13 दिसंबर (मध्यरात्रि) से 14 दिसंबर (भोर), 2020 को आसमान में भारी जेमिनिड उल्का-वृष्टि हुई थी, जिसे वर्ष 2020 की सबसे बड़ी उल्का-वृष्टि माना गया। खगोल विदों के अनुसार, अंतर्गत में यह उल्का-वृष्टि 4 से 20 दिसंबर, 2020 तक सक्रिय थी। इंटरनेशनल मीटियोर ऑर्गेनाइजेशन (आईएमओ) के अनुसार, वर्ष 2020 में जेमिनिड उल्का-वृष्टि के चरम के दौरान उल्कापात की अधिकतम अपेक्षित दर प्रति घंटा 150 थी। इस प्रक्रिया में लगभग एक नए चांद के साथ परस्पर व्याप्त होने के कारण 2020 में जेमिनिड्स दर बेहतर हुई, जिसका अर्थ है कि उस समय आसमान अंधकारमय (गहरा काला) और चंद्रमा का प्रकाश बिल्कुल नहीं था जो उल्कापात को छिपा सके। यह उल्का-वृष्टि उन गिने-चुने उल्का वृष्टियों में से एक थी, जिसमें लगातार अधिकतम दर—एक घंटे में सौ से अधिक, प्रायः एक मिनट में दो से अधिक उल्काएं उत्पन्न हुईं। इस उल्का-वृष्टि के भव्य प्रकाश (आकाश में वह स्थान जहां से वे उत्पन्न होते हैं) को देखने के लिए किसी व्यक्ति को मिथुन (जेमिनी) तारांमडल (जिसके कारण इस वृष्टि को ‘जेमिनिड्स’ कहा जाता है) की ओर देखना होगा।
‘उल्का’ के बारे में
उल्काभ या उल्कापिंड अंतरिक्ष में स्थित ऐसे शिलाखंड हैं जो पृथ्वी की ओर आते हैं या पृथ्वी के वायुमंडल से टकराने वाले होते हैं। जिन्हें वायुमंडल में बड़ी तेजी से गुजरते हुए देखा जाता है उन्हें उल्का कहा जाता है; और अगर ये उल्का धरती तक पहुंचते हैं, तो इन शिलाखंडों को उल्कापिंड या उल्काश्म कहा जाता है (सभी उल्कापिंड धरती तक नहीं पहुंचते क्योंकि कई कण बहुत छोटे होते हैं जो गिरने के बाद टूटकर बिखर जाते हैं)। जब उल्कापिंडों की एक शृंखला (कई उल्कापिंडों) का एक साथ आकस्मिक टकराव होता है तो उन्हें उल्का-वृष्टि कहा जाता है।
जेमिनिड्स उल्का-वृष्टि अद्वितीय घटनाएं नहीं हैं; ये लगातार घटती रहती हैं और लंबे समय से होती आ रही हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका में 1833 में मिसिसिपी नदी पर नौका से किया गया अवलोकन पहली बार दर्ज किए गए अवलोकनों में से एक था। हालांकि, प्रत्येक वर्ष होने वाली उल्का-वृष्टि को सर्वोत्तम में से एक माना जाता है, क्योंकि प्रत्येक उल्काएं प्रकाश से अधिक भरी होती है, और तीव्र वेग एवं आक्रामकता से आती हैं। 2019 में, लगभग पूर्ण चंद्र के कारण, जेमिनिड्स द्वारा प्रति घंटे लगभग 20 से 30 दृश्य उल्काएं उत्पन्न हुईं।
पृथ्वी के दोनों गोलार्धों से जेमिनिड्स दिखाई देते हैं। यद्यपि उत्तरी गोलार्ध से यह बेहतर दिखाई देता है, तथापि जेमिनिड्स उल्कापात को दक्षिणी गोलार्ध से भी देखा जा सकता है। वैज्ञानिकों अनुसार, बृहस्पति के गुरुत्वाकर्षण ने बीती सदियों में पृथ्वी के निकटवर्ती क्षुद्रग्रह 3200 फेथॉन, जो वृष्टि के स्रोत हैं के कणों के प्रवाह को कर्षित कर लिया और इसलिए आने वाले वर्षों में और अधिक स्पष्ट रूप से उल्का-वृष्टि के देखे जाने की संभावना है।
नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (नासा) अनुसार, जेमिनिड्स 79,000 मील प्रति घंटे या 35 किमी/सेकंड अथवा 22 मील/सेकंड की रफ्तार से गमन करते हैं। इन्हें आसानी से देखा जा सकता है लेकिन लगभग 39 किमी (24 मील) अन्नतांश पर ये पूरी तरह से विघटित हो जाते हैं।
जेमिनिड्स से संबद्ध क्षुद्रग्रह
जेमिनिड उल्का-वृष्टियां पृथ्वी-के समीपवर्ती खगोलीय पिंड 3200 फेथॉन नामक एक क्षुद्रग्रह से संबद्ध हैं। 11 अक्टूबर, 1983 को दर्ज किए गए इस क्षुद्रग्रह का व्यास 5.8 किमी. (3.6 मील) है। कई क्षुद्रग्रहों के विपरीत, फेथॉन की कक्षा एक धूमकेतु की कक्षा से मिलती-जुलती है और यह धूलकणों को स्त्रावित करता है, जिससे संभवतः सूर्य के अत्यधिक गर्म होने के कारण जेमिनिड उल्का-वृष्टि होती है। ऐसा माना जाता है कि बहुत समय पहले यह क्षुद्रग्रह उल्का-वृष्टि के रूप में दिखाई देने वाले कणों के प्रवाह को उत्पन्न करने हेतु किसी अन्य खगोलीय पिंड से टकराया होगा। यह क्षुद्रग्रह प्रत्येक 1.4 वर्षों में सूर्य की परिक्रमा करता है और शायद ही कभी पृथ्वी के निकट आता है। यह बुध की कक्षा के भीतर और सूर्य से केवल 0.15 खगोलीय इकाइयों की दूरी पर, सूर्य के बहुत करीब से गुजरता है।
सूर्य और पृथ्वी के बीच की दूरी को खगोलीय इकाई कहा जाता है—जो लगभग 93 मिलियन मील या 150 मिलियन किमी. होती है।
उल्का-वृष्टि
उल्का पिंड, चट्टान और बर्फ के टुकड़े होते हैं जो अधिकतर धूमकेतुओं द्वारा उत्सर्जित किए जाते हैं जिनकी सूर्य के निकट पहुंचने पर वाष्पित होकर अपने पदार्थों को छोड़ने की संभावना रहती है। ये उल्का क्षुद्रग्रहों से भी गिर सकते हैं क्योंकि वे सूर्य के चारों ओर अपनी कक्षाओं के इर्द-गिर्द घूमते रहते हैं। नासा अनुसार, प्रतिवर्ष 30 से अधिक उल्का-वृष्टियां होती हैं जो पृथ्वी से अवलोकनीय होती हैं।
जैसे ही उल्काएं, वायुमंडल से गुजरती हैं, वे चमकती हुई गैस की परत को पीछे छोड़ती हैं जो पर्यवेक्षकों को दिखाई देती है। जब वे पृथ्वी की ओर गिरती हैं, तो पृथ्वी के वायुमंडलीय दबाव के कारण बहुत गर्म हो जाती हैं।
बिना किसी बादल वाली रात और जब चंद्रमा अत्यंत चमकीला नहीं होता, उस समय उल्का सबसे स्पष्ट रूप से दिखाई देती हैं। एक उल्का को शहरों की रोशनी की अपेक्षा दूरस्थ स्थानों में सफलतापूर्वक देखने की संभावना अधिक होती है। लेकिन प्रदूषण के कारण उल्का-वृष्टियों को देख पाना कठिन होता है। जिन क्षेत्रों में प्रकाश या वायु प्रदूषण नहीं होता, वहां बिना किसी खास उपकरण के भी इन्हें देखा जा सकता है। अवलोकन करने वाले को अंधेरे के साथ अपनी आंखों को समायोजित करने हेतु पर्याप्त समय देने की आवश्यकता होती है, जिसमें लगभग 30 मिनट लग सकते हैं। यह अनुशंसा की जाती है कि जो लोग उल्का-वृष्टि देखना चाहते हैं, उन्हें कुछ समय के लिए अपने मोबाइल फोन का उपयोग नहीं करना चाहिए, क्योंकि टीवी स्क्रीन, या मोबाइल जैसे अन्य स्क्रीनों से निकलने वाला प्रकाश रात्रि दृष्टि को प्रभावित कर सकते हैं।
जेमिनिड्स और अन्य उल्का-वृष्टियों की तुलना
जेमिनिड्स और उर्सिड्स उल्का-वृष्टियां अन्य उल्का-वृष्टि से भिन्न होती हैं, क्योंकि उनका स्रोत धूमकेतु में नहीं पाया जाता। दिसंबर 2020 में हुई जेमिनिड्स उल्का-वृष्टि के तुरंत बाद, उत्तरी गोलार्ध में प्रेक्षकों को उर्सिड्स उल्का-वृष्टि देखने की उम्मीद थी, जो 17 से 26 दिसंबर तक सक्रिय और 21 से 22 दिसंबर की रात को ठीक अपने चरम पर थी। हालांकि, उर्सिड्स उल्का वृष्टियों की दर जेमिनिड्स की तुलना में बहुत कम है। यदि उत्तरी गोलार्ध में जेमिनिड्स देखने वाले प्रति घंटे 60 उल्का देखने की उम्मीद करते हैं, तो उर्सिड्स उल्का-वृष्टि के प्रेक्षक आम तौर पर प्रति घंटे 5 से 10 उल्का देख सकते हैं।
ओर्योनिड्स उल्का, 1पी/हैली नामक धूमकेतु से उत्पन्न होती हैं और प्रतिवर्ष अक्टूबर के आसपास दिखाई देती हैं।