स्ट्रीमिंग मीडिया एक मल्टीमीडिया है जिसे प्रयोक्ता द्वारा निरंतर प्राप्त किया जाता है और अंतिम प्रयोक्ता तक प्रस्तुत किया जाता है। ‘स्ट्रीमिंग’ शब्द इस तरीके से मीडिया प्रदायन और प्राप्त करने की प्रक्रिया को संदर्भित करता है। अंतिम प्रयोक्ता डाटा फाइल को पूरी तरह से डाउनलोड होने से पूर्व अपने मीडिया प्लेयर पर फाइल को चला सकता है। ‘स्ट्रीमिंग’ शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग ‘डाटा इलेक्ट्रॉनिक इंक’ द्वारा तैयार टेप ड्राइव्स के लिए किया गया था। स्ट्रीमिंग का प्रयोग 1990 के दशक के पूर्वार्द्ध में वीडियो ऑन डिमांड के बेहतर प्रदर्शन के लिए और बाद में आईपी नेटवर्क पर लाइव वीडियो के लिए किया गया। लाइव स्ट्रीमिंग वास्तविक समय में इंटरनेट कंटेंट की डिलीवरी है।

जैसाकि 2017-18 तक, स्ट्रीमिंग सामान्यतया एक ऐसी स्थिति को प्रस्तुत करता है जहां एक प्रयोक्ता कम्प्यूटर स्क्रीन पर और स्पीकर इंटरनेट पर डिजिटल वीडियो कंटेट देख सकता है या डिजिटल ऑडियो कंटेट सुन सकता है।

इस बात पर किसी को कोई शंका नहीं कि स्ट्रीमिंग मीडिया पिछले कुछ समय में अत्यधिक लोकप्रिय हुआ है। एक समय था जब किसी सूचना के लिए या किसी समाचार को पाने के लिए लोग निर्धारित समय की प्रतीक्षा करते थे। इंटरनेट का समय आने के बाद परिस्थिति में परिवर्तन हुआ तथा सूचनाएं तेजी से प्रसारित होने लगीं फिर भी एक मोडेम के माध्यम से इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर से कनेक्ट कर ही ऑनलाइन सूचनाएं, संगीत या वीडियो को प्राप्त किया जा सकता था। इस समय पर भी इंटरनेट की धीमी गति के कारण एक एमपी 3 म्यूजिक ट्रेक या गीत जो कि लगभग 5 मेगाबाइट का होता था को हार्डड्राइव में डाउनलोड करने के लिए बहुत समय लगाना पड़ता था। वीडियो फाइल्स के लिए जो कि लगभग 50 मेगाबाइट की होती हैं को डाउनलोड करने के लिए कई घंटे तक का समय देना पड़ता था। किसी संगीत को सुनने के लिए या वीडियो को देखने के लिए (चाहे उसका साईज कुछ भी हो) लंबे समय तक प्रतीक्षा करना आवश्यक था। यह समस्या बैंडविड्थः इंटरनेट कनेक्शन की गति के कारण थी। 1990 के दशक के मध्य में रॉब ग्लेसर तथा उसकी कंपनी ने इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए स्ट्रीमिंग मीडिया की शुरुआत की। यह एक साधारण सा विचार था। मान लीजिए आप अपने कंप्यूटर पर एक बड़ी वीडियो फाइल देखना चाहते हैं। आप एक मीडिया प्लेयर (एक स्ट्रीमिंग मीडिया के लिए प्रोग्राम) को इंस्टॉल कीजिए। यह प्रोग्राम वीडियो को कंप्यूटर पर तभी दिखाना शुरू कर देता है जब तक फाइल डाउनलोड हो रही होती है। यह वीडियो के पहले दस सेकंड डाउनलोड कर, स्टोर या बफर करके वीडियो दिखाना चालू कर देता है। जब मीडिया प्लेयर पहला भाग दिखा रहा होता है उसी समय यह अगले दस सेकंड का वीडियो डाउनलोड कर लेता है। जब तक पहला भाग समाप्त होने का समय आता है दूसरा भाग देखने के लिए डाउनलोड हो चुका होता है। मीडिया प्लेयर कभी भी पूरी फाइल को डाउनलोड नहीं करता। एक भाग चलाने पर इसे डिलीट कर यह दूसरे भाग को दिखाना शुरू कर देता है। यदि मीडिया प्लेयर उसी गति से फाइल डाउनलोड कर लेता है जितनी गति से दर्शक देख रहा है या श्रोता सुन रहा है तो देखने या सुनने में कोई गतिरोध उत्पन्न नहीं होता। यदि डाउनलोड होने में किसी कारणवश देरी होती है तो यह कभी-कभार रुक कर डाउनलोड तथा बफर करता है जिससे अगला भाग देखा जा सके।

इंटरनेट पर अबाधित वीडियो या संगीत उपलब्ध होने के कारण ऑडियो तथा वीडियो स्ट्रीमिंग के कारण वैश्विक स्तर पर रिकॉर्ड किये हुए संगीत का बाजार वर्ष 2016 में 6 प्रतिशत की दर से विकसित हुआ। यह आंकड़े आईएफसीआई के ग्लोबल म्यूजिक रिपोर्ट के अनुसार हैं। इस विकास का एक बड़ा कारण स्ट्रीमिंग ही है। इस विकास के कारण करों में 60 प्रतिशत का इजाफा देखा गया है। संगीत को ऑनलाइन सुनने का अनुपात बहुत अधिक बढ़ गया है जिसका 76 प्रतिशत ऑन-डिमांड ऑडियो स्ट्रीमिंग सर्विस जैसे कि स्पोटिफाय, पन्डौरा तथा एप्पल म्यूजिक है।

फिल्म तथा टीवी इंडस्ट्री बाजार का अध्ययन कर स्टैटिस्टा (मार्केट रिसर्च कंपनी) ने पाया कि वैश्विक स्तर पर ऑनलाइन वीडियो का देखा जाना लोकप्रिय इंटरनेट गतिविधियों में से एक है तथा वर्ष 2020 तक डिजिटल वीडियो के दर्शकों की संख्या अकेले अमेरिका 232 मिलियन तक पहुंच जाएगी।

स्ट्रीमिंग मीडिया ने पारंपरिक मनोरंजन के साधन जैसे कि टीवी या केबल व्यवसाय को बहुत अधिक प्रभावित किया है। यूट्यूब, ट्विच एंड मिक्सर, हॉटस्टार, नेटफ्लिक्स एवं अमेजॉन वीडियो, स्पोटिफाई, एवं टाइडल ;ज्प्क्।स्द्ध इत्यादि कुछ लोकप्रिय स्ट्रीमिंग मीडिया प्रदान करने वाली सेवा प्रदाता हैं। वर्तमान की युवा पीढ़ी या किशोरावस्था की पीढ़ी केबल तथा टीवी को न चुन कर स्ट्रीमिंग मीडिया की ओर आकर्षित हो रही है। इस पीढ़ी को ऐसे कार्यक्रम या वीडियो या संगीत में अधिक रुचि है बनिस्पत इसके कि उन्हें टीवी पर क्या दिखाया जा रहा है। स्ट्रीमिंग मीडिया ने सोशल मीडिया को भी प्रभावित किया है। एक समय था जब वीडियो को दर्शकों तक पहुंचाने से पहले एक बार जांच लिए जाते थे परंतु अब परिस्थिति पूरी तरह बदल चुकी हैं। अधिकतर वा सभी मीडिया जिन्हें ऑनलाइन देखा या सुना जाता है जैसे कि यू ट्यूब या नेटफ्लिक्स, पर स्ट्रीमिंग मीडिया के कारण ऐसे वीडियो भी ऑनलाइन देखे जा रहे हैं जो सामान्यतः समाज को विचलित कर सकते हैं जैसे कि कई लोगों ने आत्महत्या के वीडिया ऐसे प्लेटफार्म पर डाले हैं। कुछ समय पहले ही मार्ग जुकरबर्ग ने फेसबुक लाइव शुरू किया है जिसमें कोई भी व्यक्ति वीडियो का सीधा प्रसारण कर सकता है। किसी भी घटना या दुर्घटना का सीधा प्रसारण प्रत्यक्ष रूप से सामाजिक ढांचे पर प्रभाव डाल सकता है। जनता क्या देख रही है, का सीधा प्रभाव जनता की प्रतिक्रिया में परिलक्षित होता है।

स्ट्रीमिंग कॉपीराइट कंटेंट की नकली कांपियां बनाने से इसका बेतहाशा उल्लंघन हो रहा है जिसने स्ट्रीमिंग मीडिया पर प्रश्नचिन्ह खड़ा किया है। स्ट्रीमिंग, या इंटरनेट पर कंटेट देखना, यूरोप में वैध है, चाहे वह कंटेंट कॉपीराइट वाला हो।

स्ट्रीमिंग मीडिया की लोकप्रियता दिन-प्रतिदिन बढ़ने से समाज का यह उत्तरदायित्व बन जाता है कि यह तय किया जाए कि स्ट्रीमिंग मीडिया को किस दिशा तथा किस सीमा तक इस्तेमाल किया जाना चाहिए। एक तरह स्ट्रीमिंग मीडिया ने मनोरंजन तथा सूचनाओं के लिए वैश्विक द्वारा खोल दिए हैं, वहीं दूसरी ओर इसके कारण कोई भी सूचना (सही या गलत) पल भर में विश्व में फैलाई जा सकती है।

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