आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने 24 नवंबर, 2021 को वायुमंडल तथा जलवायु अनुसंधान, प्रेक्षण, विज्ञान तथा सेवाएं (अक्रॉस—ACROSS) को जारी रखने की मंजूरी प्रदान की। इस समग्र योजना के अंतर्गत आठ उप-योजनाओं को कुल 2,135 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत के साथ आगामी पांच वर्षों अर्थात वित्तीय चक्र 2021-2026 के लिए लागू किया गया है। इस योजना को पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (एमओईएस) द्वारा अपनी इकाइयों—भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी), भारतीय उष्णदेशीय मौसम विज्ञान संस्थान (आईआईटीएम), राष्ट्रीय मध्यम अवधि मौसम पूर्वानुमान केंद्र (एनसीएमआरडब्ल्यूएफ), और भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना एवं केंद्र (आईएनसीओआईएस)—के माध्यम से कार्यान्वित किया जा रहा है।
अक्रॉस वास्तविक समय में मौसम, जलवायु तथा अन्य जोखिमपूर्ण घटनाओं के पूर्वानुमानों के समग्र पहलुओं में सुधार करने हेतु शोध एवं अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए वर्ष 2018 में शुरू की गई एक अम्ब्रेला योजना है, जिसके निम्न उद्देश्य हैं:
(i) मौसम संबंधी सेवाओं और जलवायु सेवाओं को एकीकृत करने और सुधारने के उद्देश्य से संपूर्ण हिमालयी क्षेत्र के लिए समर्पित पूर्वानुमान प्रणाली की स्थापना करने सहित कृषि, विमानन, शहर के पूर्वानुमान, पहाड़ी क्षेत्र, रक्षा और खेल, देश में आपदाओं की निगरानी की आवश्यकताओं को पूरा करने के साथ-साथ वायुमंडलीय प्रेक्षण प्रणालियों को बनाए रखना और उन्हें सुदृढ़ करना।
(ii) भारत में मानसून, मौसम और जलवायु का पूर्वानुमान, जिसमें चक्रवात, भारी वर्षा, तूफान, बाढ़, लू, धुंध और वायु-गुणवत्ता, एरोसोल (वायुविलय) और बादलों की सूक्ष्म भौतिक विशेषताएं, तथा संबंधित पर्यावरणीय स्थितियों जैसे गंभीर मौसम के विशिष्ट पूर्वानुमान शामिल हैं, के लिए आवश्यक वायुमंडलीय मॉडल के अनुगामी विकास हेतु अलग-अलग समय और अंतरिक्षीय पैमाने पर लघु और मध्यम श्रेणी से लेकर मौसमी पैमाने तक पारंपरिक और अपारंपरिक दोनों प्रकार के आंकड़ों का समावेश करना।
(iii) दीर्घकालिक (मल्टी-डीकेडल) जलवायु अनुरूपता के कारण जल तथा अन्य जलवायु सेवाओं, जल चक्र और पुराजलवायु (पैलियोक्लाइमेटिक) के अध्ययन की समझ बढ़ाने के लिए अनुसंधान करना।
(iv) पर्यावरणीय प्रेक्षणों के लिए सभी मॉडलिंग गतिविधियों, पूर्वानुमान सृजन, डेटा केंद्र और डेटा विश्लेषण, तथा वायुवाहित प्लेटफॉर्म सुविधाओं का निरंतर रखरखाव करना।
इस योजना के तहत आने वाली आठ उप-योजनाएं अपनी प्रकृति में बहुआयामी हैं, और मौसम एवं जलवायु के सभी पहलुओं को समाविष्ट करने के लिए इन्हें पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की विभिन्न इकाइयों/विभागों द्वारा एकीकृत रूप से लागू किया जाएगा, जो इस प्रकार हैं—
(i) मानसून संवहन, बादल और जलवायु परिवर्तन (एमसी4): इसकी परिकल्पना अवलोकन संबंधी डेटाबेस और जलवायु मॉडल में सुधार करने के लिए की गई है ताकि मानसूनी वर्षा में परिवर्तन और गर्म वातावरण में उनके प्रभावों के प्रति भावी समझ को बढ़ाया जा सके। एमसी4 का व्यापक लक्ष्य एक बदलती जलवायु में मानसून की गतिशीलता, बादलों, एरोसोल, वर्षा और जल चक्र के बीच पारस्परिक प्रभाव को बेहतर और परिमाणित करना है। यह जलवायु मॉडलिंग और अवलोकन अध्ययनों द्वारा पूरा किया जाएगा, तथा दक्षिण एशिया पर जलवायु विविधताओं और क्षेत्रीय प्रभावों के बेहतर पूर्वानुमान को सक्षम करेगा। इस उप-योजना का उद्देश्य वैश्विक एवं क्षेत्रीय जलवायु परिवर्तनशीलता और परिवर्तन की मॉडलिंग, और अर्थ सिस्टम मॉडल तथा उच्च-विभेदन जलवायु मॉडल का उपयोग करके प्रभाव का आकलन करना; मानसून क्लाउड डायनेमिक्स और माइक्रोफिजिक्स (सूक्ष्मभौतिकी) पर ध्यान केंद्रित करते हुए अवलोकन कार्यक्रम, संख्यात्मक अनुकरण और प्रयोगशाला जांच का संचालन करना; रासायनिक ट्रेस गैसों और मौसम संबंधी मापदंडों के आधार पर ग्रीनहाउस गैसों की सांद्रता और प्रवाह के माप का संचालन करना; एशियाई मानसून में कई हजार वर्षों से प्रचलित पिछली विविधताओं का पुनर्निर्माण करना; विश्वसनीय जलवायु सूचना तक पहुंच, प्रशिक्षण और प्रसार करना; वैश्विक और क्षेत्रीय जलवायु मॉडलिंग, और प्रेक्षणों में आंतरिक क्षमता का निर्माण करना; मध्य भारत में एक वायुमंडलीय अनुसंधान परीक्षण पटल (एआरटी-सीआई); और एक राष्ट्रीय जलवायु संदर्भ नेटवर्क (एनसीआरएन) की स्थापना करना है।
इन उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए एमसी4 के भी चार उप-कार्यक्रम हैं—(i) आभासी जल केंद्र सहित जलवायु परिवर्तन अनुसंधान केंद्र (सीसीसीआर); (ii) उष्णदेशीय बादलों की भौतिकी और गतिशीलता (पीडीटीसी); (iii) प्रक्रिया अध्ययन और राष्ट्रीय जलवायु संदर्भ नेटवर्क (एनसीआरएन) के लिए वायुमंडलीय अनुसंधान परीक्षण पटल (एआरटी) तथा राष्ट्रीय जलवायु संदर्भ नेटवर्क (एनसीआरएन); और (iv) मेट्रो वायु गुणवत्ता और मौसम सेवा (एमएक्यूडब्ल्यूएस)।
(ii) उच्च प्रदर्शन कंप्यूटिंग प्रणाली (एचपीसीएस): इस योजना के तहत, मानसून और अन्य मौसम एवं जलवायु मापदंडों, महासागरीय स्थिति, भूकंप और सूनामी जैसी प्राकृतिक आपदाओं और पृथ्वी प्रणाली से संबंधित अन्य घटनाओं के पूर्वानुमान की सर्वोत्तम संभव सेवाएं प्रदान करने; अत्यधिक उच्च स्थानिक विभेदन पर जटिल गणितीय समीकरणों को हल करने; तथा मॉडलिंग की आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु उच्च कार्य निष्पादन कंप्यूटर प्रणाली की स्थापना की गई है, जिसमें कृत्रिम बुद्धिमत्ता और मशीन लर्निंग एल्गोरिदम के समर्थन के साथ विशाल समानांतर कंप्यूटिंग आर्किटेक्चर वाले आधुनिक सुपर कंप्यूटर शामिल हैं। उप-योजना का उद्देश्य पड़ोसी बिम्सटेक देशों, इंडो-अफ्रीकी केंद्र और अन्य अफ्रीकी देशों को एचपीसीएस सुविधा और व्यापक समर्थन प्रदान करना; पूर्वानुमान कौशल में सुधार और प्रचालनात्मक पूर्वानुमान प्रणाली पर काम करने के लिए अकादमिक और अनुसंधान एवं विकास समुदाय को कंप्यूटेशनल संसाधन उपलब्ध कराना; अत्याधुनिक बिग-डेटा एनालिटिक्स और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस/मशीन लर्निंग फ्रेमवर्क प्रदान करने हेतु एक व्यापक कंप्यूटेशनल और विजुअलाइजेशन इकोसिस्टम की स्थापना करना; और अबाधित बिजली स्रोत (यूपीएस), शीतलन प्रणाली, बिजली और जनरेटर बैकअप जैसी आवश्यक अवसंरचना और सहायता प्रदान करने के माध्यम से एचपीसीएस सुविधा बनाए रखना है।
(iii) मानसून मिशन II: आईआईटीएम/एनसीएमआरडब्ल्यूएफ/आईएनसीओआईएस /आईएमडी द्वारा क्रियान्वित की जाने वाली इस योजना को एमओईएस द्वारा 2012 में आरंभ किए गए राष्ट्रीय मानसून मिशन के तीसरे चरण के रूप में जारी रखा गया है। भारत में सभी समय पैमानों पर मानसून पूर्वानुमान प्रणाली में सुधार करने के उद्देश्य से शुरू की गई इस योजना के अंतर्गत एक प्रभावी पूर्वानुमान प्रणाली की स्थापना करना; अतिविषम एवं जलवायु अनुप्रयोगों के पूर्वानुमान हेतु एक प्रणाली विकसित करने के लिए भारतीय तथा विदेशी संस्थानों के मध्य समन्वय स्थापित करना; और मॉडल पूर्वानुमानों के लिए उच्च गुणवत्तापूर्ण डेटा तैयार करने हेतु उन्नत डेटा सम्मिलन प्रणाली की स्थापना करना शामिल है। यह उप-योजना देश भर में परिचालित मानसून पूर्वानुमान कौशल में सुधार के लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय दोनों स्तरों पर शैक्षणिक, तथा अनुसंधान एवं विकास संगठनों के बीच एक कार्यशील साझेदारी का निर्माण करने; और ‘मौसमी और विस्तारित रेंज पूर्वानुमानों’ और ‘लघु और मध्यम श्रेणी (दो सप्ताह तक) पूर्वानुमान’ के पूर्वानुमान कौशल में सुधार के लिए एक अत्याधुनिक गतिशील मॉडलिंग ढांचा स्थापित करने का लक्ष्य रखती है।
(iv) वायुमंडलीय प्रेक्षण नेटवर्क: वायुमंडलीय प्रेक्षण नेटवर्क योजना एक सतत योजना है, जिसमें अवलोकन नेटवर्क के निर्वाह के उद्देश्य से मुख्य रूप से चल रहे कार्यक्रमों को एकीकृत रूप से शामिल किया गया है। इसका उद्देश्य डॉप्लर मौसम रडार (डीडब्ल्यूआर), स्वचालित वर्षा गेज (एआरजी), स्वचालित मौसम प्रणाली (एडब्ल्यूएस), उपरितन वायु, सतही और पर्यावरणिक वेधशालाओं इत्यादि से युक्त प्रेक्षण नेटवर्क का रखरखाव और आवर्धन करना; और सैटेलाइट मौसम विज्ञान अनुप्रयोगों के लिए बहु प्रसंस्करण, कंप्यूटिंग और संचार सुविधाओं का रखरखाव और इनकी स्थापना करना है।
(v) मौसम एवं जलवायु सेवाएं: यह एक सतत योजना है, जिसमें मुख्य रूप से मौसम और जलवायु की कुशल सेवाएं प्रदान करने के उद्देश्य से देश के विभिन्न क्षेत्रों में चल रहे कार्यक्रमों को एकीकृत रूप से शामिल किया गया है। ग्रामीण कृषि मौसम सेवा (कृषि मौसम संबंधी सलाहकार सेवाएं); विमानन मौसम विज्ञान सेवाओं का विस्तार; जलवायु सेवाएं; परिचालन मौसम विज्ञान में प्रशिक्षण; और क्षमता निर्माण इस योजना के प्रमुख घटक हैं। इसका उद्देश्य अगले 3-5 दिनों हेतु ब्लॉक स्तर के पूर्वानुमान के लिए एक उन्नत मौसम पूर्वानुमान प्रणाली विकसित करना, और कृषि, आपदा प्रबंधन, जल संसाधन, बिजली, पर्यटन और तीर्थयात्रा, स्मार्ट शहरों, नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र और परिवहन जैसे क्षेत्रों के लिए सलाह विकसित करना; कृषि मौसम सलाहकार सेवाओं (एएएस) के विस्तार के लिए देश के सभी जिलों में जिला कृषि-मौसम इकाइयों (डीएएमयू) की स्थापना करना; संचार के कई माध्यमों, प्रतिक्रिया के संग्रह और एएएस के प्रभाव मूल्यांकन के माध्यम से 94 मिलियन किसानों तक मौसम आधारित कृषि मौसम परामर्श की पहुंच का विस्तार करना; विमानन सुरक्षा हेतु देश के सभी नागरिक हवाई अड्डों के लिए स्वचालित विमानन मौसम प्रेक्षण प्रणाली और उन्नत पूर्वानुमान उपकरणों के साथ एक अत्याधुनिक समर्थन प्रणाली विकसित करना; भारतीय वायु सेना, भारतीय सेना के हेलिकॉप्टर और निम्न-स्तरीय उड़ान संचालन का समर्थन करने के लिए ग्रीनफील्ड हवाई अड्डों पर नए एयरोड्रम मेट कार्यालयों की स्थापना और हेलिपोर्ट्स, लैंडिंग ग्राउंड और अन्य रणनीतिक स्थानों सहित महत्वपूर्ण पर्यटन और तीर्थस्थानों पर स्वचालित हेलिपोर्ट मौसम अवलोकन और संचारण प्रणाली की स्थापना करना; राष्ट्रीय और क्षेत्रीय जलवायु सेवाएं प्रदान करने के लिए एकीकृत उन्नत जलवायु डेटा सेवा पोर्टल के साथ एक अत्याधुनिक जलवायु डेटा केंद्र स्थापित करना; दक्षिण एशिया के लिए डब्ल्यूएमओ (वर्ल्ड मीटियरोलॉजिकल ऑर्गेनाइजेशन) द्वारा मान्यता प्राप्त क्षेत्रीय जलवायु केंद्र (आरसीसी) के रूप में इस क्षेत्र को उपयुक्त जलवायु सेवाएं प्रदान करना; डब्ल्यूएमओ, अफ्रीका और एशिया के लिए क्षेत्रीय एकीकृत बहु-जोखिम प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली (आरआईएमईएस)/एशिया और प्रशांत क्षेत्र के लिए आर्थिक और सामाजिक आयोग (ईएससीएपी)/दक्षिण एशिया में जलवायु सेवाओं के लिए वैश्विक ढांचा (जीएफसीएस) आदि के साथ सहयोग करना; और कार्यशालाओं, संगोष्ठियों, प्रशिक्षणों, उपयोगकर्ता सम्मेलनों, विज्ञापन और प्रचार, आउटरीच (पहुंच) गतिविधियों आदि का आयोजन करना है।
(vi) पूर्वानुमान प्रणाली का उन्नयनः यह योजना संपूर्ण देश के विभिन्न क्षेत्रों, यथा—सेना के संचालन, वायु संचालन, कृषि, पर्यटन, पर्वतारोहण, विमानन, सड़क और संचार, बिजली, उत्पादन, जल प्रबंधन, पर्यावरण अध्ययन, खेल और साहसिक कार्य, परिवहन, सरकारी प्राधिकरण, गैर सरकारी संगठन और आम जनता जैसे कई क्षेत्रों को दक्ष मौसम और जलवायु सेवाएं प्रदान करने हेतु इन सेवाओं में अंतरराष्ट्रीय मानकों के बराबर सटीकता लाने के लिए व्यापक रूप से देश में लागू विभिन्न कार्यक्रमों को एकीकृत करती है। इसका उद्देश्य डेटा और उत्पाद संचरण के लिए संचार प्रणालियों का उन्नयन और निरंतरता; एक उन्नत परिचालन पूर्वानुमान प्रणाली, पूर्वानुमान और अन्य सेवाओं के लिए वितरण प्रणाली का विकास; टोही वायुयान के माध्यम से चक्रवात, गरज और कोहरे के पूर्वानुमान में सुधार के लिए विशेष अभियान का संचालन और अतिरिक्त अवलोकनों का प्रावधान; पश्चिमी और मध्य हिमालय के लिए एकीकृत हिमालयी मौसम विज्ञान कार्यक्रम; और भारत में क्षमता निर्माण, पहुंच, योजना और विशिष्ट प्रक्रिया संबंधी प्रेक्षण प्रणालियों को बनाए रखना है।
(vii) पोलारिमेट्रिक डॉपलर मौसम रडार (डीडब्ल्यूआर): इस योजना को देश में कहीं भी मध्य मापक्रम संवहनी मौसम के विकास पर तात्कालिक पूर्वानुमान प्रदान करने के लिए महत्वपूर्ण जानकारी देने; तथा रडार अवलोकन संवहनी मौसम की घटनाओं की गतिशीलता और सूक्ष्म भौतिकी पर अनुसंधान को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से शुरू किया गया है।
इसके अंतर्गत आईएमडी द्वारा देश में आधुनिक डीडब्ल्यूआर नेटवर्क के अतिव्यापी विन्यास कुल ग्यारह अन्य डीडब्ल्यूआर प्रस्तावित किए गए हैं। इसका उद्देश्य देश में, विशेष रूप से बड़े डेटा अंतराल वाले क्षेत्रों में रडार प्रेक्षण नेटवर्क के स्थानिक और अस्थायी घनत्व में सुधार करना; उपमहाद्वीप में मानसून पूर्व और मानसून के बाद के मौसम के दौरान उष्णकटिबंधीय चक्रवातों की बेहतर जांच, निगरानी और ट्रैकिंग करना; उपमहाद्वीप में मानसून के दबाव और निम्न स्तर की बेहतर जांच, निगरानी और ट्रैकिंग करना; और उष्णदेशीय चक्रवातों और मानसून प्रणाली से जुड़ी भौतिक प्रक्रियाओं की वर्तमान समझ में सुधार करना, जिसमें संवहनी गतिविधि/सिस्टम की बेहतर समझ शामिल है।
(viii) मौसम एवं जलवायु की संख्यात्मक मॉडलिंगः इस योजना का उद्देश्य वायुमंडलीय प्रक्रियाओं की बेहतर समझ और संख्यात्मक मॉडल में उनका प्रतिनिधित्व; उपग्रहों/रडार सहित सभी उपलब्ध प्लेटफॉर्मों से डेटा को ग्रहण करना; और तकनीकों के समुच्चय और बहु-मॉडल समुच्चय के उपयोग के माध्यम से मौसम के पूर्वानुमान की सटीकता, विश्वसनीयता और कार्यक्षेत्र में सुधार करना है।
योजना का महत्व
वायुमंडल तथा जलवायु अनुसंधान, प्रेक्षण, विज्ञान तथा सेवाएं (ACROSS) के तहत निगमित ये उप-योजनाएं मौसम और जलवायु से संबंधित सटीक पूर्वानुमान प्रदान करने में सहायता करेंगी, जिससे इन क्षेत्रों से संबंधित समस्याओं से कुशलतापूर्वक निपटा जा सकेगा। इसके अलावा, इस योजना के विस्तार से देश में रोजगार के नए अवसर उत्पन्न होंगे (जैसाकि पूर्वानुमान से जुड़ी सूचनाओं को तैयार करने से लेकर इनके वितरण तक की पूरी प्रक्रिया में हर स्तर पर अत्यधिक श्रम बल की जरूरत होती है)।
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