दूरसंचार आयोग ने नेट निरपेक्षता को बढ़ावा देने के लिए ट्राई द्वारा की गई सिफारिशों को मंजूरी प्रदान कर दी है। ये नियम सेवा प्रदाताओं को इंटरनेट पर किसी सामग्री और सेवा के साथ किसी भी प्रकार के भेदभाव पर रोक लगाते हैं। नेट न्यूट्रैलिटी का अर्थ है कि इंटरनेट सुविधा उपलब्ध कराने वाली कंपनी आपको कुछ वेबसाइट्स पर सर्फिंग की सुविधा मुफ्त देकर बाकी के लिए पैसे नहीं वसूल सकती।

नेट न्यूट्रैलिटी लागू होने पर कोई भी कंपनी इंटरनेट में कोई भेदभाव नहीं कर पाएगी। प्राथमिकता के आधार पर किसी रुकावट को भी गैर-कानूनी माना जाएगा तथा इसके लिए जुर्माना लगाया जा सकता है तथा सख्त कार्यवाही की जा सकती है। यह निर्णय मोबाइल ऑपरेटरों, इंटरनेट प्रावाइडरों तथा सोशल मीडिया कंपनियों पर लागू होगा। यद्यपि नेट न्यूट्रैलिटी के नियमों के दायरे से स्वचालित कर तथा रिमोट सर्जरी जैसी कुछ सेवाओं को बाहर ही रखा जाएगा। इस नियम के लागू होने के बाद भारत में उपभोक्ताओं के लिए इंटरनेट पर मौजूद सारा डाटा बिना किसी भेदभाव के उपलब्ध होगा।

नेट निरपेक्षता का प्रत्यक्ष लाभ उपभोक्ता को प्राप्त होता है क्योंकि जो कंपनियां इंटरनेट सेवा प्रदाता से करार कर लेती हैं उनका कंटेट अधिक गति के साथ खुल जाता है परंतु जो कंपनियां इंटरनेट सेवा प्रदाता के साथ करार नहीं करतीं उनके कंटेट के खुलने में समय लगता है। इसके साथ ही राष्ट्रीय डिजिटल संचार नीति की घोषणा की गई जिसका उद्देश्य है—वर्ष 2022 तक नए रोजगार उत्पन्न करना तथा 100 अरब डॉलर से अधिक का निवेश। नई नीति को नेशनल डिजिटल कम्यूनिकेशन पॉलिसी 2018’ नाम दिया गया है।

तैयार की गई नीति को ऐसे समय में लाया जा रहा है जब यह क्षेत्रा वित्तीय कठिनाइयों का सामना कर रहा है तथा जिस पर 8 लाख करोड़ रुपये का कर्ज है। इस क्षेत्रा में आई नई कंपनी—रिलायंस जियो ने टेलिकॉम ऑपरेटर्स के सामने इतनी कड़ी प्रतिस्पर्धा रख दी है जिससे उन पर राजस्व तथा लाभ को लेकर भारी दबाव बन गया है।

दूरसंचार आयोग ने दिसंबर, 2018 तक सभी ग्राम पंचायतों में 12.5 लाख वाई-फाई हॉटस्पॉट लगाने की भी स्वीकृति दे दी है। जिसके लिए 6000 करोड़ का वित्त पोषण किया जाएगा जिससे यह परियोजना व्यावहारिक बन सके।

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