बायबैक मूल रूप से एक योजना है। इस योजना केद्वारा कंपनी अपने बकाया शेयरों को एक निश्चित राशि पर फिर से खरीद सकती है। पुर्नखरीद केबाद, कंपनी द्वारा इन शेयरों को समाप्त कर दिया जाता है।
कंपनी द्वारा अपने ही शेयरों की पुर्नखरीद केलिए निविदा जारी की जाती है या फिर खुले बाजार मेंशेयरधारक से इन्हें खरीदा जा सकता है। जब कंपनी शेयरों की पुर्नखरीद केलिए निविदा जारी करती है तो वह उस शेयर का एक बायबैक मूल्य निर्धारित करती है, तथा उस अवधि केदौरान आनुपातिक आधार पर शेयरों की खरीद करती है। इस प्रकार, कोई शेयरधारक अपनी कितनी शेयर पूंजी (होल्डिंग्स) बेच सकता है, यह निर्धारित करने में ‘स्वीकृति अनुपात’ की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। इसका तात्पर्य है कि एक शेयरधारक पूरी तरह से बायबैक मेंभाग नहींले सकता। इसलिए, लाभांश भुगतान (डिविडेंड पेआउट) निवेशकों केलिए एक बेहतर सौदा है क्योंकि अतिरिक्त लाभ (सरप्लस) का भुगतान सभी शेयरधारकों को उनकी शेयर पूंजी केआधार पर किया जाता है।
किसी कंपनी द्वारा बायबैक वाले शेयर पर भुगतान की गई धनराशि में से कंपनी को संबद्ध शेयर जारी करते समय प्राप्त धनराशि केबीच केअंतर को ‘वितरित आय’ (डिस्ट्रीब्यूटेड इनकम) कहा जाता है।
बायबैक टैक्स कंपनियों की केवल ‘वितरित आय’ पर लगाया जाता है।
भारत सरकार ने वर्ष 2013 में पहली बार वित्त अधिनियम,2013 की धारा 115QAकेअंतर्गत बायबैक टैक्स (वापसी-खरीद कर) की अवधारणा पेश की थी। इस नए कर प्रावधान केतहत गैर-सूचीबद्ध कंपनियों द्वारा शेयरधारकों को वितरित आय/लाभांश की राशि पर 20 प्रतिशत की दर से कर लगाने का प्रावधान किया गया था। 2019 में सूचीबद्ध कंपनियों पर भी बायबैक टैक्स लगाने का प्रावधान किया गया।
यह संशोधन 2013मेंइसलिए किया गया था क्योंकि सरकार का मानना था कि कंपनियां लाभांश वितरण से बच रही हैं, लेकिन बायबैक तंत्रकेमाध्यम से लाभ कमा रही हैं। इस प्रकार, अपने ही शेयर की पुर्नखरीद से घरेलू निवेशकों को दूसरे हितधारकों केसाथ विवाचन या मध्यस्थता करने की सुविधा प्राप्त होती है और अंतरराष्ट्रीय निवेशकों को विशेष रूप से मॉरीशस एवं सिंगापुर जैसे व्यापार संधि करने वाले देशों केसाथ महत्वपूर्ण मध्यस्थता करने की छूट मिलती है।
केंद्र सरकार का मानना था कि सूचीबद्ध कंपनियों केलिए भी ऐसी ही कर व्यवस्था अपनाई जानी चाहिए, क्योंकि सूचीबद्ध कंपनियों को भी कर अंतरपणन (आरबिट्रेज) का सामना करना पड़ रहा था, इसलिए बजट 2019 में सूचीबद्ध कंपनियों केलिए भी बायबैक टैक्स का प्रावधान किया गया।
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