा के लिए टू-वे सीडीएमए परासन के लिए उपयोग किए जाने वाले CxC प्रेषानुकर (ट्रांसपोंडर) लगे हुए हैं।

वर्ष 2017 में इसरो ने घोषणा की थी कि भारतीय क्षेत्रीय नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (आईआरएनएसएस) के उपग्रहों में से एक—आईआरएनएसएस-1A—में लगी तीनों परमाणु घड़ियां विफल हो गई थीं, जिसके बाद एनवीएस-01 विकसित किया गया।


आईआरएनएसएस, जिसका परिचालन नाम NavIC है, भारत और इसकी मुख्य भूमि के आसपास लगभग 1,500 किमी. तक फैले हुए क्षेत्र में सटीक वास्तविक-समय स्थिति और समय सेवाएं प्रदान कर रहा है। पूर्ण रूप से विस्तारित NavIC तारामंडल में भूतुल्यकाली/नत भूतुल्यकाली कक्षाओं में पहली पीढ़ी की उपग्रह शृंखला के आठ उपग्रह—आईआरएनएसएस-1A (पीएसएलवी-C22 द्वारा जुलाई 2013 में प्रक्षेपित), आईआरएनएसएस-1B (पीएसएलवी-C24 द्वारा अप्रैल 2014 में प्रक्षेपित), आईआरएनएसएस-1C (पीएसएलवी-C26 द्वारा अक्तूबर 2014 में प्रक्षेपित), आईआरएनएसएस-1D (पीएसएलवी-C27 द्वारा मार्च 2015 में प्रक्षेपित), आईआरएनएसएस-1E (पीएसएलवी-C31 द्वारा जनवरी 2016 में प्रक्षेपित), आईआरएनएसएस-1F (पीएसएलवी-C32 द्वारा मार्च 2016 में प्रक्षेपित), आईआरएनएसएस-1G (पीएसएलवी-C33 द्वारा अप्रैल 2016 में प्रक्षेपित) और आईआरएनएसएस-1I (पीएसएलवी-C41 द्वारा अप्रैल 2018 में प्रक्षेपित)—शामिल हैं। आईआरएनएसएस-1H उपग्रह, जिसे पीएसएलवी-C39 द्वारा प्रक्षेपित किया गया था, कक्षा में स्थापित नहीं किया जा सका, जैसाकि मिशन असफल रहा।

आईआरएनएसएस दो प्रकार की सेवाएं प्रदान करता है, अर्थात मानक स्थिति सेवा (एसपीएस) जो सभी साधारण उपयोगकर्ताओं को प्रदान की जाती है, और प्रतिबंधित सेवा (RS) जो केवल अधिकृत उपयोगकर्ताओं को प्रदान की जाने वाली एक एन्क्रिप्टेड (सूचनाओं को कोड के रूप में छुपा लेना जो उसके वास्तविक अर्थ को प्रकट नहीं करते हैं।) सेवा है। NavIC की कुछ मुख्य विशेषताएं—स्थलीय, हवाई और समुद्री नौसंचालन; परिशुद्ध कृषि; भूगणितीय सर्वेक्षण; आपातकालीन सेवाएं; बड़ा प्रबंधन; मोबाइल उपकरणों में स्थान-आधारित सेवाएं; उपग्रहों के लिए कक्षा निर्धारण; समुद्री मत्स्य पालन; वित्तीय संस्थानों, पावर ग्रिड और अन्य सरकारी एजेंसियों के लिए समय सेवाएं; इंटरनेट-ऑफ-थिंग्स (आईओटी) आधारित अनुप्रयोग; सामरिक अनुप्रयोग आदि हैं।


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