यूनिवर्सिटी ऑफ सदर्न डेनमार्क के शोधकर्ताओं द्वारा गहरे समुद्र तल में रहने वाले ऐसे सूक्ष्मजीवों की खोज की गई है, जो अप्रत्याशित रूप से समुद्र तल के अंधेरे में ऑक्सीजन उत्पन्न करने में सक्षम हैं। [हालांकि, सामान्य रूप से वैज्ञानिक मान्यता है कि सौर प्रकाश के बिना पृथ्वी पर ऑक्सीजन की विद्यमानता संभव नहीं है, जैसाकि ऑक्सीजन की उत्पत्ति का मुख्य हेतुक (कारण) प्रकाश-संश्लेषण है।]
इस शोध के निष्कर्ष साइंस डेली नामक जर्नल में जनवरी 2022 में ऑक्सीजन एंड नाइट्रोजन प्रोडक्शन बाय एन एमोनिया-आक्सीडाइजिंग आर्केन नामक शीर्षक से प्रकाशित किए गए थे।
प्रकाश-संश्लेषणः प्रकाश-संश्लेषण एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें हरित वनस्पतियों तथा कुछ अन्य जीवों द्वारा प्रकाश ऊर्जा को रासायनिक ऊर्जा में परिवर्तित किया जाता है। प्रकाश-संश्लेषण के दौरान हरित वनस्पतियों द्वारा प्रकाश ऊर्जा का प्रग्रहण कर इसका उपयोग जल, कार्बन डाइऑक्साइड एवं खनिजों को ऑक्सीजन तथा ऊर्जा-समृद्ध कार्बनिक यौगिकों में रूपांतरित करने के लिए किया जाता है।
चूंकि, अधिकतर सूक्ष्मजीवों को जीवित रहने के लिए ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है, इसलिए सूक्ष्मजीव अकसर समुद्र के ऑक्सीजनयुक्त क्षेत्रों में पाए जाते हैं। शोधकर्ताओं के अनुसार, गहरे समुद्र तल, जहां प्रकाश नहीं पहुंचता, में पाया गया अमोनिया-ऑक्सीडाइजिंग आर्किया (एओए) प्रजाति का नाइट्रोसोपुमिलस मैरिमिटस नामक सूक्ष्मजीव और उसके सहजात, जो संयुक्त रूप से नाइट्रोजन चक्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं तथा जिनका समुद्र के सूक्ष्मजीवों में सबसे बड़ा समूह है, सूर्य के प्रकाश के बिना भी ऑक्सीजन उत्पन्न कर सकते हैं।
इस जैविक प्रक्रिया को समझने के लिए शोधकर्ताओं द्वारा प्रयोगशाला के अंधेरे में वायुरोधी डिब्बों में इन सूक्ष्मजीवों का संवर्धन किया गया तथा ऑक्सीजन की कमी वाले जल में इनकी कार्यक्षमता का आकलन करने हेतु समुद्र के गहन क्षेत्रों (जहां ऑक्सीजन अत्यल्प मात्रा में होती है) की भांति उन डिब्बों में ऑक्सीजन की सांद्रता को कृत्रिम रूप से कम कर दिया गया। तत्पश्चात, उन्होंने पाया कि इन सूक्ष्मजीवों द्वारा जल में शेष ऑक्सीजन का पूरी तरह उपयोग कर लिया गया, लेकिन उसके बावजूद जल में ऑक्सीजन का स्तर पुनः बढ़ने लगा, जिससे शोधकर्ता इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि ऑक्सीजन की कमी होने पर नाइट्रोसोपुमिलस मैरिमिटस द्वारा डाइनाइट्रोजन (एक मूल अणु, जिसमें नाइट्रोजन के दो सहसंयोजी परमाणु परस्पर जुड़े होते हैं। इसका रासायनिक सूत्र N2+ है।) एवं ऑक्सीजन का उत्पादन किया जाता है, जिसका उपयोग अमोनिया ऑक्सीडेशन [अमोनिया का ऑक्सीकरण नाईट्रोजन चक्र के अंतर्गत एक प्रमुख प्रक्रिया है, जिसके तहत अमोनिया का (NH3) नाइट्राइट (NO2–) में ऑक्सीकरण होता है।] के लिए किया जाता है। हालांकि, इन सूक्ष्मजीवों द्वारा ऑक्सीजन का उत्पादन कैसे किया जाता है, इससे अभी वैज्ञानिक अनभिज्ञ हैं, लेकिन संभवतः यह इस अतिरिक्त ऑक्सीजन का उत्पादन करने के लिए एक ऐसे भिन्न जैविक तंत्र का प्रयोग करते हैं, जिसमें नाइट्रिक ऑक्साइड (NO) तथा नाइट्रस ऑक्साइड (N2O) प्रमुख मध्यवर्ती रसायन होते हैं और इनके माध्यम से नाइट्रोसोपुमिलस मैरिमिटस सूक्ष्मजीव ऑक्सीजन और नाइट्रोजन आक्सॉइड दोनों का उत्पादन करते हैं, और जिनका संयोजन ऑक्सीजन उत्पादन के लिए ज्ञात तीन प्राकृतिक माध्यमों (जल, वायु और मृदा) में नहीं देखा जाता।
हालांकि, इन सूक्ष्मजीवों द्वारा ऑक्सीजन उत्पन्न करने की यह प्रक्रिया पृथ्वी पर ऑक्सीजन के स्तर को प्रभावित करने के लिए पर्याप्त नहीं है, लेकिन इन सूक्ष्मजीवों को जीवित रखने के लिए काफी है। शोध के दौरान, यह भी देखा गया कि जब इन जीवों द्वारा अपनी आवश्यकता से अधिक ऑक्सीजन उत्पन्न की जा रही थी, तो उस अतिरिक्त ऑक्सीजन का उपयोग तुंरत ही अन्य नजदीकी सूक्ष्मजीवों द्वारा कर लिया गया।
शोधकर्ताओं के अनुसार, यह परिणाम इस संभावना के लिए मार्ग खोलता है कि महासागरों में एक संपूर्ण नया जैविक तंत्र क्रियाशील है, जिससे यह संकेत मिलता है कि यह तंत्र कई अन्य सूक्ष्मजीवों में भी पाया जाता होगा।
समुद्री नाइट्रोजन चक्र में सूक्ष्मजीवों की भूमिकाः समुद्र, वायुमंडल से नाइट्रोजन अवशोषित करता है, तत्पश्चात यह नाइट्रोजन, समुद्र में धावित हो जाता है, जहां यह अमोनिया के रूप में परिवर्तित होता है। सूक्ष्मजीव नाइट्रोसोपुमिलस मैरिमिटस तथा इसके सहजात अमोनियम का ऑक्सीकरण कर उसे नाइट्राइट में बदलते हैं, जबकि अन्य सूक्ष्मजीव नाइट्राइट को गैसीय नाइट्रोजन में परिवर्तित कर देते हैं। इस प्रकार नाइट्रोजन चक्र पूरा होता है।
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