नेशनल सेंटर फॉर रेडियो एस्ट्रोफिजिक्स (एनसीआरए)—टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (टीआईएफआर), पुणे के नेतृत्व में खगोलविदों के एक समूह ने जाइंट मीटरवेव रेडियो टेलिस्कोप (जीएमआरटी) के माध्यम से आकाशगंगा में मेन-सीक्वेंस रेडियो पल्स एमिटर्स (एमआरपीएस) नामक तारों के दुर्लभ वर्ग से संबंधित आठ तारों (HD12447, HD37017, HD19832, HD45583 HD79158, HD1455O1C, HD170000, और HD176582) की खोज की है। इस खोज के निष्कर्ष 1 फरवरी, 2022 को एस्ट्रोफिजिकल जर्नल में डिस्कवरी ऑफ एट ‘‘मेन-सीक्वेंस रेडियो पल्स एमिटर्स’’ यूजिंग द जीएमआरटीः क्लूज टू द ऑनसेट ऑफ कोहेरेंट रेडियो एमिशन इन हॉट मैग्नेटिक स्टार्स नामक शीर्षक से प्रकाशित हुए थे।
इस खोज से पूर्व, बीते दो दशकों में केवल सात एमआरपी की खोज की जा सकी थी, जिनमें से तीन की खोज जीएमआरटी द्वारा की गई थी; अब तक खोजे गए 15 एमआरपीएस में से 11 की खोज जीएमआरटी द्वारा की गई। इन खोजों में उन्नत जीएमआरटी (यूजीएमआरटी) के बैंडविड्थ (डेटा संचरण दर) और उच्च संवेदनशीलता से मदद मिली।
मेन-सीक्वेंस रेडियो पल्स एमिटर्स (एमआरपी) [अर्ली-टाईप स्टार्स का उद्भव मूल रूप से देरी से विकसित हुए तारों, जो सूर्य की तुलना में ठंडे होते हैं, के अपेक्षाकृत पहले होता है; इनसे इलेक्ट्रॉन साइक्लोट्रॉन मेजर एमिशन (ईसीएमई) के माध्यम से उत्पन्न आवधिक रेडियो स्पंद (पल्स) का अवलोकन किया जाता है।] असामान्य रूप से मजबूत चुंबकीय क्षेत्र और बहुत तेज तारकीय हवा वाले सूर्य से भी अधिक गर्म तारे हैं। इसी के कारण, वे प्रकाशस्तंभ की तरह चमकीले रेडियो पल्सों का उत्सर्जन करते हैं। हालांकि, पहले एमआरपी की खोज वर्ष 2000 में हुई थी। एमआरपी शब्द का प्रयोग इसी शोध की शोधकर्ता प्रोफेसर पूनम चंद्र और उनकी देखरेख में पीएचडी कर रही बरनाली दास द्वारा वर्ष 2020 में किया गया था।
शोधकर्ता पूनम चंद्र और बरनाली दास ने विश्व की दो सबसे प्रमुख दूरबीनों जीएमआरटी और अमेरिका में स्थित कार्ल जी. जैंस्की वेरी लार्ज एरे (वीएलए) का उपयोग करते हुए, अल्ट्रा -वाइड फ्रीक्वेंसी रेंज पर एमआरपी का सबसे व्यापक अध्ययन किया है। उनके इसी कार्य के परिणामस्वरूप ज्ञात हुआ कि एमआरपी द्वारा उत्सर्जित रेडियो पल्स में तारकीय मैग्नेटोस्फीयर [ग्रह के आसपास का वह क्षेत्र, जो उसके चुंबकीय क्षेत्र (फील्ड) द्वारा नियंत्रित होता है] के बारे में बड़ी मात्रा में जानकारी होती है। एमआरपी से पल्स्ड रेडियो उत्सर्जन सैद्धांतिक मॉडल के एकमात्र दृश्यमान चिह्नक हैं, जो विशाल चुंबकीय मैग्नेटोस्फीयर में विशिष्ट स्थानों पर स्थित छोटे विस्फोटों का पूर्वानुमान प्रदान करते हैं।
जीएमआरटी और वीएलए
जीएमआरटी एक रेडियो टेलिस्कोप है जो पुणे से 80 किमी. दूर खोडाड में स्थित है, जिसका संचालन 150-1,420 मेगाहर्ट्ज पर होता है। इसमें 30 एंटीना लगे हुए हैं, जिनमें से प्रत्येक 45 मीटर व्यास का होता है। इसे एनसीआरए-टीआईएफआर द्वारा संचालित किया जाता है, जबकि वीएलए संयुक्त राज्य अमेरिका के न्यू मेक्सिको के सोकॉरो में स्थित एक रेडियो टेलिस्कोप है, जिसमें 25 मीटर के 30 एंटीना लगे हुए हैं। इसका संचालन रेडियो एस्ट्रोनॉमी ऑब्जर्वेटरी, यूएसए द्वारा किया जाता है।
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