नासा ने 16 मार्च, 2022 को जेम्स वेब स्पेस टेलिस्कोप (जेडब्ल्यूएसटी) द्वारा ब्रह्माण्ड में खोजे गए एक नक्षत्र की स्पष्ट छवि जारी की। पृथ्वी से 260 प्रकाश वर्ष दूर यह नक्षत्र सप्तर्षि तारामण्डल में स्थित है, जिसे नासा के वैज्ञानिकों द्वारा HD84406 नाम दिया गया है। ज्ञातव्य है कि नासा ने यूरोपियन स्पेस एजेन्सी (ESA) और कैनेडियन स्पेस एजेन्सी के साथ संयुक्त रूप से जेडब्ल्यूएसटी को एरियन-5 रॉकेट के माध्यम से फ्रेंच गुयाना स्थित यूरोप के स्पेसपोर्ट से 25 दिसम्बर, 2021 को अन्तरिक्ष में प्रक्षेपित किया था। उल्लेखनीय है कि टेलिस्कोप का नाम नासा के खगोल भौतिकीविद जेम्स ई. वेब के नाम पर रखा गया है, जिन्होंने अपोलो को चंद्रमा पर उतारने (मून लैन्डिंग) में मुख्य भूमिका निभाई थी।
जेडब्ल्यूएसटी नक्षत्रों की उत्पत्ति और आकाशगंगाओं के क्रमिक विकास का निरीक्षण करेगा। यह उस कल्प का अवलोकन करेगा, जब 13.5 अरब वर्ष पूर्व प्रारम्भिक आकाशगंगाएं अस्तित्व में आई थीं और यह बाह्य ग्रहों के वायुमण्डलों का अध्ययन करने में मदद करेगा। यह ग्रह प्रणालियों के भौतिक और रासायनिक गुणों का मापन करेगा और जीवन की सम्भावना के लिए उनकी जांच करेगा। अपनी इन्फ्रारेड रेन्ज की क्षमताओं की मदद से यह धूल में प्रवेश करेगा, और घने तथा धूल भरे बादलों के मध्य नक्षत्रों को आकार लेते हुए देखेगा।
वर्तमान में जेडब्ल्यूएसटी अपने लक्षित गन्तव्य लग्रांज बिन्दु 2 (एल 2) पर स्थिर है, जहां से यह निरन्तर सूर्य की परिक्रमा करेगा और प्रभामण्डल के परिक्रमा पथ पर स्थिर रहने के लिए प्रत्येक तीन सप्ताह में अपनी स्थिति बदलेगा।
लग्रांज बिन्दु अन्तरिक्ष में सूर्य-पृथ्वी प्रणाली (सूर्य और पृथ्वी के बीच सीधी रेखा में आने वाले) के वे स्थान हैं, जहां दो बड़े द्रव्यमानों (पिण्डों) के गुरुत्व बल में एक सन्तुलन बना रहता है और उनका यह सन्तुलित गुरुत्वाकर्षण किसी छोटे पिण्ड या यान को अन्तरिक्ष में स्थिर बने रहने के लिए एक आवश्यक केन्द्रक बल का कार्य करता है। इतालवी-फ्रांसीसी मूल के गणितज्ञ जोसेफ लुई लग्रांज के नाम पर अन्तरिक्ष में ऐसे पांच बिन्दु या स्थान हैं, जिन्हें एल 1, एल 2, एल 3, एल 4 और एल 5 के नाम से चिह्नित किया गया है। इन बिन्दुओं का उपयोग अन्तरिक्ष में, अन्तरिक्ष यानों को ईंधन की कम खपत करते हुए कक्षा में स्थिर बने रहने के लिए किया जा सकता है। इनमें से बिन्दु एल 2 पृथ्वी से 1.5 मिलियन किमी. दूर स्थित है। हालांकि, यह सूर्य की विपरीत दिशा में है, इस वजह से सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा इस बिन्दु के पीछे रहते हैं, जिसके फलस्वरूप इस बिन्दु पर अवस्थित कोई अन्तरिक्ष यान गहन अन्तरिक्ष का स्पष्ट अवलोकन कर सकता है।
जेडब्ल्यूएसटी अब तक की सबसे बड़ी और शक्तिशाली अन्तरिक्षीय वेधशाला है, जिसे इष्टतम रूप से अवरक्त (इन्फ्रारेड) तरंगदैर्घ्यों के प्रति अनुकूलित किया गया है। यह वेधशाला 32 वर्षीय अन्तरिक्षीय वेधशाला, हब्बल स्पेस टेलिस्कोप (एचएसटी) की सम्पूरक है, और उसकी खोजों को विस्तार देगी। जेडब्ल्यूएसटी में एक अधिक लम्बी तरंगदैर्घ्य आवृत्ति और बेहतर सुग्राह्यता है, जो इसे प्रारम्भिक ब्रह्माण्ड में और पीछे देखने में सक्षम बनाती है। इसे प्रक्षेपण के बाद न्यूनतम साढ़े पांच वर्ष की मिशनावधि के लिए अभिकल्पित किया गया है। परन्तु, इसका जीवनकाल 10 वर्ष से अधिक होने की उम्मीद है, क्योंकि इसमें 10 वर्ष तक कार्य करने के लिए पर्याप्त ईंधन है।
टेलिस्कोप में प्रयुक्त विभिन्न उपकरणः जेडब्ल्यूएसटी में विभिन्न वैज्ञानिक उपकरण शामिल हैं जैसे कि चार इन्फ्रारेड कैमरे, स्पेक्ट्रोग्राफ और कोरोनाग्राफ। इसका नियर-इन्फ्रारेड कैमरा एक प्राथमिक इमेजर है, जो विभिन्न परीक्षणों के लिए उच्च विभेदन वाली छवियां प्रदान करता है (जैसाकि 16 मार्च को नासा द्वारा जारी की गई छवि में HD84406 के पार्श्व में स्पष्ट दिखाई देने वाले अन्य नक्षत्रों के रूप में जेडब्ल्यूएसटी के प्रकाश विज्ञान और इन्फ्रारेड कैमरे की सूक्ष्म सुग्राह्यता परिलक्षित होती है)। स्पेक्ट्रोग्राफ प्रकाश को संघटक रंगों में विघटित करता है, जो विभेदन में मदद करता है। नक्षत्रों की परिक्रमा करने वाले ग्रहों का अवलोकन करने के लिए कोरोनाग्राफ उनके (नक्षत्र) प्रकाश को अवरुद्ध कर देता है। इसमें एक स्थिरीकरण आवरक (फ्लैप), ऐन्टिना और अन्तरिक्ष यान बस भी है। वेधशाला के प्राथमिक दर्पण में 18 षट्कोणीय (हेक्सागोनल) खण्ड हैं, जो खुलने के बाद बेरिलियम [एक रासायनिक तत्व, जो प्रकृति में शुद्ध रूप में नहीं मिलता, बल्कि केवल यौगिक (अन्य तत्वों के साथ मिलाकर) रूप में ही पाया जाता है। धूसर रंग के इस भंगुर पदार्थ का प्रयोग मिश्रित धातु (लोहे, ताम्बे या ऐल्युमिनियम के साथ मिलाकर) बनाने के लिए किया जाता है, और इसकी प्रत्येक इकाई में अत्यधिक ऊर्जा होती है।] के 6.5 मीटर के विशाल दर्पण के रूप में दिखाई देते है और संरेखित होकर किसी एकल प्रवर्तक नक्षत्र की स्पष्ट छवि प्रदान करने के लिए प्रकाश के आरम्भिक लाल धब्बों को आवर्धित करते हैं (जैसाकि HD84406 की स्पष्ट छवि से पहले की एक धुंधली छवि में दिखाई दिया)। जेडब्ल्यूएसटी में उच्च ऊष्मा और बेहतर संक्षारण प्रतिरोध, अधिक मजबूती तथा रोधक और बेहतर ढलाई गुण प्राप्त करने के लिए बेरिलियम को कुछ मिश्र धातुओं में मिलाया गया, जैसाकि यह हल्की होने के बावजूद एक मजबूत धातु है और अत्यन्त ठण्डे तापमान पर भी सन्तुलित रहती है। बेरिलियम दर्पणों को इन्फ्रारेड प्रकाश के प्रति अनुकूलित करने के लिए उन पर सोने की एक पतली परत चढ़ाई गई है। जेडब्ल्यूएसटी के प्राथमिक दर्पण को -223 डिग्री सेल्सियस से कम तापमान पर ठण्डा रखा गया है ताकि यह प्रारम्भिक ब्रह्माण्ड में हल्के अवरक्त प्रकाश का पता लगा सके। इसके अलावा, इसमें एक 0.74 मी. बड़े व्यास का अतिरिक्त दर्पण भी लगाया गया है। चूंकि सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा जैसे खगोलीय पिण्ड तीव्र अवरक्त प्रकाश उत्पन्न करते हैं। अतः इस प्रकाश और ऊष्मा से जेडब्ल्यूएसटी को बचाने के लिए इसमें 21.2×14.2 मी. बड़ा और 8 मी. ऊंचा एक सनशील्ड भी लगाया गया है। प्लास्टिक की पांच सूक्ष्म (या पतली) परतों से निर्मित इस सनशील्ड का आकार एक टेनिस कोर्ट के समान है। इसके अलावा, जेडब्ल्यूएसटी में दूरस्थ आकाशगंगाओं के पिण्डों और बाह्य ग्रहों का पता लगाने और उनकी छवियां लेने के लिए अन्य कई उपकरण भी लगाए गए हैं।
जेडब्ल्यूएसटी बनाम एचएसटी
1990 में नासा के अन्तरिक्ष यान डिस्कवरी द्वारा हब्बल टेलिस्कोप (एचएसटी) को अन्तरिक्ष में प्रक्षेपित कर वैज्ञानिकों ने कुछ दूरस्थ नक्षत्रों और आकाशगंगाओं के
साथ-साथ हमारे सौरमण्डल के ग्रहों को देखने के लिए इसका उपयोग किया। जेडब्ल्यूएसटी मुख्य रूप से इन्फ्रारेड प्रकाश में ब्रह्माण्ड का अध्ययन करेगा, जबकि एचएसटी ब्रह्माण्ड को मुख्य रूप से प्रकाश और पराबैंगनी तरंगदैर्घ्य में देखने में सक्षम है। यद्यपि एचएसटी का द्रव्यमान 12,200 किग्रा. और जीवनकाल 32 वर्ष है, जेडब्ल्यूएसटी का द्रव्यमान 6,200 किग्रा. और जीवनकाल 10 वर्ष है।
एचएसटी दृश्यमान स्पेक्ट्रम में संचालित होता है, जबकि जेडब्लूएसटी इन्फ्रारेड पर कार्य करता है और संरचनाओं को प्रकट करने के लिए तारकीय धूल में प्रवेश कर उन्हें देख सकता है। एचएसटी 0.1 से 0.8 माइक्रॉन तक के स्पेक्ट्रम का अवलोकन कर सकता है जबकि जेडब्ल्यूएसटी 0.6 से 28 माइक्रॉन तक तरंगदैर्घ्य क्षेत्र के खगोलीय पिण्डों की छवियों और स्पेक्ट्रा को प्रग्रहित कर सकता है। एचएसटी लगभग 570 किमी. की ऊंचाई पर पृथ्वी की परिक्रमा करता है, जबकि जेडब्ल्यूएसटी पृथ्वी-सूर्य प्रणाली के लग्रांज बिन्दु एल 2 पर लगभग 1.5 मिलियन किमी. दूर स्थित है।
वर्तमान में, नासा के वैज्ञानिकों द्वारा जेडब्ल्यूएसटी के अंशांकन और प्रवर्तन के चरण पूरे किए जा रहे हैं, जिसके पश्चात प्रारम्भ में, यह पृथ्वी के समीपवर्ती पिण्डों जैसे क्षुद्रग्रह, धूमकेतु, चंद्रमा आदि का अवलोकन करेगा। इसके बाद, यह अपने नियमित वैज्ञानिक कार्यों का संचालन करना शुरू कर देगा।
नासा के अनुसार, जेडब्ल्यूएसटी से प्राप्त डेटा अत्यन्त महत्वपूर्ण होगा, क्योंकि उनके माध्यम से वैज्ञानिक दूसरे ग्रहों पर जीवन की सम्भावनाओं के संकेतों और ब्रह्माण्ड में मौजूद अणु के स्पेक्ट्रोस्कोपिक फिंगरप्रिन्ट्स के अध्ययन हेतु ग्रहों की जलवायु और नक्षत्रों से निकलने वाले प्रकाश जिस जलवायु से गुजरते हैं, उनमें निहित तत्वों का पता लगाने के अलावा ब्रह्माण्ड के प्रारम्भिक अस्तित्व का पता लगाने की भी चेष्टा करेंगे, जिससे सम्भवतः इस रहस्य का पता चल सकेगा कि बिग बैंग से पहले क्या था।
© Spectrum Books Pvt Ltd.