चक्रीय अर्थव्यवस्था को ‘वृत्तपरकता’ के रूप में जाना जाता है; यह एक ऐसी आर्थिक प्रणाली है जिसका उद्देश्य अपशिष्ट का निष्प्रभावन और संसाधनों का लंबे समय तक नियमित उपयोग करना है। अर्थव्यवस्था; मौजूदा अपशिष्टों से प्राप्त उत्पादों को पुनः उपयोग के लिए अनुकूलित करने तथा नए उत्पादों की परिकल्पना करने की सतत प्रक्रिया है। इस प्रक्रिया से बड़ी मात्रा में संकलित ऊर्जा एवं श्रम की बचत होती है। यह दृष्टिकोण पारंपरिक रेखीय अर्थव्यवस्था, जिसमें उत्पादन के ‘टेक, मेक, डिस्पोज’ (धारणा करना, निर्माण, निपटान) का पालन किया जाता है, के विपरीत है।

चक्रीय अर्थव्यवस्था में उत्पादों को स्थायित्व, पुनर्प्रयोग और पुनर्चक्रण के लिए तैयार किया जाता है। इस प्रक्रिया में तकरीबन सभी उत्पादों का—उपादान में दोबारा से पुनर्प्रयोग, पुनर्निर्माण, पुनर्चक्रण या ऊर्जा के स्रोत के रूप में उपयोग किया जाता है। इस प्रकार संसाधनों की उत्पादकता में सुधार होता है। इस प्रक्रिया में समस्त ‘अपशिष्ट’ को किसी अन्य वस्तु के उत्पादन के लिए ‘कच्चे सामग्री’ के रूप में प्रयोग; या एक उपोत्पाद या किसी अन्य औद्योगिक प्रक्रिया के लिए प्रतिलब्ध संसाधन, अथवा प्रकृति के लिए पुनर्योजी संसाधनों के रूप में होना चाहिए।

चक्रीय अर्थव्यवस्था के सिद्धांत

  1. अपशिष्ट संसाधन के रूप में परिवर्तित हो सकता हैः यह इसकी मुख्य विशेषता है। सभी जैव निम्नीकरण योग्य सामग्री मिट्टी में मिल जाती है और जो जैव निम्नीकरण योग्य नहीं होते उनका पुनर्प्रयोग किया जाता है।
  2. पुनः उपयोगः आर्थिक परिपथ (यह एक सरलीकृत निरूपण है, जिसमें किसी देश की अर्थव्यवस्था में विभिन्न कारकों के बीच मौजूद भौतिक एवं मौद्रिक संबंध दर्शाए जाते हैं) में उन उत्पादों को फिर से तैयार करना जो अब प्रारंभिक उपभोक्ताओं की जरूरत के अनुरूप नहीं हैं।
  3. पुनर्प्रयोगः उन उत्पादों या उनके कुछ भागों का पुनर्प्रयोग करना जो अभी भी नए उत्पादों को विस्तृत करने के लिए उपयोगी हों।
  4. मरम्मतः क्षतिग्रस्त उत्पादों को दोबारा उपयोग योग्य बनाना।
  5. पुनर्चक्रणः अपशिष्ट में प्राप्त होने वाली सामग्री को उपयोग योग्य बनाना।
  6. मूल्यवर्धनः उस अपशिष्ट से ऊर्जा का उपयोग करना जिसका पुनर्चक्रण संभव न हो।
  7. कार्यात्मक अर्थव्यवस्थाः चक्रीय अर्थव्यवस्था का उद्देश्य पट्टे पर देने की प्रणाली स्थापित करने के लिए कई मामलों में उत्पादों की बिक्री को रद्द करना है।
  8. नवीकरणीय स्रोतों से ऊर्जाः उत्पाद का उत्पादन करने के लिए जीवाश्म ईंधन का उन्मूलन, पुनर्प्रयोग और पुनर्चक्रण।

कृत्रिम बुद्धिमत्ता (आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस) और अंकरूपण (डिजिटाइजेशन) के कारण चक्रीय अर्थव्यवस्था को बहुत बढ़ावा मिल रहा है। जून 2019 में, नीति आयोग के अनुसार, चक्रीय अर्थव्यवस्था के माध्यम से अगले 5 से 7 वर्षों में 1.4 करोड़ रोजगार सृजित किए जा सकते हैं।

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