भारतीय रिजर्व बैंक ने 6 जून, 2018 को पब्लिक क्रेडिट रजिस्ट्री के गठन की घोषणा की, जिसमें वैयक्तिक एवं कॉर्पोरेट उधारकर्ता की सभी ऋण संबंधी सूचनाएं होंगी। यह फैसला यशवंत देवस्थली की अध्यक्षता वाले उच्च स्तरीय कार्यबल की रिपोर्ट के बाद किया गया है। रिजर्व बैंक ने देवस्थली समिति की सिफारिशों पर विचार के पश्चात् चरणबद्ध तरीके से पीसीआर स्थापित करने का निर्णय लिया है। समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि इस तरह की रजिस्ट्री से देश में कर्ज की संस्कृति को मजबूत बनाने में मदद मिलेगी। इसके अतिरिक्त, आरबीआई क्रेडिट रजिस्ट्री को स्थापित करने संबंधी लॉजिस्टिक्स हेतु एक क्रियान्वयन कार्य बल का गठन करेगा।
पब्लिक क्रेडिट रजिस्ट्री की सहायता से बैंकों को बुरे और सही उधारकर्ता के बीच फर्क करने में आसानी होगी, इस प्रकार बैंक अच्छे उधारकर्ता को सस्ती ब्याज दर पर और बुरे उधारकर्ता को ऊंची ब्याज दर पर ऋण दे सकेंगे। इससे बैंक कॉर्पोरेट उधारकर्ता की ऋण संबंधी स्थिति को जान पाएंगे और कर्ज देने संबंधी सही फैसला ले पाएंगे। साथ ही इससे विश्व बैंक के ‘ईज ऑफ डुइंग बिजनेस इंडेक्स’ में भारत की स्थिति में सुधार आएगा।
यह कदम वर्ष 2017 में स्थापित की गई उच्च स्तरीय समिति (वाई.एम. देवस्थली की अध्यक्षता में) की अनुशंसाओं के संदर्भ में उठाया गया है जिसने अप्रैल 2018 में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की। समिति ने अनुशंसा की कि आरबीआई को एक क्रेडिट रजिस्ट्री का गठन करना चाहिए और इस दौरान रजिस्ट्री को एक पृथक् गैर-लाभकारी संगठन के तौर पर चलाया जा सकता है।
रजिस्ट्री के डाटा बैंकों जैसे स्टेकहोल्डर्स को जरूरत के आधार पर उपलब्ध कराई जाएगी और डाटा की गोपनीयता को सुरक्षित रखा जाएगा। रजिस्ट्री सभी ऋणों एवं उधारकर्ताओं हेतु सकारात्मक एवं नकारात्मक सूचना को रखेगी। रजिस्ट्री बाह्य वाणिज्यिक उधारी, बाजार उधारी, एवं सभी आकस्मिक देयताओं जैसी सूचनाओं को भी कैप्चर करेगी। समिति ने अनुशंसा की कि पीसीआर किसी विशिष्ट राशि संबंधी सूचना देने के असंगत सभी क्रेडिट संविदाओं की रजिस्ट्री के रूप में सेवा प्रदान करेगी और इसके पीछे एक वैधानिक रूपरेखा होगी।