भारत सरकार ने 1 जून, 2018 को विदेशी
योगदान (नियमन) अधिनियम 2010 के तहत् विदेशी
धन प्रवाह और इसके उपयोग की निगरानी के लिए एक ऑनलाइन विश्लेषण टूल की शुरुआत की।
यह एक वेब आधारित टूल है जो सरकार के विभिन्न विभागों के अधिकारियों को विदेशी
योगदान के स्रोत और भारत में इसके उपयोग की जांच में मदद करेगा। साथ ही एफसीआरए 2010 के प्रावधानों के अनुपालन के संदर्भ में यह टूल आंकड़ों तथा साक्ष्य
के आधार पर निर्णय लेने में विभागों को सहायता प्रदान करेगा।

  • वेब आधारित यह टूल वृहद आंकड़ों को ढूंढने और विश्लेषण करने की क्षमता रखता है। यह एफसीआरए पंजीकृत बैंक खातों से जुड़ा होगा एवं यह लोक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली के माध्यम से वास्तविक समय पर अद्यतन जानकारी देगा।
  • एफसीआरए 2010 के अंतर्गत लगभग 25,000 सक्रिय संगठन पंजीकृत है। इन संगठनों को वर्ष 2016-17 के दौरान सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक, शैक्षिक तथा धार्मिक गतिविधियों के लिए 18,065 करोड़ रुपये का विदेशी चंदा प्राप्त हुआ है।
  • प्रत्येक एफसीआरए-एनजीओ बहुत से वित्तीय लेन-देन में विदेशी योगदान लेता तथा देता है।
  • यह टूल प्रतिवर्ष होने वाले हजारों लेन-देन प्रभावशाली तरीके से निगरानी करेगा जिससे सरकार में हितधारकों की सहायता होगी जिससे विदेशी योगदान को बेहतर तरीके से विनियमित, स्वीकृत तथा प्रयोग किया जा सके।

विदेशी योगदान नियमन अधिनियम 2010

यह अधिनियम 1 मई, 2011 से प्रभाव में आया। इसके तहत् कोई व्यक्ति प्राप्त विदेशी योगदान को दूसरे व्यक्ति को तब तक नहीं दे सकता, जब तक वह व्यक्ति भी केंद्र सरकार द्वारा निर्मित नियमों के अनुसार विदेशी योगदान को प्राप्त करने के लिए अधिकृत नहीं है।

इस अधिनियम का उद्देश्य विदेशी योगदान को प्राप्त करने वाले व्यक्ति या संगठन या कंपनी द्वारा स्वीकृत तथा प्रयोग को विनयमित करना तथा ऐसे विदेशी योगदान या सरकार को रोकना जो किसी भी तरह राष्ट्रीय हित के लिए हानिकारक हो।

कोई भी राजनैतिक प्रकृति का संगठन या कोई संघ या कंपनी जो किसी खबर या समसामयिकी से संबंधित ऑडियो/वीडियो प्रकाशित करती हो उसे विदेशी अनुदान लेना प्रतिबंधित है।

इस अधिनियम के तहत् दिया गया प्रमाण-पत्रा पांच साल तक वैध होगा तथा विदेशी योगदान जिस कार्य हेतु लिया गया है उसी कार्य पर खर्च किया जाना चाहिए। इस प्रमाण-पत्रा की वैधता समाप्त होने के 6 महीने पहले नवीकरण कराया जाना चाहिए।

यदि कोई इस अधिनियम के प्रावधान का उल्लंघन करता है तो उसके पंजीकरण को निरस्त किया जा सकता है। इसके अलावा 5 वर्ष का कारावास और जुर्माना भी लगाया जा सकता है।

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